मध्यप्रदेश में बढ़ रहा ग्रामीण पर्यटन का क्रेज

ग्रामीण पर्यटन
  • 2026 तक गांवों में 1 हजार होमस्टे बनाने का लक्ष्य

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अपने वन क्षेत्र, प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक तथा ऐतिहासिक महत्व के कारण मप्र हमेशा से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। वहीं मप्र टूरिज्म विभाग ने जबसे होमस्टे योजना शुरू की है तब से ग्रामीण पर्यटन का क्रेज तेजी से बढ़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन बढऩे से अब गांव की अर्थ-व्यवस्था को मजबूती मिल रही है। अब तक प्रदेश में 306 होमस्टे बन चुके हैं। इनमें से 44 गांव में 140 होमस्टे बनाए गए हैं, जिन्हें किसानों और ग्राम वासियों ने अपने ही खेत या निवास के पास की जमीन पर बनाया है। सभी होमस्टे मप्र पर्यटन विभाग द्वारा पंजीकृत हैं। 2026 तक विभाग का लक्ष्य एक हजार होम स्टे बनाने का है।
मप्र पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। जनवरी 2023 से दिसंबर 2023 तक प्रदेश में 11 करोड़ 21 लाख पर्यटक पहुंचे, जिनमें विदेशी पर्यटकों की संख्या 1 लाख 83 हजार रही। दरअसल, हिन्दुस्तान का दिल गांव में बसता है और लोग भी सुकून के पलों की तलाश में गांव के प्राकृतिक सौंदर्य की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसे देखते हुए देश की हृदय स्थली मप्र के प्राकृतिक सौंदर्य, अमूल्य धरोहरों और ग्रामीण संस्कृति से पर्यटकों को रूबरू कराने के लिए मप्र टूरिज्म विभाग की होमस्टे योजना काफी हिट हो रही है। मप्र पर्यटन विकास निगम के प्रबंध संचालक डॉ. इलैया राजा टी ने बताया कि गांव में आगंतुकों को देने के लिए बहुत कुछ है, जिसमें विभित्र मेले और त्यौहार से लेकर स्थानीय कला और शिल्प, ग्रामीण जीवन का अनुभव जिसमें स्थानीय नृत्य, लोक संगीत और चूल्हे पर बने शानदार व्यंजन शामिल हैं। मेहमान स्थानीय समुदाय की मदद से गांव में विविध गतिविधियां कर सकते हैं, जिनमें मिट्टी की खुशबू को अहसास है। जैसे गायों दूध निकालना, खेती-बाड़ी करना, गेहूं पीसना, स्थानीय लोगों का के साथ जंगल और गांव की सैर, ट्रैकिंग और कैंपिंग और रात में कैंप फायर। लोगों को ट्रैवलिंग का एक विशेष अनुभव मिलता है।
ग्रामीणों की आय का नया जरिया
विलेज टूरिज्म शुरू होने से ग्रामीणों की आय का नया जरिया बना है। भोपाल, इंदौर, ओरछा, छिंदवाड़ा, उज्जैन, ओंकारेश्वर, चित्रकूट, मैहर, अमरकंटक और देवास होमस्टे के लिए भाषा और अलग-अलग  पारंपरिक भोजन हैं। यहां पर ही  आसपास का गांव में 41 होमस्टे हैं। भोपाल के पड़ोसी जिले सीहोर की ग्राम पंचायत है खारी। भोपाल से मात्र 24 किलोमीटर दूर गांव खारी और लगभग 30 किमी दूर रहा स्थित केकडिय़ा में रोजगार का नया मॉडल सबको पसंद आ रहा है। यहां के लोगों ने अपने आवास के आसपास ही होम स्टे बनाए हैं। खारी गांव के युवा अर्जुन सिंह गौर बताते हैं कि होम स्टे के लिए उन्हें पर्यटन विकास निगम से दो लाख की आर्थिक मदद मिली और शुरू किया तो पता लगा कि यह तो कमाल की योजना है। अभी 5 होमस्टे हैं, शेष 5 भी जल्द शुरू होने वाले हैं। हर महीने 10 हजार के आसपास बचत हो ही जाती है। देश-विदेश से लोग आते हैं, काफी कुछ नया सीखने को मिलता है। प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति विभाग  शिव शेखर शुक्ला का कहना है कि पर्यटकों को विलेज टूरिज्म और होमस्टे का कांसेप्ट बहुत पसंद आ रहा है। मप्र में अभी तीन सौ से अधिक होमस्टे हैं, इनमें से 140 गांव में हैं। 2026 तक कुल एक हजार माध्यम होमस्टे ग्रामीणों के लिए रोजगार के नए आयाम देंगे। मप्र पर्यटन विकास निगम होमस्टे बनाने की अनुमति देता है। ग्रामीण इलाके में होमस्टे बनाने के लिए अनुमानित लागत 5 लाख में से 2 लाख तक सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा   ट्रेनिंग, गाइडेंस भी दिया जाता है। इसी तरह से  शहरी क्षेत्रों में नियमों के आधार पर स्वीकृति देते हुए रजिस्ट्रेशन किया है। होमस्टे की अनुमति आवेदक के भूमि स्वामित्व, नजदीक में आवास, पक्की सडक़ से कनेक्टिविटी, आसपास का वातावरण आदि व्यवस्थाएं तय करने के बाद दी जाती है।

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