विभागीय प्रशिक्षण बिना पदोन्नति पा रहे आरक्षक

आरक्षक
  • परिवहन विभाग में थम नहीं रही गड़बडिय़ां

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के सबसे कमाऊ विभागों में शामिल परिवहन विभाग में भर्राशाही, लापरवाही और गड़बडिय़ां रूकने का नाम नहीं ले रही हैं। पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा का मामला उजागर होने के बाद भी विभाग ने अभी तक कोई सबक नहीं लिया है। आलम यह है कि विभागीय प्रशिक्षण लिए बिना ही आरक्षक पदोन्नति और वेतनवृद्धि का फायदा ले रहे हैं। यही नहीं ऐसे आरक्षक मैदानी पोस्टिंग पर सालों से तैनात हैं।
गौरतलब है कि पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के यहां छापों के बाद चर्चाओं में चल रहे परिवहन विभाग में गड़बड़ी रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। अवैध वसूली की शिकायतें और वीडियो लगातार वायरल हो रहे हैं। वहीं शासन के नियमों के विरुद्ध विभाग में पदस्थ आरटीआई से लेकर कई आरक्षक ऐसे भी हैं, जो सेवा शर्तों को ताक पर रखकर नौकरी कर रहे हैं। 10 साल से ज्यादा समय निकल जाने के बाद भी कइयों ने विभागीय प्रशिक्षण तक नहीं लिया है, फिर भी पदोन्नति और वेतनवृद्धि के साथ मैदानी पदस्थापना का लाभ ले रहे हैं। विभाग में निरीक्षक, दो उप निरीक्षक और 10 आरक्षक ऐसे हैं, जिन्हें विभागीय प्रशिक्षण के बिना ही मैदानी पदस्थापना का लाभ दिया जा रहा है।
सेवा शर्तों का कर रहे उल्लंघन
शासकीय नियमों के अनुसार परिवहन विभाग में नियुक्ति  के बाद प्रवर्तन अमले को छह माह से अधिकतम दो साल में विभागीय प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होता है। प्रशिक्षण नहीं लेने पर शासकीय सेवा शर्तों का उल्लंघन मानते हुए संबंधित अधिकारी या कर्मचारी की पदोन्नति और वेतनवृद्धि नहीं लगाई जाती है और न ही ऐसे अधिकारी कर्मचारियों को मैदानी पदस्थापना सहित अन्य लाभ दिए जाते हैं। लेकिन विभाग में 14 साल पहले प्रवर्तन अमले में नियुक्ति आरटीआई और इतने ही वर्ष पहले नियुक्त आरक्षक तक बिना प्रशिक्षण लिए सेवा शर्तों के उल्लंघन के बावजूद सभी लाभ ले रहे हैं।
बिना प्रशिक्षण पा लिया पदोन्नति
परिवहन विभाग में कई ऐसे लोग हैं जो बिना प्रशिक्षण पदोन्नति और वेतनवृद्धि का फायदा ले रहे हैं।  मुरैना चेकपॉइंट और फ्लाइंग प्रभारी शंकर पचौरी की परिवहन विभाग में नियुक्ति सीधी भर्ती से 15 नवम्बर 2017 को हुई थी। मुरैना उनका गृह जिला भी है और विभागीय प्रशिक्षण भी उन्होंने नहीं लिया है। शासकीय सेवा में आने के बाद दूसरी शादी को लेकर उठे विवाद में जेल में भी रहे हैं,  लेकिन विभाग ने उन्हें प्रमुख चेकपॉइंट और फ्लाइंग प्रभारी का दायित्व देकर उपकृत किया हुआ है।  रूप कुमार शर्मा (आरटीआई) की परिवहन विभाग में 5 मार्च 1984 को लिपिक पद पर नियुक्ति हुई थी। लिपिक वर्गीय सेवा में रहते विभागीय परीक्षा के माध्यम से 16 दिसम्बर 2010 को आरटीआई बने। अब तक विभागीय प्रशिक्षण नहीं लिया।  राजेन्द्र कुमार स्वर्णकार (आरटीआई) की 9 मार्च 1990 को परिवहन विभाग में लिपिक पद पर नियुक्त हुई थी। सोनी 9 मई 2012 को परिवहन निरीक्षक बने। अब तक विभागीय प्रशिक्षण नहीं लिया। भोपाल जिले के मूल निवासी अंकुर गुप्ता की 17 नवम्बर 2017 को परिवहन विभाग में नियुक्ति सीधी भर्ती से हुई। लम्बे समय तक वे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय, भोपाल में पदस्थ रहकर फ्लाइंग के प्रभारी भी रहे। आरक्षक जिन्होंने प्रशिक्षण नहीं लिया है, उनमें 17 फरवरी 2014 को नियुक्ति लेने वाले ऋतु मेहरा, 28 मई 2016 को नियुक्ति लेने वाले शिवेन्द्र यादव, भारती बाथम, 28 जून 2013 को नियुक्ति लेने वाले अभिमा सिंह पदम, 11 दिसम्बर 2012  को नियुक्ति लेने वाले मिथलेश, 24 दिसम्बर 2016  को नियुक्ति लेने वाले सारंगधर महाले, 7 नवम्बर 2019  को नियुक्ति लेने वाले धर्मेन्द्र विश्वकर्मा, 9 जनवरी 2020 को नियुक्ति लेने वाले पूजा परिहार, 27 फरवरी 2021 को नियुक्ति लेने वाले नवजीत बाथम, 4 अगस्त 2021 को नियुक्ति लेने वाले शिप्रा ध्रुवे, 11 अगस्त 2021 को नियुक्ति लेने वाले नवाशा जैन, 28 दिसम्बर 2021 को नियुक्ति लेने वाले नितिन चतुर्वेदी शामिल हैं। इस मामले में परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा का कहना है कि विभाग में 13 आरक्षक, तीन  टीएसआई ने प्रशिक्षण नहीं लिया है। तीन माह के प्रशिक्षण के लिए इनकी सूची तैयार है। पुलिस मुख्यालय से कह कर जल्द ही सागर या भौरी में पुलिस प्रशिक्षण भी कराएंगे और इन्हें परिवहन विभाग से संबंधित प्रशिक्षण भी जल्द ही दिलाई जाएगी।

Related Articles