
- एक बार फिर विवादों में मप्र लोक सेवा आयोग
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र लोक सेवा आयोग का विवादों से ऐसा नाता हो गया है कि उससे उसे मुक्ति नहीं मिल पा रही है। दरअसल, आयोग हर बार भर्ती परीक्षाओं में कुछ ऐसे कदम उठाता है, जिससे वह विवादों में फंस जाता है। ताजा मामला राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2025 को लेकर सामने आया है। दरअसल, राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 17 जनवरी दोपहर 12 बजे तक थी इस वजह से बड़ी संख्या में अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर पाए थे और वे आवेदन की तारीख बढ़ाने की मांग कर रहे थे। लेकिन, उनके लिए तारीख नहीं बढ़ाई गई। कई अभ्यर्थी व्यक्तिगत कारणों से कोर्ट चले गए। ऐसे अभ्यर्थियों के लिए आवेदन की तारीख 6 फरवरी तक कर दी गई। लेकिन, इसमें छूटे हुए अन्य अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया गया। इस वजह से पीएससी पर भेदभाव किए जाने के आरोप लग रहे हैं। आवेदन भरने से वंचित रहे अभ्यर्थी मप्र लोक सेवा आयोग पर आरोप लगा रहे हैं कि उसने भेदभाव किया है। अभ्यर्थी गौरव शर्मा ने बताया आमतौर पर आवेदन की अंतिम तारीख वाले दिन आवेदन रात तक भरे जाते हैं। लेकिन, इस परीक्षा के लिए दोपहर 12 बजे तक का ही समय दिया गया था। इस कारण बहुत से अभ्यर्थी सर्वर डाउन होने या अन्य कारणों के चलते आवेदन नहीं कर सके थे और वे तारीख बढ़ाने की मांग कर रहे थे। एक अन्य अभ्यर्थी मनोज का कहना है जब कोर्ट जाने वाले अभ्यर्थियों को आवेदन दोबारा किए जाने के लिए समय दिया गया है तो बाकियों के लिए भी दिया जाना चाहिए था। जो अभ्यर्थी व्यक्तिगत कारण जैसे भूतपूर्व सैनिक, दिव्यांगता आदि के संबंध में कोर्ट गए थे उनके लिए तारीख बढ़ा दी गई। दोबारा से आवेदन की तारीख पहले 3 से 5 फरवरी की गई थी, जिसे एक दिन और बढ़ाकर 6 फरवरी कर दिया गया। उन्हें कोर्ट केस कैंडिडेट लॉगिन दिया गया है, जिसे ओपन कर वे आवेदन कर सकते हैं।
22 अफसर बनाए गए ऑब्जर्वर
राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा के लिए पीएससी ने 22 ऑब्जर्वर बनाए है। इस बार ज्यादातर रिटायर्ड आईएएस और आईपीएस अफसरों को यह जिम्मेदारी दी गई है। पीएससी के पूर्व चेयरमैन व पूर्व सदस्यों को भी ऑब्जर्वर का जिम्मा सौंपा गया है। पीएससी परीक्षा में न केवल जबरदस्त सख्ती करने जा रहे हैं, बल्कि नकल सामग्री का उपयोग करने वाले अभ्यर्थियों के खिलाफ इस बार सख्त कार्रवाई भी होगी। पीएससी ने इस बार अपने समय से सख्त माने जाने वाले पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को ऑब्जर्वर बनाया है। 158 पदों के लिए परीक्षा 2 शिफ्ट में होगी पेपर लीक से लेकर नकले और अन्य गड़बडिय़ां रोकने के लिए पीएससी ने प्रारंभिक परीक्षा में सख्त मॉडल तैयार किया है। इसके तहत रिटायर्ड पुलिस व प्रशासनिक अफसरों के साथ जजों को भी ऑब्जर्वर के तौर पर नियुक्त किया जा रहा है। इंदौर, भोपाल जैसे संभागों में तय संख्या से ज्यादा ऑब्जर्वर बनाए गए हैं। दरअसल, 158 पदों के लिए पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा 2 शिफ्ट में होगी। इसके लिए 1 लाख 18 हजार आवेदन मिले हैं। इस बार जिन अफसरों कोऑब्जर्वर बनाया गया है उनमें पुलिस अधिकारी रहे पन्नालाल सोलंकी, रिटायर्ड आईएएस शेखर वर्मा, डॉ। अशोक कुमार भार्गव, शिवनारायण सपला, रिटायर्ड जिला न्यायाधीश अनिल पारे, पीएससी के चेयरमैन रहे बिपिन ब्यौहार, पीएससी के ही सदस्य रहे देवेंद्र सिंह मरकाम, रिटायर्ड उच्च न्यायाधीश राजेंद्र महाजन, रिटायर्ड प्रधान मुख्य वन संरक्षक आनंद विहारी व पीसी दुबे के साथ ही पीएससी की सक्रेटरी रही रेणु पंत को भी ऑब्जर्वर बनाया गया है।
सर्वर डाउन होने के कारण बदली व्यवस्था
पीएससी के ओएसडी डॉ. रवींद्र पंचभाई के मुताबिक केवल कोर्ट गए अभ्यर्थियों के लिए आवेदन दोबारा भरे जाने की अनुमति दी गई है। यह सभी के लिए नहीं है। उन्होंने बताया कि पहले मध्यरात्रि तक आवेदन होते थे,लेकिन इस दौरान कई बार सर्वर डाउन होने जैसी समस्या आती थी। इस वजह से इसे दोपहर 12 बजे तक किया गया था। वैसे भी विज्ञापन में समय का उल्लेख होता है। अभ्यर्थियों को यह देखना चाहिए था। इस परीक्षा के प्रवेश पत्र 11 फरवरी को जारी कर दिए जाएंगे। परीक्षा 16 फरवरी को होगी। पहला पेपर सामान्य अध्ययन और दूसरा पेपर सामान्य अभिरुचि परीक्षण का होगा।