‘अविश्वास’ में होगा कर्ज, महंगाई और घोटालों का खुलासा

मप्र

– शीतकालीन सत्र में आक्रामक होगी कांग्रेस

भोपाल/गौरव चौहान/ बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में राजनीति में नवंबर-दिसंबर का महीना उठापटक वाला रहने वाला है। विधानसभा चुनाव से एक साल पहले होने वाले शीतकालीन सत्र में जहां एक तरफ  सत्र हंगामेदार होने की संभावना है, वहीं इसी सत्र में कांग्रेस शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है।
पार्टी ने इसकी जिम्मेदारी नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को दी है। सिंह ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी है। इस अविश्वास प्रस्ताव में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और भर्ती घोटाला मुख्य मुद्दे होंगे। उधर भाजपा भी कांग्रेस को जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। यानी शीतकालीन सत्र में मप्र में कोई बड़ा खेला हो सकता है। शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ कांग्रेस तीसरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में जुट गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी की जिम्मेदारी सौंपी है। इस काम में पूर्व विधायक पारस सकलेचा सहयोग कर रहे हैं। विधायकों से भी भ्रष्टाचार संबंधी प्रमाणिक जानकारियां मांगी जा रही हैं।  कांग्रेस विधायक दल ने वर्ष 2013 में शिवराज सरकार के विरुद्ध आखिरी बार अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, लेकिन इस पर सदन में चर्चा नहीं हो पाई थी। इसके पहले वर्ष 2011 में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, जिस पर चार दिन सदन में चर्चा हुई थी। सूत्रों का कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मुख्य मुद्दा बनाया जाएगा। अभी तक सरकार के ऊपर तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक का ऋण हो चुका है। पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 30 लाख से अधिक है। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस की मूल्य वृद्धि से हर व्यक्ति परेशान है। अनुसूचित जनजाति और जाति वर्ग पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं और कार्रवाई नहीं हो रही है। कारम बांध में जिस तरह अधिकारियों की ठेकेदारों से मिलीभगत की बात सामने आई है, उसे मुद्दा बनाया जाएगा। नर्सिंग कालेज, पुलिस भर्ती घोटाला, ओबीसी आरक्षण सहित अन्य विषयों को लेकर भी पार्टी स्तर पर तैयारी की जा रही है। आदिवासी क्षेत्रों में जैविक खाद के वितरण की गड़बड़ी को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
भिंड के नेता की बगावत से गिर गया था प्रस्ताव
प्रदेश में शिवराज सरकार के खिलाफ कांग्रेस अभी तक दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाई है। पहले वर्ष 2011 में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, जिस पर चार दिन सदन में चर्चा हुई थी। उसके बाद जुलाई 2013 में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष रहे अजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव रखा था, जो उप नेता प्रतिपक्ष राकेश सिंह चतुर्वेदी के भाजपा में चले जाने से गिर गया था।  इसके बाद 2013 से 2018 के बीच विधानसभा में कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया। अब अगले साल विधानसभा के चुनाव होना है जिसके चलते कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की है जिसकी बिंदुबार तैयारी की जा रही है। इस बार भिंड से ही आने वाले डॉ. गोविंद सिंह को अविश्वास प्रस्ताव लाने की जिम्मेदारी दी गई है।
अविश्वास प्रस्ताव के लिए तैयार हो रही आरोपों की सूची
कांग्रेस का आरोप है कि राज्य सरकार लगातार सरकारी, सार्वजनिक उपक्रमों की संपत्तियां बेच रही है। प्रदेश पर लगातार कर्ज बढ़ रहा है जो इस वित्तीय वर्ष के अंत में सवा 3 लाख करोड़ से ज्यादा हो जाएगा। प्रदेश में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 30 लाख से अधिक है। सरकारी विभागों में एक लाख से ज्यादा पद  खाली पड़े हैं, रोजगार नहीं मिल रहा है। 2013 से अब तक आम जनता के रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुएं महंगी होती जा रही हैं। गैस सिलेंडर अब 1053 रुपए का हो गया है। पेट्रोल की कीमतें 40 और डीजल 75 फीसदी तक महंगा हो गया है। सरसों तेल 200 रु. किलो और आटा 40 रु. प्रति किलो हो गया है। प्रदेश में ई-टेंडरिंग घोटाले की परत दर परत सच्चाई सामने आ रही है। कारम डेम फूट गया, अन्य नए बने बांधों की हालत जर्जर है। पुल, पुलिया उखड़ रही हैं। व्यापमं के बाद प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज घोटाला, पुलिस भर्ती घोटाले समेत अन्य घोटाले हुए हैं। प्रदेश सरकार की पिछड़ा वर्ग विरोधी नीतियों के चलते अब तक प्रदेश में 52 फीसदी आबादी वाले ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है।
जुटाए जा रहे हैं तथ्य
अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरकार को घेरने के लिए तथ्य जटाए जा रहे हैं। इसे लेकर बैठकों का दौर भी शुरू हो गया है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को इसमें कुछ सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी भी सहयोग कर रहे हैं। उधर, पार्टी के विधायकों से कहा गया है कि वे भ्रष्टाचार से जुड़े प्रामाणिक मुद्दे दें, ताकि उन्हें अविश्वास प्रस्ताव में शामिल किया जा सके। पूर्व विधायक पारस सकलेचा भी इस काम में सहयोगी की भूमिका निभा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने बताया कि हम मानसून सत्र में ही अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहते थे, इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अनुरोध किया था कि मानसून सत्र की अवधि कम से कम 20 दिन रखी जाए। सत्र पांत्र दिन के लिए बुलाया गया है। इसमें पहले दिन दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी जाएगी और फिर सरकार अनुपूरक बजट प्रस्तुत करेगी। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराने के लिए समय नहीं बचेगा। इसे ध्यान में रखते हुए विधानसभा के नवंबर-दिसंबर में होने वाले शीतकालीन सत्र में अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाएगा। यदि तब भी सरकार सत्र की अवधि पर्याप्त नहीं रखती है तो सदन में ही धरना दिया जाएगा।

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