-कर्मचारी संगठनों ने की थी शिकायत, अभियोजन अधिकारी ने कलेक्टर को बताया था जान का खतरा
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। हमेशा विवादों में रहने वाली आईएएस सोनिया मीना इस बार अनूपपुर एसपी पर भारी पड़ी हैं। प्रदेश सरकार ने अनूपपुर के एसपी अखिल कुमार पटेल को जिले से रुखसत कर दिया है। यह कार्रवाई जिले की कलेक्टर सोनिया मीना की शिकायत पर की गई है। अपनी प्रशासनिक कार्यशैली को लेकर हमेशा विवादों में रहने वाली कलेक्टर पर सरकार की मेहरबानी बरकरार है। यह मामला काफी पेचीदा हो गया है। ऐसा इसलिए कि जिले के दोनों आला अफसरों में जिस तरह की अनबन थी, उसकी गाज सिर्फ एसपी पर गिरी है। अनूपपुर पुलिस अधीक्षक अखिल पटेल के ट्रांसफर के मामले में नया मोड़ सामने आया है। शहडोल संभाग कमिश्नर के अनुमोदन पर प्रदेश के मुख्य सचिव ने उनका ट्रांसफर किया है। शहडोल कमिश्नर को लगातार एसपी की शिकायत मिल रही थी। जिस पर उन्होंने ने एसपी के ट्रांसफर के लिए मुख्य सचिव से अनुमोदन किया। इसके बाद एसपी का ट्रांसफर हो गया। जिला अभियोजन अधिकारी ने कलेक्टर को भी एसपी से जान का खतरा बताया था। दरअसल, अधिकारी एवं कर्मचारी संघ जिला अनूपपुर ने शहडोल संभाग के कमिश्नर के द्वारा मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने जिले के अधिकारी एवं कर्मचारी के खिलाफ पुलिस की ओर से आपराधिक और जांच की कार्रवाई को नियम विरुद्ध बताया था। इस पर कमिश्नर राजीव शर्मा ने मुख्य सचिव मध्य प्रदेश शासन इकबाल सिंह बैंस से अनुमोदन किया। उन्होंने बताया कि जिले में अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ पुलिस आधार विहीन जांच कर रही है, जिससे जिले की स्थिति गंभीर है। इस ज्ञापन से इसकी पुष्टि भी हो रही हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इसी पत्र के बाद पुलिस अधीक्षक अनूपपुर को स्थानांतरण भोपाल कर दिया गया हैं।
कलेक्टर और एसपी में समन्वय नहीं
सरकार ने कलेक्टर और एसपी में समन्वय नहीं होने के लिए सीधे तौर पर एसपी को जिम्मेदार माना है। दोनों अफसरों के बीच विवाद की शुरूआत कलेक्टर के एक पत्र से हुई थी। कलेक्टर ने अपने मतहतों एसडीएम और तहसीलदार को थानों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे। नियम कहता है कि राजस्व विभाग का कोई भी अधिकारी थानों का निरीक्षण नहीं कर सकता है। वह रखरखाव और प्रतिबंधात्मक मामलों की जानकारी ले सकता है। कलेक्टर सोनिया मीना का नाता हमेशा विवादों से रहा है। वे उमरिया, छतरपुर और मुरैना में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सीईओ के पद पर पदस्थ थीं। तीनों जिलों से बेहद अल्प कार्यकाल में उन्हें विवादों के चलते हटाया गया था। बताते हैं कि कलेक्टर और एसपी के बीच के तमाम विवादों को हवा देने में डीपीओ की भूमिका अहम थी। लिहाजा बार-बार यह प्रशासनिक गलियारे में जिले से यह जानकारी बाहर आ रही थी कि कलेक्टर और एसपी के बीच समन्वय नहीं है। जिस अंदाज में एसपी को हटाया गया, उससे लगता है कि समन्वय बनाने की जिम्मेदारी अकेले एसपी की थी। अवकाश के दिन सरकार ने सिंगल आदेश जारी कर एसपी को पीएचक्यू में एआईजी बना दिया है। कलेक्टर और एसपी के बीच के विवाद में सरकार ने कलेक्टर को सही माना है। ऐसा इसलिए कि एक दिन पहले सरकार ने 14 जिलों के कलेक्टर बदले थे, तब सोनिया मीना को नहीं हटाया गया। दूसरे दिन एसपी को सिंगल आदेश से हटा दिया गया।
एसपी के खिलाफ शिकायतों की भरमार
एसपी पटेल को लेकर कर्मचारी संगठनों ने शिकायत की थी कि वे अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर अधिकारियों-कर्मचारियों को परेशान कर रहे हैं। इससे कर्मचारियों में भय व्याप्त है और वे अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं। राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष रमेशचंद्र शर्मा ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। मध्य प्रदेश राजपत्रित अधिकारी संघ, राज्य कर्मचारी संघ और संयुक्त मोर्चा ने अनूपपुर के पुलिस अधीक्षक अखिल पटेल के विरुद्ध अक्टूबर में शिकायत की थी। इसमें बताया गया कि 22 मई 2022 को शहरी विकास प्राधिकरण की सहायक परियोजना अधिकारी मीना कोरी के विरुद्ध बिना विभागीय जांच और प्रशासनिक अनुमोदन के रात 11 बजे प्राथमिकी की गई। जबकि, जीएडी के नियमानुसार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने से पहले जीएडी से अनुमोदन लेना होता है। इसी तरह राजनगर पशु चिकित्सा अधिकारी डा. बीर सिंह क्रहोलिया को एक शिकायत के आधार पर बार-बार पुलिस थाने बुलाया जाता रहा। जबकि, विभाग द्वारा जांच की जा रही थी। इसी तरह से इंदिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय पोंड़की के प्रोफेसर श्री देवी को भी बार-बार थाने बुलाया गया। शासकीय दस्तावेज और साक्ष्य देने के लिए बाध्य किया गया। इस प्रकार के कुछ और प्रकरण सामने आए। कर्मचारी संगठनों ने इसकी शिकायत शहडोल संभागायुक्त से की और मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन से कार्रवाई करने का अनुरोध किया।