- तीन राज्यों का अध्ययन कर बन रही शराब नीति
- अहाते बंद होने से सुनसान स्थानों पर लग रहा पियक्कड़ों का मजमा
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में सरकार के सबसे कमाऊ विभागों में से एक आबकारी विभाग के अधिकारी नई शराब नीति को बनाने में जुटे हुए हैं। नई शराब नीति के लिए आबकारी विभाग के अफसरों ने तीन राज्यों का दौरा कर वहां की शराब नीति का अध्ययन किया है। अध्ययन के बाद अब नई शराब नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि नई शराब नीति में प्रदेश में अहाते फिर से खोलने का प्रावधान किया गया है। हालांकि अहाते खुलेंगे कि नहीं यह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ही तय करेंगे।
गौरतलब है कि प्रदेश में सरकार ने 2023 में अहातों को बंद कर दिया था। उसके बाद से अहाते बंद हैं। ऐसे में लोग दुकानों से शराब खरीदकर सुनसान स्थानों पर बैठकर पीते हैं। जानकारों का कहना है कि इससे आपराधिक मामले भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में नई शराब नीति में यह प्रस्ताव लाया जा रहा है कि अहातों को फिर से चालू किया गया है।
सीएम की मंजूरी के कैबिनेट में आएगा प्रस्ताव
जानकारी के अनुसार उप्र समेत तीन राज्यों की शराब नीति का अध्ययन कर मप्र शासन के आबकारी विभाग ने नई शराब नीति का मसौदा तैयार किया है। दिसंबर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समक्ष नई शराब नीति का प्रस्ताव रखा जाएगा। सीएम की हरी झंडी मिलने के बाद प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा। नई शराब नीति 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगी। खास बात यह है कि शराब नीति 2025-26 के प्रस्ताव में प्रदेश में अहाते फिर से शुरू करने का सुझाव दिया गया है। प्रस्ताव में अहाते बंद होने से शराब दुकानों के आसपास सडक़ों पर भीड़ बढऩे से होने वाली परेशानी और राजस्व के नुकसान का जिक्र किया गया है। अहाते फिर से शुरू करने या न करने का फैसला सरकार की इच्छा शक्ति पर निर्भर करेगा। पिछले साल फरवरी में तत्कालीन शिवराज सरकार ने अहाते बंद करने का निर्णय लिया था। करीब 2600 अहाते बंद किए गए थे।
नर्मदा किनारे शराब दुकानें खुलेंगी!
आबकारी विभाग ने प्रस्ताव में नर्मदा किनारे 5 किमी की परिधि में शराब दुकानें नहीं खोले जाने की बंदिश पर फिर से विचार करने का भी सुझाव दिया है। नई नीति में शराब दुकानों की नीलामी 10 प्रतिशत बढ़ी हुई दरों पर किया जाना प्रस्तावित किया गया है। प्रस्ताव के अनुसार पूर्व की तरह कुल दुकानों का 75 प्रतिशत शराब दुकानों के ठेकेदार रिन्यूअल के लिए तैयार होने पर फिर से शराब दुकान आवंटित की जाएगी, नहीं तो शराब दुकान के लिए नए सिरे से टेंडर किए जाएंगे। प्रस्ताव में धार्मिक और शैक्षणिक स्थलों से शराब दुकानों की दूरी पूर्व की तरह 100 मीटर निर्धारित रखी गई है।
यूपी मॉडल पर आधारित नई शराब नीति
मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशानुसार शराब नीति का प्रस्ताव तैयार करने से पूर्व आबकारी विभाग के अधिकारियों की टीम ने यूपी के शराब मॉडल का अध्ययन किया। इसमें सामने आया कि यूपी में लॉटरी सिस्टम से शराब दुकानों का आवंटन न होता है। वहां शराब दुकानों की संख्या करीब 30,0177 है, जो मप्र के मुकाबले नौ गुना ज्यादा है। नई शराब नीति में उप्र की शराब नीति के महत्वपूर्ण बिंदुओं को भी शामिल किया गया है। मप्र में शराब दुकानों की कुल संख्या 3605 है। मप्र में ई-टेंडर के जरिए शराब दुकाने नीलाम होती है। देश में कर्नाटक के बाद मप्र में शराब की कीमत सबसे ज्यादा है। अधिकारियों का कहना है कि यदि राज्य सरकार शराब के यूपी के शराब नीति के मॉडल को अपनाती है, तो मप्र में शराब दुकानों की संख्या बेतहाशा बढ़ जाएगी। जबकि मप्र सरकार की नीति शराब दुकानों की संख्या में वृद्धि नहीं करने की रही है। प्रस्ताव में महाराष्ट्र और तमिलनाडु की शराब नीति के चुनिंदा बिंदुओं को भी शामिल किया गया है। महाराष्ट्र में शराब के विक्रेता स्थाई है। वहां हर साल शराब दुकानों की बिक्री की एक निश्चित राशि बढ़ा दी जाती है। तमिलनाडु में शराब दुकानों का संचालन सरकार स्वयं करती है।