![शिक्षा विभाग](https://www.bichhu.com/wp-content/uploads/2021/08/7-11-1024x693.jpg)
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। एक निजी व्यक्ति द्वारा जब शिक्षा विभाग के तहत भोपाल जिले में स्काउट गाइड में लेन देन का काम देखने वाले निजी व्यक्ति द्वारा एक करोड़ का चूना लगाने के बाद अब विभाग की नींद टूटी है। इस मामले में अब फैसला लिया गया है कि अब लेनदेन का काम निजी व्यक्ति को नहीं सौंपा जाएगा। यह निर्णय भी विभागीय मंत्री के निर्देश के बाद लिया गया है।
दरअसल जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय भोपाल के अंतर्गत स्काउट गाइड जिला संघ के सचिव पद का दायित्व गौरव शुक्ला को सौंपा गया था। इसके बाद शुक्ला द्वारा लगभग एक करोड़ रुपए का गड़बड़झाला कर दिया गया। इस मामले का खुलासा होने के बाद हड़कंप मच गया था। इसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई। अब तय किया गया है कि प्रदेश के सभी डीईओ कार्यालय में ऑडिट कराया जाए। दरअसल स्काउट गाइड द्वारा निजी व सरकारी स्कूलों से स्काउट की गतिविधियों के संचालन के लिए तय शुल्क लिया जाता है। इसके लिए हर जिले में एक समिति होती है। जिसका जिला आयुक्त पदेन जिला शिक्षा अधिकारी होता है। इस समिति में सचिव, कोषाध्यक्ष के साथ कार्यकारिणी सदस्य भी होते हैं। भोपाल जिले की कमेटी में पूर्व में डीईओ धर्मेंद्र शर्मा ने अपने एक चहेते निजी व्यक्ति गौरव शुक्ला को सचिव बना दिया था। उसने फर्जी हस्ताक्षर कर व स्कूलों से नगदी लेकर करीब एक करोड़ रुपए संस्थान के खाते
में जमा करने की जगह वह राशि हड़प ली।
पूर्व कर्मचारी को दे रखा है ऑडिट का काम
दरअसल सरकार की तरह ही इस संस्था में भी एक पूर्व कर्मचारी को राज्य मुख्यालय में सचिव के पद पर पदस्थ कर रखा है। इसी कर्मचारी की देखरेख में ही जिलों की समितियों के ऑडिट का काम किया जाता है। एक करोड़ के गबन के बाद इस पूर्व कर्मचारी पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हद तो यह हो गई कि पूर्व में राज्य मुख्यालय द्वारा जिला स्काउट गाइड कमेटी का ऑडिट लेखाधिकारी श्रीराम सैनी के नेतृत्व में किया गया था। पूर्व में भी इनके द्वारा ही भोपाल जिले का ऑडिट किया गया था। इस दौरान गड़बड़ी को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया गया था। अब इस मामले को लेकर एक बार फिर इन्हीं लोगों को ऑडिट का जिम्मा दे दिया गया है। खास बात यह है कि जो अफसर पूर्व में भी इस तरह की गड़बड़ी को अनदेखा कर चुके हैं, वे अब सही से जांच करेंगे यह बड़ा सवाल बना हुआ है। यह हाल तब है जबकि प्रदेश में इस तरह के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। इनमें कटनी जिले में एक बाबू द्वारा स्काउट गाइड की फर्जी रसीदों के आधार पर गबन किए जाने का मामला शामिल है। यह बात अलग है कि उसे बाद में नौकरी से निकाल दिया गया था। इसके बाद वह मिली भगत कर फिर से नौकरी पाने में सफल रहा है। इसी तरह से ग्वालियर जिले में कैंप के नाम पर बड़ी मात्रा में लाखों के फर्जी बिल बनाने का मामला भी सामने आ चुका है। इस मामले में पहले दोषी कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया और बाद में उन्हें फिर से नौकरी पर रख लिया गया।