पूर्वानुमान को लेकर उत्सुकता… 6 बजे का है इंतजार

  • गौरव चौहान
पूर्वानुमान

तेलंगाना में आज शाम मतदान समाप्त होते ही तमाम टीवी चैनलों पर एग्जिट पोल्स आना शुरु हो जाएंगे। फिलहाल चुनाव आयोग ने तमाम राज्यों में मतदान होने के बाद भी 30 नवंबर को शाम छह बजे तक के लिए प्रतिबंध लगा रखा था। इसकी वजह है, तेलंगाना में आज मतदान होना। इस बार मप्र सहित तमाम राज्यों में मतदाताओं ने मौन साध रखा है, जिसकी वजह से किस की सरकार बन सकती है, इसको लेकर अनुमान लगाना बेहद कठिन बना है।  यही नहीं इस बीच कांग्रेस व भाजपा के बीच हिंदी भाषी राज्यों के बीच बेहद कड़ा मुकाबला भी हुआ है, जिसकी वजह से राजनैतिक विशेषक भी इस मामले में खुलकर कुछ नहीं बाल पा रहे हैं। यही वजह है कि इस बार लोगों की नजर एग्जिट पोल्स पर खासतौर पर बनी हुई है। दरअसल, बीजेपी ने विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अपने कई दिग्गजों को चुनावी मैदान में उतारा है। जिसमें से कोई सांसद, कोई मंत्री तो कोई पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव है। इन दिग्गज नेताओं की विधानसभा सीट के एग्जिट पोल के नतीजों पर भी लोगों की नजर रहने वाली है। पार्टी ने इस बार प्रदेश में 7 सांसदों को विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया है।
कुछ ही पहुंच पाए थे परिणाम के आसपास
बीते दो विधानसभा चुनाव में यानी की साल 2013 और 2018 में कुछ ही एग्जिट पोल्स सटीक परिणाम के आसपास पहुंच सके थे। हालांकि, उसमें मिले संकेत बिल्कुल सटीक रहे थे। मसलन 2013 में भाजपा की जीत और 2018 में कांटे के मुकाबले का अनुमान एग्जिट पोल्स ने सही बताया था। मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों के लिए 17 नवंबर को मतदान हो चुका है। विधानसभा चुनावों के सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए इस बार मप्र में 77.15  प्रतिशत मतदान हुआ है। अगर बीते चुनाव की बात की जाए तो 2018 में 74.97 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार सिवनी में सबसे अधिक 86.29 फीसदी मतदान हुआ है। वहीं, छिंदवाड़ा में 85.85 फीसदी  , बालाघाट में 85.35फीसदी , आगर मालवा में 85.09फीसदी  और शाजापुर में 85.01फीसदी मतदान हुआ है। पुरुष और महिला वोटरों की बात करें तो इस बार दोनों की ही हिस्सेदारी 2-2 बढ़ी है। इस बार 78 फीसदी पुरुषों ने 76 फीसदी महिलाओं ने मतदान किया है। प्रदेश में बीते दो दशक की बात की जाए तो, इस बीच हुए मतदान में महिलाओं की वोटिंग में 14 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है।
तीसरे दल व निर्दलीय हो सकते हैं इस बार भी महत्वपूर्ण  
2018 के चुनाव के बाद सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। इनकी संख्या 7 थी। सत्ता पलटने में इनमें से अधिकांश भाजपा के पाले में शामिल हो गए थे। इस बार  भी करीबी मुकाबले में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति निर्मित हुई तो सपा, बसपा और निर्दलीय जीते विधायकों की भूमिका अहम हो सकती है। इस बार भी सपा बसपा और निर्दलीय की संख्या पिछली बार जैसी रह सकती है। पिछली सरकारों में भी इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रह चुकी है। अगर मौजूदा विधानसभा के आंकड़ों को देखें तो भाजपा के विधायकों की संख्या 127 है, जबकि कांग्रेस के 97 विधायक हैं। दो बसपा, एक सपा और 4 निर्दलीय विधायक है। हालांकि बसपा का एक और सपा का एक विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं। बाद में टिकट न मिलने पर बसपा के विधायक संजीव सिंह फिर वापस लौट आए और बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 116 है।
ऐसे रहे थे पिछले एग्जिट पोल
साल 2018 में हुए चुनाव के एग्जिट पोल अधिकतर कांग्रेस के पक्ष में रहे थे। 2018 में 28 नवंबर को मतदान हुआ था। जिसके बाद इंडिया न्यूज का एग्जिट पोल, इंडिया टुडे- एक्सिस माय इंडिया, न्यूज 24 और न्यूज नेशन की ओर से जारी एग्जिट पोल में भाजपा और कांग्रेस के बीच करीबी मुकाबला बताया गया था। वहीं एबीपी और रिपब्लिक-सी वोटर सर्वे में कांग्रेस को भाजपा से अधिक सीटें मिलते हुए बताया गया था, जबकि टाइम्स नाउ- सीएनएक्स, रिपब्लिक-जन की बात, जी न्यूज और इंडिया टीवी ने अपने एग्जिट पोल में भाजपा को बढ़त बताई गई थी।
लाड़ली बहना और ओपीएस रहा मुद्दा
प्रदेश में कांग्रेस प्रत्याशियों को कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के भरोसे ही चुनाव प्रचार करना पड़ा है, जिसकी वजह से प्रचार के अंतिम दिनों में कांग्रेस प्रत्याशी अपने बलबूते पर ही किला लड़ाने पर मजबूर बने रहे, जबकि इसके उलट भारतीय जनता पाटी में संगठन पूरी तरह सक्रिय बना रहा। आखिरी 10 दिनों में भाजपा ने आक्रामक रुप से चुनाव लड़ा। भाजपा को लाड़ली बहना का मास्टर स्ट्रोक का सहारा है, तो इस बार कांग्रेस को ओपीएस का फायदा मिलने की उम्मीद है। लाड़ली बहना की वजह से ही प्रदेश में महिलाओं के अधिक मतदान की वजह माना जा रहा है तो, वहीं ओल्ड पेंशन स्कीम की वजह से सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारियों ने खुलकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया है।
सर्वाधिक दिनों का इंतजार
प्रदेश के विधानसभा चुनावों में इस बार 2533 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। इनके भविष्य का फैसला तीन दिसंबर को मतगणना के साथ हो जाएगा। प्रदेश में यह पहला मौका है ,जब मतदान और मतगणना में 16 दिन का अंतर रखा गया है। इसकी वजह से प्रत्याशियों के साथ- साथ आम लोगों में भी बेचैनी दिख रही है। पिछले चुनावों में नतीजों के लिए इंतजार को देखें तो वर्ष 1998 और 2003 में मतदान संपन्न होने के तीसरे दिन चुनाव परिणाम आ गए थे। इसके बाद 2008 में 11 दिन को तो 2013 और 2018 में 13 दिनों का इंतजार करना पड़ा था। इस वर्ष यह इंतजार बढक़र 16 दिन का हो गया है।

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