- राजधानी परियोजना प्रशासन की संपत्तियां लोक निर्माण विभाग के पास रहेगी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) का फिर से गठन होगा। सीपीए अगले वित्त वर्ष यानी एक अप्रैल से ही शुरू हो पाएगा। इसके पहले सीपीए का सेटअप नए सिरे से तैयार करना होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्र सरकार से सीपीए के पुनर्गठन के लिए आर्थिक व तकनीकी सहयोग मांगा है। यानी नवगठित सीपीए की शहर के विकास में भूमिका बढ़ भी सकती है। उधर, राजधानी परियोजना प्रशासन की संपित्तयों का आधिपत्य लोक निर्माण विभाग के पास ही रहेगा। सीपीए की संपत्तियां नगरीय विकास एवं आवास विभाग को हस्तारित नहीं की जाएंगी। गौरतलब है कि राज्य शासन ने प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग केपीएस राणा को राजधानी परियोजना का प्रशासक बनाकर उसके पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जल्द ही सीपीए में और नियुक्तियां की जाएंगी। पुराना सीपीए सडक़ों के साथ सरकारी भवन और पार्कों के निर्माण व मेंटेनेंस का काम करता था। सीपीए ने राजधानी बनने के बाद सरकारी मकानों और मंत्रालय व अन्य भवनों का निर्माण किया था। अब सीपीए का काम और क्षेत्र किया होगा इसका फिर से निर्धारण किया जाएगा। गौरतलब है कि तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर 3 मार्च, 2022 को कैबिनेट ने सीपीए को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद सीपीए में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ अधिकारियों-कर्मचारियों को मूल विभाग वापस लौटा दिया गया था। शहर की सडक़ और भवनों के मेंटेनेंस का काम पीडब्ल्यूडी और पार्कों के संधारण का दायित्त्व वन विभाग को सौंप दिया गया था। सीपीए दोबारा चर्चा में तब आया, जब गत मार्च में पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री कृष्णा गौर ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर सीपीए को दोबारा चालू करने की माग की। इसके बाद शासन ने सीपीए के पुनर्गठन की दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी। हालांकि कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने गत 4 जुलाई को विधानसभा को बताया था कि सरकार का सीपीए को फिर से शुरू करने का कोई विचार नहीं है।
हस्तांतरित नहीं होंगी संपत्तियां
दरअसल, नगरीय विकास एवं आवास विभाग की मंशा थी कि सीपीए की संपत्तियां उसे हस्तांतरित कर दी जाएं। विभाग ने सितंबर में पीडब्ल्यूडी को फाइल भेजकर इस संबंध में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मांगा था। इस संबंध में जब पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने विभागीय मंत्री राकेश सिंह से चर्चा की, तो उन्होंने दो टूक कहा था कि सीपीए किसी विभाग को नहीं सौंपा जाएगा। इसके बाद पीडब्ल्यूडी ने नगरीय विकास विभाग को इस पर अपना अभिमत देते हुए स्पष्ट कर दिया था कि वह सीपीए की संपत्तियां हस्तांतरित नहीं करना चाहता। पीडब्ल्यूडी ने अपने अभिमत में कहा था कि विभाग का मूल काम सिविल वर्क से जुड़ा है। हमारे पास इस कार्य के लिए विशेषज्ञ इंजीनियरों का बड़ा अमला है। विभाग दो साल से ज्यादा समय से सीपीए की संपत्तियों का मेंटेनेंस भलीभांति कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि पीडब्ल्यूडी के रुख को देखते हुए फिलहाल शासन ने सीपीए का आधिपत्य उससे वापस लेने के प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। जानकारी के अनुसार करीब पौने साल पहले सीपीए को बंद करने के बाद इसकी संपत्तियां (सडक़ों-बड़े सरकारी भवनों का मेंटेनेंस) लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित कर दी गई थीं।
यह था सीपीए का सेटअप
सीपीए के पुराने सेटअप में एक प्रशासक, एक उप प्रशासक और एक सुप्रिटेंडेंट इंजीनियर, तीन एक्जीक्यूटिव इंजीनियर और एक डीएफओ के साथ उनके अधीनस्थ अन्य इंजीनियर, वन अधिकारी आदि कार्यरत थे। अब सीपीए का सेटअप दोबारा बनेगा। सीपीए के पास 92.5 किमी सडक़ों ा रखरखाव था। मंत्रालय सहित करीब 24 सरकारी भवनों का रखरखाव सीपीए कर रहा था। शहर के अलग-अलग इलाकों में हुए पौधरोपण और सीपीए द्वारा निर्मित बड़े पार्कों का रखरखाव भी सीपीए कर रहा था। अब इन संपत्तियों की स्थिति का दोबारा परीक्षण होगा। इनमें से कितना सीपीए को वापस मिलता है और कितना पीडब्ल्यूडी व वन विभाग के पास रह जाएगा, इस पर निर्णय करना होगा। सीपीए के पास मंत्रालय, सतपुड़ा भवन, विंध्याचल, विधानसभा भवन, विधायक विश्रामगृह, शहीद स्मारक, पर्यावास भवन, गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के चिकित्सालय, डिस्पेंसरी, आवास के मेंटेनेंस के अलावा भोपाल के प्रमुख मार्गों और पार्कों को संधारित करने का काम सीपीए के जिम्मे था। यूनियन कार्बाइड के कचरे के निष्पादन का काम देख रहा था। इन कार्यों का बजट करोड़ों में है।