- मिशन 2023 के लिए कांग्रेस का फॉर्मूला
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। 15 साल के अंतराल के बाद 2018 में सत्ता में आई कांग्रेस 15 माह बाद ही जिन ‘गद्दारों’ (सिंधिया के साथ पार्टी छोड़ने वाले 28 विधायक) के कारण सत्ता से बाहर चली गई उनको 2023 में सबक सिखाने के लिए पार्टी ने रणनीति तैयार कर ली है। इसी रणनीति के तहत जहां डॉ. गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष की कमान सौंपी गई है, वहीं उन 28 सीटों पर अलग से जमावट की जा रही है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि रणनीतिकारों का कहना है कि अगर इन 28 सीटों को कांग्रेस जीत ले तो 2023 में सरकार बनाई जा सकती है। इसलिए उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों का फॉर्मूला दिया है कि ‘गद्दारों’ को हराओ, सत्ता सुख पाओ। गौरतलब है कि मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस में बड़े स्तर पर बगावत हुई थी और आगर, अम्बाह, अनूपपुर, अशोक नगर, बदनावर, बमोरी, भांडेर, ब्यावरा, डबरा, दिमनी, गोहद, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, हाटपिपल्या, जौरा, करैरा, मलहरा, मांधाता, मेहगांव, मुरैना, मुंगावली, नेपानगर, पोहरी, सांची, सांवेर, सुमावली, सुरखी, सुवासरा के विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया था। उसके बाद अल्पमत में होने के कारण कमलनाथ ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा की सरकार बन गई। अब कांग्रेस 2023 में इस बगावत का बदला लेने की तैयारी में है।
9 मंत्रियों पर विशेष फोकस
कांग्रेस की रणनीति के तहत जिन विधानसभा सीटों पर ‘गद्दारों’ को सबक सीखाना है उनमें 9 क्षेत्र मंत्रियों का है। पार्टी ने इन मंत्रियों को हराने के लिए बड़े स्तर पर तैयारी की है। ये हैं ग्वालियर विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर, बमोरी-महेंद्र सिंह सिसौदिया, सुरखी- गोविंद सिंह राजपूत, अनूपपुर-बिसाहूलाल सिंह, सांची-डॉ. प्रभुराम सिंह, बदनावर- राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, सुवासरा-हरदीप सिंह डंग, सांवेर-तुलसीराम सिलावट और मेहगांव से विधायक ओपीएस भदौरिया। इन मंत्रियों के अलावा अंबाह विधायक कमलेश जाटव, भांडेर- रक्षा संतराम सरौनिया, पोहरी-सुरेश धाकड़, अशोकनगर-जजपाल सिंह जज्जी, मुंगावली-बृजेंद्र सिंह यादव, मलहरा-प्रद्युम्न सिंह लोधी, हाटपीपल्या-मनोज चौधरी, मांधाता-नारायण सिंह पटेल, नेपानगर-सुमित्रादेवी कास्डेकर और जौरा विधायक सूबेदार सिंह रजौधा।
9 जीते 19 पर फोकस
कांग्रेस में बगावत के बाद 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने 9 सीटें जीती थी। इसलिए पार्टी के रणनीतिकारों ने जो नीति बनाई है उसमें कहा गया है कि पार्टी 9 सीटों पर तो मजबूत है, 19 सीटों के लिए मेहनत करनी होगी। गौरतलब है कि उपचुनाव में भाजपा ने जो 19 सीटें जीतीं थीं उनमें अंबाह, ग्वालियर, भांडेर, पोहरी, बमोरी, अशोकनगर, मुंगावली, सुरखी, मलहरा, अनूपपुर, सांची, हाटपीपल्या, मांधाता, नेपानगर, बदनावर, सुवासरा, सांवेर, मेहगांव, जौरा शामिल हैं।
वोट प्रतिशत बढ़ाने पर जोर
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने 2023 में वोट प्रतिशत बढ़ाने पर भी जोर दिया है। इसके लिए हर स्तर पर नेताओं को जिम्मेदारी दी जा रही है। गौरतलब है कि वर्ष 2018 के विस चुनाव के बाद कांग्रेस ने सरकार तो बनाई, लेकिन उसे वोट भाजपा से कम मिले थे। कांग्रेस ने 41.5 और भाजपा ने 41.6 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। लेकिन, 2019 के लोकसभा चुनाव में 29 में से महज एक सीट छिंदवाड़ा ही कांग्रेस जीत सकी। वोट शेयर 34.8 प्रतिशत रह गया, जबकि 28 सीटें जीतने वाली भाजपा को 58.5 प्रतिशत वोट शेयर मिले। वर्ष 2020 में विस की 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस का ग्राफ कुछ सुधरा, लेकिन सीटें कम हो गई। कांग्रेस ने नौ सीटें जीतीं और वोट शेयर 40.5 प्रतिशत था, जबकि भाजपा ने 19 सीटें जीतीं और वोट शेयर 49.5 प्रतिशत था। अब 2023 के लिए कांग्रेस वोट प्रतिशत बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही है।