मांग से अधिक क्षमता के बाद भी शुरू हुई कटौती

कटौती

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बिजली महकमे के कुप्रबंधन की वजह से प्रदेश में गर्मी से पहले ही किसानों को बिजली कटौती की गंभीर समस्या से जूझना पड़ रहा है। यह स्थिति प्रदेश में तब बनी हुई है, जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में कुल 22730 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है, जबकि अभी मांग महज 14 हजार मेगावॉट की ही है। चुनावी मौसम में शुरु हुई इस कटौति की वजह से अब सरकार भी सकते में है। दरअसल सरकार के आंकड़े कहते हैं प्रदेश सरकार के संयत्रों के अलावा अन्य क्षेत्रों से उत्पादित बिजली में प्रदेश का बड़ा हिस्सा है। इस हिसा बसे प्रदेश में मौजूदा मांग की तुलना में डेढ़ गुना अधिक की भी वृद्धि हो जाए तो कटौती नहीं होनी चाहिए, लेकिन जिस तरह से कटौती शुरु की गई है, उससे सरकारी दावों पर सवाल खड़े होने लगे हैं। प्रदेश का ऊर्जा विभाग द्वारा कई सालों से लगातार बिजली उत्पादन सरप्लस होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन मांग बढ़ते ही इन दावों की हवा निकल जाती है। अगर मौजूदा मांग और सरकारी दावों से तुलना करें तो अभी भी उत्पादन की तुलना में आठ हजार मेगॉवाट कम ही बनी हुई है। अहम बात यह है कि यह कटौति भी ऐसे समय की जा रही है जब किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए सर्वाधिक बिजली की जरुरत है। गौरतलब है कि प्रदेश में इस बार अभी तक कम बारिश हुई है। ऐसे में किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए अब सिंचाई कर रहे हैं। इधर, बिजली कंपनियों ने किसानों और गांवों को मिलने वाली 10 घंटे की बिजली में कटौती कर दी है। अब किसानों और गांवों में 10 घंटे की जगह अब 7 घंटे ही बिजली दी जा रही है। ऐसे में अब किसानों के लिए खराब हो रही फसलों को बचाना भी मुश्किल हो जाएगा। प्रदेश में 13 जनवरी 2023 को बिजली की डिमांड 17170 मेगावाट तक पहुंच गई थी। इसके बाद भी बिजली में कटौती नहीं की गई थी। इधर, 14 हजार मेगावाट की डिमांड पहुंचने पर ही बिजली में कटौती शुरु कर दी गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के ताप विद्युत ग्रहों में 5400 और जल विद्युत परियोजनाओं की उत्पादन क्षमता 915 मेगावाट की है। इस तरह से कुल 6315 मेगॉवाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। इसी तरह से संयुक्त क्षेत्र के संयत्रों में भी प्रदेश का कोटा 2484 मेगावाट का है, जबकि केन्द्रीय क्षेत्र में प्रदेश्ख का 5251 और दामोदर घाटी में 100, निजी क्षेत्र में 3401 और नवकरणीय ऊर्जा से 5171 मेगावॉट बिजली उत्पान का दावा किया जाता है।
इस तरह लागू किया कटौती का प्लान
प्रदेश के जिलों को तीन श्रेणीयों में बांटा गया है। इसमें ग्रामीण इलाकों वाले जिलों में अब होने वाली सप्लाई 7 घंटे तक ही रहेगी। 24 घंटे के अंतराल में 17 घंटे तक कटौती इन फीडर्स पर की जाएगी। बिजली कंपनियों द्वारा अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के लिए 10 घंटे बिजली दी जाती रही है, लेकिन बारिश के संकट के चलते बने हालातों को देखते हुए अब 24 घंटे में 7 घंटे ही ग्रामीण फीडर्स पर सप्लाई किए जाने का निर्णय लागू कर दिया गया है। ,जबकि इन जिलों में ही सर्वाधिक बिजली की मांग है।
कम वर्षा का बनाया बहाना
ऊर्जा विभाग ने कम बारिश के नाम पर बिजली कटौती की है, जबकि जल विद्युत गृहों पर निर्भरता कम है। मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के जल विद्युत गृहों से महज 921.58 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। यानी जलविद्यत गृहों में अगर उत्पादन कम भी होता है, तो भी सरप्लस बिजली होने पर दिक्कत नहीं होगी। जल विद्युत गृहों में पहले से ही उत्पादन कम हो रहा है। पिछले साल ज्यादा बारिश होने के बाद भी उत्पादन में कोई वृद्धि नहीं हुई थी।

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