बांध मांगे पानी और जनता मांगे बिजली

 बिजली उत्पादन
  • ताप और जल विद्युत गृहों में मांग के मुकाबले बिजली का उत्पादन हो रहा कम

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बिजली उत्पादन में एक तरह से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे मप्र में इन दिनों बिजली की मांग बढ़ गई है। लेकिन मांग के अनुसार उत्पादन नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह यह है कि प्रदेश के बांधों में पानी की कमी है और रबी सीजन के चलते प्रदेश में बिजली की मांग 15 हजार मेगावॉट पहुंच गई है। इसके मुकाबले मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के ताप और जल विद्युत गृहों में मांग के मुकाबले बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा है। ताप विद्युत गृहों में जहां कई ईकाइयां बंद हैं, वहीं बांधों में पिछले साल के मुकाबले जलस्तर कम होने के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है। जानकारी के अनुसार, जनरेटिंग कंपनी के ताप विद्युत गृहों की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 5420 मेगावॉट है, लेकिन यहां से कंपनी को 3487 मेगावॉट बिजली ही मिल रही है। वहीं 915 मेगावॉट वाले जल विद्युत गृहों से 3 प्रतिशत यानी 249 मेगावॉट बिजली मिल रही है। इसलिए बिजली कंपनियों को मांग पूरी करने के लिए बिजली खरीदना पड़ रहा है। फिलहाल इस संकट का हल होता नहीं दिखाई दे रहा है, क्योंकि बांध पानी से नहीं भरे हैं तो बिजली उत्पादन प्रभावित रहेगा ही। रबी सीजन के चलते प्रदेश में बिजली की मांग 15 हजार मेगावॉट पहुंच गई है। इसके मुकाबले मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के ताप और जल विद्युत गृहों में मांग के मुकाबले बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा है। ताप विद्युत गृहों में जहां कई इकाइयां बंद हैं, वहीं बांधों में पिछले साल के मुकाबले जलस्तर कम होने के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है। बारिश के मौसम में प्रदेश के सभी बांध लबालब होने के कारण जनरेटिंग कंपनी के जल विद्युत गृहों की सभी इकाइयां फुल लोड पर चलीं। बारिश थमने के बाद भी बिजली का उत्पादन फुल लोड पर हुआ। इसलिए बांधों का जल स्तर पिछले साल के जल स्तर से नीचे पहुंच गया। नतीजतन अब कंपनी के 915 मेगावॉट क्षमता वाले उत्पादन गृहों से केवल 249 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है।
ताप विद्युत गृहों की स्थिति ठीक नहीं
मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के ताप विद्युत गृहों की स्थिति ठीक नहीं है। सारणी ताप विद्युत गृह की उत्पादन क्षमता 500 मेगावॉट है, जबकि उत्पादन 503 मेगावॉट हो रहा है। अमरकंटक ताप विद्युत गृह की क्षमता 210 मेगावॉट है। यहां 213 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है। अन्य ताप विद्युत गृह अपनी कुल क्षमता का 90 प्रतिशत भी उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। बिरसिंहपुर ताप विद्युत गृह की क्षमता 1340 मेगावॉट है, लेकिन यहां महज 1075 मेगावॉट हो रहा है। इसी सिंगाजी ताप गृह में 2520 मेगावॉट के मुकाबले 1699 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो पा रहा है। बता दें, पिछले साल एक नवंबर को प्रदेश में बिजली की मांग 13157 मेगावॉट थी। लेकिन इस बार डिमांड 14 हजार 875 मेगावॉट पहुंच गई। 31 अक्टूबर को यह मांग सर्वाधिक 14 हजार 940 रही। अंदाजा लगाया जा रहा है कि बिजली की डिमांड पिछले साल के मुकाबले इस साल लगभग डेढ हजार मेगावॉट अधिक हो सकती है। नवंबर के पहले सप्ताह तक मांग का ग्राफ 16 हजार मेगावॉट और दिसंबर में 18 हजार मेगावॉट तक पहुंच सकता है।

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