
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। पुराने नियमों की वजह से प्रदेश के 50 हजार शिक्षकों की क्रमोन्नति का मामला उलझ कर रह गया है। हालात यह हैं कि बीते ढाई साल से इन शिक्षकों की क्रमोन्नति की फाइल ढाई साल से मंत्रालय और लोक शिक्षण संचालनालय के बीच ही चक्कर काट रही है। इस मामले में प्रदेश सरकार के तीन विभागों को फैसला लेना है, लेकिन इनमें शामिल सामान्य प्रशासन, स्कूल शिक्षा संचालनालय और वित्त विभाग के अफसर मिलकर भी यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि किस श्रेणी के शिक्षक को क्रमोन्नति कौन देगा। 20 जून 2019 को कुछ जिला शिक्षा अधिकारियों ने इस संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय से मार्गदर्शन मांगा था। तब उन्हें कहा गया था कि शासन स्तर से नवीन शैक्षणिक संवर्ग की सेवा शर्तें जारी होने के बाद क्रमोन्नति के प्रकरणों का निराकरण किया जाएगा। वर्ष 2006 से 2008 में नियुक्त इन कर्मचारियों ने वर्ष 2018 से 2020 में 12 साल की सेवा पूरी कर ली है। अब उन्हें क्रमोन्नति का लाभ मिलना है, पर पुराने नियम इसमें बाधा बन गए हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों के अनुसार नियोक्ता ही कोई लाभ दे सकता है। पुराने संवर्ग में व्याख्याता की नियुक्ति आयुक्त लोक शिक्षण, उच्च श्रेणी शिक्षक की संभागीय संयुक्त संचालक और सहायक शिक्षक की जिला शिक्षा अधिकारी करते हैं। यही फार्मूला नए संवर्ग (उच्च माध्यमिक शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक और प्राथमिक शिक्षक) पर भी लागू होता है, पर वर्ष 2014 में आयुक्त ने काम का बोझाकम करने के लिए अपने अधिकार संभागीय संयुक्त संचालक को ट्रांसफर कर दिए और संभागीय संयुक्त संचालक ने जिला शिक्षा अधिकारी को। यानी नियुक्ति भले ही आयुक्त ने की हो, पर व्याख्याता संवर्ग को अन्य लाभ संभागीय संयुक्त संचालक देंगे और उच्च श्रेणी शिक्षक व सहायक शिक्षक को जिला शिक्षा अधिकारी। इन शिक्षकों के संबंध में भी ऐसा ही करने का इरादा है। पूर्व आयुक्त लोक शिक्षण इस झमेले में नहीं पड़ना चाहते थे। इसलिए पुराने नियमों का सहारा लेकर मूल नियमों में परिवर्तन कराकर उच्च माध्यमिक शिक्षक की क्रमोन्नति के अधिकार संभागीय संयुक्त संचालक और माध्यमिक शिक्षक के अधिकार जिला शिक्षा अधिकारी को देने की नोटशीट चला दी। वहीं जनजातीय कार्य विभाग के कर्मचारियों को मूल नियमों के तहत लाभ मिल रहा है।
अधिकारियों ने आदेश किए, तो हो गई वसूली
प्रदेश में ऐसे भी मामले सामने आए हैं। जिनमें नई व्यवस्था के तहत अधिकारियों ने कुछ शिक्षकों के क्रमोन्नति के आदेश जारी कर दिए हैं। ऐसे प्रकरणों में सरकारी धन का दुरुपयोग मानते हुए वसूली के आदेश दिए गए हैं। जिनमें लाभ ले चुके शिक्षकों के वेतन से राशि वसूली जा रही है।
क्रमोन्नति या समयमान, फिर होगा झमेला
प्रदेश में समयमान वेतनमान देने की व्यवस्था भी लागू है। यदि विभाग क्रमोन्नति देता है, तो उसे सेवा अवधि की गणना 12 साल के मान से करना होगी और समयमान देता है तो 10 साल से। यदि सरकार ने समयमान देने का निर्णय लिया, तो विभाग को पूर्व नियोक्ताओं से ही आदेश करना होंगे।
ऐसे घूम रही नोटशीट
लोक शिक्षण संचालनालय ने 12 मार्च 2021 को जावक क्रमांक 1386 से इन कर्मचारियों की क्रमोन्नति एवं समयमान का प्रस्ताव शासन को भेजा। यह नोटशीट 13 अगस्त 2021 को प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा के कार्यालय से आयुक्त लोक शिक्षण को भेजा गया। आयुक्त लोक शिक्षण ने 23 अगस्त को नोटशीट प्रमुख सचिव को लौटा दी, जो उनके कार्यालय में 26 अगस्त 2021 को पहुंची। फिर से वित्त विभाग को भेजी गई।
अपने अधिकार के लिए शिक्षकों को परेशान होना पड़ रहा है। मैं मुख्यमंत्री, स्कूल शिक्षा मंत्री, विभाग की प्रमुख सचिव से निवेदन कर चुका हूं। फिर भी देरी हो रही है। इस कारण कर्मचारी सरकार के खिलाफ लामबंद होते हैं।
-भरत पटेल, अध्यक्ष, आजाद अध्यापक-शिक्षक संघ मप्र