दलित छात्रों को मिल रही महज 10 माह की ही छात्रवृत्ति

  • कॉलेजों में पढ़ रहे अनुसूचित जनजाति के छात्रों के साथ भेदभाव

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम मप्र के कॉलेजों में पढ़ रहे अनुसूचित जनजाति के छात्रों के साथ भेदभाव का मामला सामने आया है। दरअसल, आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रों को 12 महीने की जगह सिर्फ 10 महीने ही शिष्यवृत्ती दी जा रही है। जबकि अनुसूचित जाति के कॉलेज विद्यार्थियों को 12 महीने शिष्यवृत्ती मिल रही है। विभाग द्वारा अनुसूचित जाति और जनजाति दोनों वर्ग के विद्यार्थियों को कॉलेज में पढ़ने के लिए छात्रावास की सुविधा दी जाती है, लेकिन भोजन के लिए प्रतिमाह मिलने वाले शिष्यवृत्ति की राशि अलग-अलग दी जा रही है। इससे अनुसूचित जनजाति के छात्रों में रोष और निराशा है।
प्रदेश के 152 छात्रावासों में अनुसूचित जनजाति के 8635 छात्र कॉलेजों में पढ़ रहे हैं। गौरतलब है कि एससी-एसटी वर्ग के छात्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पहली कक्षा से कॉलेज तक 2664 छात्रावास संचालित हो रहे हैं। इसमें 968 बालिकाओं के लिए तो 1696 बालकों के लिए हैं। इसमें बालक-बालिकाओं को शिष्यवृत्ति (खाना-नाश्ता) के लिए 1650 रुपए की राशि मिलती है। जिसमें प्रतिमाह पॉकेट खर्च के लिए प्रति छात्र 200 रुपए भी दिए जाते हैं। वहीं भोपाल में 68 छात्रावास का संचालित हैं। इनमें कॉलेज विद्यार्थियों के लिए 12 अनुसूचित जाति और 6 अनुसूचित जनजाति के छात्रावास संचालित हो रहे हैं।   प्रदेश में स्कूल शिक्षा साल में सिर्फ 10 माह संचालित होती है। जबकि कॉलेज का संचालन पूरे साल होता है। इसी के चलते आदिम जाति कल्याण विभाग एससी- एसटी के स्कूली छात्रावासों में शिष्यावृत्ति (खाना-नाश्ता) के लिए 10 माह की राशि देता है। विभाग द्वारा इसी आधार पर कॉलेज के छात्रावासों में भी 10 महीने की राशि ही दी जा रही है। ऐसे में कॉलेज छात्रों के सामने दो महीने भोजन नहीं मिलने की समस्या हर साल रहती है। बावजूद इसके इसे लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। विभाग के अफसर भी इस गफलत को दूर करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं।
दोहरे नियम के कारण पढ़ाई बाधित
आदिम जाति कल्याण विभाग के दोहरे नियम के कारण छात्रावास में रहने वाले विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही है। दरअसल, 2016 में शासन ने दोनों वर्गों के कॉलेज छात्रों के लिए योजना की शुरुआत की थी। शासन द्वारा पहले वर्ष से ही एससी-एसटी दोनों छात्रावास में विद्याथियों को 12 माह की बजाए 10 माह की शिष्यवृत्ती ही देना शुरू की। जिस पर दोनों वर्ग के छात्रावासों की ओर से आपत्ति उठाई गई। आपत्ति जाताते हुए विभागीय अफसरों को बताया गया कि चूंकि कॉलेज सालभर संचालित होते हैं। इसलिए बारह माह की राशि दी जानी चाहिए। इसके लिए प्रतिवेदन बनाकर शिष्यवृत्ति की राशि 12 माह करने के लिए अपील भी की गई, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने भेदभाव स्वरूप सिर्फ एससी वर्ग के छात्रावास की अपील ही स्वीकार की और उन्हें 12 माह की शिष्यवृत्ति मिलने लगी, लेकिन एसटी वर्ग के छात्रावास की अपील खारिज कर दी गई। इस मामले में विभाग के आला अफसरों से लेकर निचले स्तर तक कोई बात करने को तैरूार नही है।
3 माह से राशि ही नहीं आई
आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा जनजातीय छात्रों को शिक्षा-सुविधा देने के लिए प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर तक पढऩे के दृष्टिगत छात्रावास की व्यवस्था के साथ ही भोजन के लिए शिष्यवृत्ति दी जाती है। जिसमें आश्रम शालाएं, जूनियर, सीनियर, उत्कृष्ट सहित महाविद्यालय छात्रावास में खाना-नाश्ता की राशि 3 माह से नहीं दी गई है। इसी कारण छात्रावासों की जिम्मेदारी संभालने वालों को खाना देने की चुनौती बनी हुई है। उनके द्वारा जैसे-तैसे एक माह तो खाना दे दिया गया, लेकिन दूसरे माह खाना-नाश्ता देना बड़ी मुसीबत बन गया है। ऐसे हालात तब हैं, जब शिष्यवृत्ति की राशि पहले ही काफी कम है। राशि नहीं मिलने की स्थिति में एसटी के छात्रावासों में विद्यार्थियों को कैसे और कितना खाना मिल पा रहा होगा? बीते सालों पर नजर डालें तो प्रशासन द्वारा छात्रावास के संचालन सहित शिष्यवृत्ति के लिए एक साथ तीन माह की राशि डाली जाती थी।

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