दमोह लोकसभा: प्रहलाद पटेल के सामने अस्तित्व का संकट

 प्रहलाद पटेल

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश भाजपा के कद्दावर नेता और केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के सामने इस बार अभी से दमोह संसदीय सीट पर अस्तित्व का संकट दिखना शुरू हो गया है। इसकी वजह है इस सीट पर हाल ही में हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की बड़ी हार। इसकी वजह इस क्षेत्र में लोधी विरुद्ध आल का उपचुनाव में समीकरण बनना।
 इस लोधी बाहुल्य विधानसभा सीट के उपचुनाव के जिस तरह के परिणाम आए हैं, उससे यह तो तय हो गया है कि अब यह सीट भाजपा के लिए आसान नहीं रह गई है। इसकी वजह है राहुल का अपने ही घर के बूथ पर हार जाना और शहरी इलाके के साथ ही ग्रामीण इलाके में भी हार का सामना करना। खास बात यह रही की मतगणना में हर चक्र में कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा से आगे ही रहा है। यही वजह है कि इन दिनों प्रहलाद पटेल पहले से अधिक सक्रिय नजर आने लगे हैं। दमोह सीट वैसे तो भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है , लेकिन बीते दो चुनावों से जिस तरह से इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हुई है, उसने भाजपा नेताओं को चिंता में डाल दिया है। दरअसल उपचुनाव से पहले जिस तरह से बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की तर्ज पर गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक भार्गव ने जयंत मलैया के पुत्र सिद्धार्थ की रैली में पूरे लाव लश्कर के साथ शामिल होकर यह संदेश दे दिया है कि अब दोनों नेता पुत्र एक हो चुके हैं। दरअसल बीते लोकसभा चुनाव के पहले अभिषेक ने इस संसदीय सीट से बतौर भाजपा प्रत्याशी बनने के लिए कड़ी मेहनत की थी। वे लगातार इस सीट से टिकट की दावेदारी भी कर रहे थे , लेकिन ऐनवक्त पर पार्टी ने प्रहलाद पटेल को प्रत्याशी बना दिया था।
इसके बाद से ही इस सीट पर लगातार राजनैतिक समीकरण बदल रहे हैं। परिणामस्वरुप बीते आम चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता और सात बार विधायक रह चुके जयंत मलैया को मामूली मतों से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद प्रहलाद पटेल और उमाभारती ने कांग्रेस के टिकट पर जीते राहुल लोधी को भाजपा में न केवल शामिल कराया बल्कि उन्हें उपचुनाव में टिकट भी दिलवा दिया। यही नहीं राहुल की जीत के लिए प्रहलाद के साथ ही उमा भारती भी पूरी तरह से सक्रिय रहीं , लेकिन उनकी यह सक्रियता राहुल के काम नहीं आ सकी है। इससे एक बार फिर मलैया व भार्गव के पुत्र एक साथ खड़े हो गए। इस उपचुनाव के बाद से अब पटेल भाजपा के प्रदेश स्तर पर भोपाल में हुए प्रदर्शन में भी शामिल हुए। यही वजह है कि उनकी सक्रियता के मायने भी तलाशे जा रहे हैं। दरअसल जिस तरह से इस सीट पर सभी प्रदेश के बड़े लोधी नेता एकजुट नजर आए उसने अन्य वर्ग के लोगों को एकजुट कर दिया है। इसके परिणाम स्वरूप भाजपा प्रत्याशी राहुल को हार का मुंह देखना पड़ा है।
इस हार के बाद से प्रहलाद पटेल ट्वीट के माध्यम से अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। राहुल और प्रहलाद का निशाना पूरी तरह से मलैया परिवार पर माना जा रहा है। दरअसल अब राहुल के साथ ही प्रहलाद पटेल व अन्य लोधी नेता भी चाहते हैं कि मलैया पर कार्रवाई हो, लेकिन मलैया भी पुराने दिग्गज नेता है, जिन पर कार्रवाई करना संगठन के लिए आसान नही है। अब माना जा रहा है कि जिस तरह से अभिषेक और सिद्धार्थ एक साथ खड़े दिख रहे हैं उससे अगले लोकसभा चुनाव में प्रहलाद की  राह भी कठिन दिखना शुरू हो गई है।

उमा के करीबी है प्रहलाद
प्रहलाद पटेल को प्रदेश की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का बेहद करीबी माना जाता है। यही वजह है कि उमा भारती के भाजपा छोड़ने के बाद प्रहलाद ने भी भाजपा को छोड़ दिया था। उमा की भाजपा में वापसी के बाद प्रहलाद भी भाजपा में आ गए थे और बतौर भाजपा प्रत्याशी दमोह से चुनाव लड़कर सांसद बने । इसके बाद उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री बना दिया गया। दमोह सीट पर बदले समीकरणों की वजह से ही शायद प्रहलाद पटेल इन दिनों बेहद सक्रिय बने हुए हैं। वे पांच मई को कलेक्टर कार्यालय में हुई बैठक में भी शामिल हुए।

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