विवाद: जनार्दन और सिद्धार्थ में ठनी

  • दोनों नेता एक दूसरे पर बोल रहे हमला
 सिद्धार्थ तिवारी

विंध्य अंचल के दो बड़े नेताओं के बीच इन दिनों जमकर ठन गई है। दोनों नेता अब एक दूसरे पर जमकर प्रहार भी कर रहे हैं। अहम बात यह है कि दोनों ही नेता एक ही पार्टी भाजपा से आते हैं। जनार्दन मिश्रा सांसद हैं और सिद्धार्थ तिवारी विधायक।

विनोद उपाध्याय/भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम

विंध्य अंचल के दो बड़े नेताओं के बीच इन दिनों जमकर ठन गई है। दोनों नेता अब एक दूसरे पर जमकर प्रहार भी कर रहे हैं। अहम बात यह है कि दोनों ही नेता एक ही पार्टी भाजपा से आते हैं। इनमें जनार्दन मिश्रा सांसद और सिद्धार्थ तिवारी विधायक हैं। दोनों नेताओं द्वारा एक दूसरे को लेकर दिए गए बयानों से विंध्य की सियासत गरमा गई है। हाल ही में जनार्दन मिश्रा का एक बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि श्रीनिवास तिवारी के कार्यकाल में एक भी गड्ढा नहीं भरा गया। इसके बाद हाल ही में भाजपा सांसद जनार्दन मिश्रा का एक और बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी पर लूट, भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी का आरोप लगाया है।
उनका यह बयान विंध्य और रीवा की सियासत में गरमाहट की वजह बन गया है। मामले पर त्योंथर से मौजूदा विधायक सिद्धार्थ तिवारी का कहना है कि यह बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं ऐसे बयान के खिलाफ हूं और मैं ही नहीं, उनके सभी चाहने वालों में ाी आक्रोश व्याप्त है। दरअसल, सिद्धार्थ तिवारी श्रीनिवास तिवारी के पोते है। इसलिए अपने दादा के खिलाफ हुई टिह्रश्वपणी से नाराज है। गौरतलब है कि श्रीनिवास तिवारी की गिनती आज भी रीवा के सबसे लोकप्रिय नेताओं में की जाती है। उनका निधन 19 जनवरी 2018 को 91 वर्ष की आयु में हुआ था। सांसद मिश्रा ने कहा एक जमाना था, जब रीवा शहर की सडक़ें गड्ढों में तदील हुआ करती थीं। उस समय श्रीनिवास तिवारी इस क्षेत्र के लिए सर्वेसर्वा थे। उनके प्रशंसक कहा करते थे कि दादा न आहीं दऊ आए. वोट न देहा तऊ आए। ये कैसे दऊ थे, जो अपने कार्यकाल में शहर की सडक़ों के गड्ढे तक नही भरवा पाए। लेकिन अगर आज सडक़ों में एक गड्ढा हो जाए तो अखबारों में शिकायतें आने लगती हैं। कितना अंतर है बीजेपी व कांग्रेस के शासन में। इस अंतर को पाटने के लिए डिह्रश्वटी सीएम राजेंद्र शुल का पूरा योगदान रहा है।

पार्टी फोरम तक पहुंच गई शिकायत
विधायक सिद्धार्थ तिवारी ने सांसद जनार्दन मिश्रा के बयान पर कहा कि किसी व्यक्ति के दिवंगत होने के बाद उनके बारे में अभद्र टिह्रश्वपणी करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सांसद का बयान निंदनीय है और उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि यों उन्हें टारगेट किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर कोई नाराजगी है तो सीधे उनसे बात करनी चाहिए। उन्होंने अपने दादा श्रीनिवास तिवारी के राजनैतिक जीवन और रीवा में किए गए कार्यों की प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने पार्टी फोरम में अपनी शिकायत दर्ज कराई है।

क्या कहा सिद्धार्थ तिवारी ने
सिद्धार्थ तिवारी, जो कि श्रीनिवास तिवारी के पोते हैं, उन्होंने इस टिह्रश्वपणी को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा, किसी भी व्यक्ति के दिवंगत हो जाने के बाद उन पर अभद्र टिप्पणी को सही नहीं ठहराया जा सकता। सांसद जनार्दन मिश्रा का बयान बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है। मैंने उनका वक्तव्य सुना, और यह बेहद निंदनीय है। विधायक ने आगे कहा कि अगर सांसद को उनसे या
उनके परिवार से कोई नाराजगी थी, तो उन्हें सीधे मुझसे बात करनी चाहिए थी। उन्होंने यह भी कहा कि उनके दादा ने अपने राजनीतिक जीवन के 75 साल जनता की सेवा में बिताए, और उनकी उपलधियों की गवाही रीवा के लोग दे सकते हैं।

कांग्रेस का रुख
कांग्रेस ने भी सांसद मिश्रा के बयान को लेकर नाराजगी व्यक्त की थी, लेकिन अबभाजपा के भीतर ही यह विवाद और भी गहरा हो गया है। पार्टी के भीतर इस विवाद को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है, और यह देखा जाएगा कि इस मुद्दे पर कैसे
प्रतिक्रिया दी जाती है।

सिद्धार्थ तिवारी की भाजपा में एंट्री
सिद्धार्थ तिवारी 18 अटूबर 2023 को कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो गए थे। उनके पार्टी में शामिल होने को लेकर भी राजनीतिक हलकों में चर्चा हो रही थी, और अब उनके दादा के प्रति सांसद मिश्रा की टिह्रश्वपणी ने इस विवाद को और बढ़ा दिया है। सिद्धार्थ तिवारी 18 अटूबर 2023 को कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो गए थे। राजनैतिक जानकारों का मानना था कि सिद्धार्थ ने बहुत आसानी से खुद को भाजपा की रीति-नीति में ढाल लिया।

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