- सूची जारी होने से पहले ही कार्यकर्ता उतरे दावेदारों के विरोध में
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। अब नामाकंन पत्र जमा करने के लिए महज दो दिन का समय ही बचा है, लेकिन भाजपा व कांग्रेस चारों महागरों के अलावा कई अन्य शहरों में पार्षद पद के प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं कर सकी है। यही नहीं कुछ शहरों में सूची जारी होने के बाद मचे घमासान के बाद उसमें संशोधन तक करना पड़ रहा है। यह स्थिति कांग्रेस व भाजपा दोनों मेंं बनी हुई है। दरअसल इसकी वजह है विधायकों व संगठन के बीच आम राय नहीं बन पाना। कांग्रेस में भाजपा की तुलना में कुछ बेहतर स्थिति है। भाजपा में हालत कितने खराब बने हुए है इससे ही समझा जा सकता है कि एक निकाय के पार्षद प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद उसे एक घंटे के ही अंदर निरस्त तक करना पड़ गया। उधर, राजधानी में भाजपा कार्यकर्ता प्रदेश मुख्यालय पहुंचकर कुछ टिकट के दावेदारों के विरोध में मुखर होने से पीछे नहीं रह रहे हैं।
दरअसल राजधानी में विधायक अपने समर्थकों को टिकट दिलाने में पूरी दम लगाए हुए हैं, जिसकी वजह से दावेदारों में रोष की स्थिति बन गई है। कांग्रेस में इसके उलट विधायकों की सूची को तबज्जो दी जा रही है साथ ही उन्हें ही जिताने का जिम्मा भी दे दिया गया है। बड़े शहरों में भाजपा व कांग्रेस में लगातार एक हफ्ते से की जा रही माथा पच्ची के बाद भी सूची जारी नहीं होने से दावेदार भी हैरान परेशान बने हुए हैं। कांगे्रस तो ठीक भाजपा में यह स्थिति पहली बार बनी है। बीते रोज भाजपा प्रदेश कार्यालय में भोपाल, सतना, दतिया सहित कई शहरों से आए भाजपा कार्यकर्ताओं ने टिकट वितरण में पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के जमकर आरोप लगाते हुए नारेबाजी तक की। यह बात अलग है कि नारेबाजी शुरू होते ही भाजपा नेता समझा बुझा कर इन्हें भीतर ले जाकर समझाइश देने मे लगे रहे। प्रदेश में इन दिनों पार्षद के टिकट देने को लेकर जिला कोर कमेटी एवं संभागीय चयन समिति की बैठकों का दौर चल रहा है। इसमें पार्षद के टिकटों को लेकर एक राय नहीं बन पा रही है। नाराज कार्यकर्ता नेताओं से अपनी शिकायत दर्ज करा रहे हैं। दरअसल इसकी वजह है बाहरी कार्यकर्ताओं को टिकट दिए जाने कि जारी कवायद। भाजपा में पार्षद के 85 प्रत्याशी तय करने के लिए बीती देर रात तक माथापच्ची की जाती रही। संघ की ओर से आए डेढ़ दर्जन नामों की वजह से पेंच फंसा रहा। प्रदेश के आला नेताओं के समर्थकों के साथ ही सांसद द्वारा आगे बढ़ाए नामों को टिकट देने का दबाव है। फिर भी माना जा रहा है कि कल नामंकन का अंतिम दिन होने की वजह से आज सूची हर हाल में जारी कर दी जाएगी। भाजपा में अधिकांश वार्डों में सिंगल नाम पर सहमति बन गई। बताया जा रहा है विधायकों की ओर से बढ़ाए नामों को ही आगे भेजा गया है। अब समन्वय की मुहर लगने के बाद ही सूची जारी की जाएगी। इस बीच कुछ दावेदारों ने नामांकन फार्म ले लिए हैं। टिकट मिलते ही जमा करने की तैयारी कर रखी है। उधर कांग्रेस की भी सूची तैयार है, लेकिन कांग्रेस द्वारा भाजपा की सूची का इंतजार किया जा रहा था, जिसकी वजह से बीते रोज सूची जारी नहीं की गई है। अब कांग्रेस भी आज सूची जारी करने जा रही है। लगभग यही हाल प्रदेश के अन्य शहरों में भी बने हुए हैं।
देरी की यह भी वजह
माना जा रहा है कि पार्षद पद के प्रत्याशियों की सूची जारी करने में दोनों प्रमुख दलों की अन्य वजह भी है। दरअसल आप पार्टी इन दोनों दलों के उन नेताओं के सम्पर्क में हैं, जिन्हें टिकट से वंचित किया जा सकता है। ऐसे भाजपा व कांग्रेस कार्यकर्ता कहीं आप का दामन थाम कर मैदान में न उतर जाएं, इसकी संभावना समाप्त करने के लिए भी देरी की जा रही है। काश बात यह है कि इस बार भाजपा व कांग्रेस में कई वार्डों में टिकट के दावेदारों की संख्या बहुत अधिक है। इनमें कुछ विधायकों के तो कुछ संगठन की पसंद के हैं।
श्रीमंत समर्थक गिरीश शर्मा का भी नाम
कांग्रेस से दो बार पार्षद रह चुके और भोपाल की गोविंदपुरा से विधानसभा चुनाव लड़ चुके गिरीश शर्मा की भी वार्ड 66 से पार्षद के टिकट के लिए दावेदारी है। वे श्रीमंत समर्थक हैं। बताया जा रहा है उन्हें ऊपर से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया है। इसे निगम की राजनीति में कोई बड़ी जिम्मेदारी देने से जोड़ कर देखा जा रहा है। हालांकि, विधायक कृष्णा गौर के वार्ड 66 के समर्थक विरोध में है।
कहां-कहां से उठ रहे विरोध के स्वर
बीते रोज दतिया से आए कुछ कार्यकर्ताओं ने प्रदेश कार्यालय में नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। उनका आरोप था कि वार्ड में स्थानीय रहवासी की जगह दूसरे वार्ड के कार्यकर्ता को टिकट दिया जा रहा है। यह पार्टी गाइडलाइन के विपरीत है। वहीं सतना से आए एक कार्यकर्ता करण पटेल ने कहा कि वे युवा मोर्चा से लंबे समय से जुड़े हैं। उनके वाइ क्रमांक आठ से उस व्यक्ति को टिकट दिया गया है जो छह महीने पहले ही पार्टी में सक्रिय हुआ है। महिला वार्ड होने के कारण पार्टी के कुछ नेताओं ने उन्हें यहां शिफ्ट कर दिया। कुछ ऐसी हो शिकायत यहां से आए एक अन्य कार्यकर्ता की भी थी।
जारी है डैमेज कन्ट्रोल पर मंथन
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान डैमेज कंट्रोल के लिए भाजपा कार्यालय पहुंच कर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद के साथ मंत्रणा कर चुके हैं। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में चुनाव प्रचार की रणनीति और मेयर, पार्षद के टिकट वितरण के बाद उठने वाले संभावित असंतोष को थामने की रणनीति पर विचार किया गया। डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी सांसद और विधायकों को सक्रिय करेगी। पूर्व संगठन मंत्रियों को भी इस काम में लगाया जाएगा।