कांग्रेस का सॉफ्ट हिन्दुत्व कार्ड… जुटे महंत व पुजारी

  • पीसीसी पर लहराए गए दर्जनों भगवा झंडे
  • अपूर्व चतुर्वेदी
कांग्रेस

प्रदेश विधानसभा चुनाव में महज अब सात माह का ही समय रह गया है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस ने चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश का सियासी माहौल हिंदुत्व के एजेंडे पर केन्द्रित होता नजर आना शुरु हो गया है। भाजपा पहले से ही हिंदुत्व की सियासी पिच पर खेलती आ रही है। अब कांग्रेस ने भी इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। कांग्रेस भलीभांति समझ रही है कि हिंदुत्व का कार्ड खेले बगैर चुनावी नैया पार लगाना संभव नहीं है। हिंदुत्व कार्ड ही उसे चुनाव में वोट दिलवा सकता है, यही वजह है कि कांग्रेस ने हिंदुत्व की पिच पर खुलकर खेलना शुरू कर दिया है। राजधानी में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय बीते रोज भगवामय दिखाई दिया। मौका था धर्म, संवाद कार्यशाला का, जिसमें प्रदेश भर के मंदिरों के पुजारी और धर्माचार्य शामिल हुए। धर्म संवाद कार्यशाला का आयोजन मप्र कांग्रेस मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ ने किया था। इसी धर्म संवाद कार्यशाला को लेकर शनिवार से ही कांग्रेस कार्यालय को भगवामय कर दिया गया था। कांग्रेस नेताओं के बयान भी इस ओर इशारा कर रहे हैं कि पार्टी चुनाव में हिंदुत्व एजेंडा को लेकर भाजपा से पीछे नहीं रहना चाहती।
1974 से पहले वाली व्यवस्था बहाल हो
मप्र कांग्रेस मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष शिव नारायण शर्मा ने अपनी मांगों को लेकर कमलनाथ को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में प्रदेश में 1974 के पहले की व्यवस्था बहाल करने की मांग की गई है। जिसके तहत अधिकार मंदिर के ही पास होते थे, लेकिन 1974 के बाद मंदिर से संबंध भूमि और अधिकार कलेक्टर के पास हो गए हैं।
राम वन गमन मार्ग से लेकर कई मामलों में घेरेगी
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ की रणनीति अब हिन्दुत्व के मामले में प्रदेश की शिवराज सरकार को पूरी तरह से घेरने की है। इसके लिए उनके द्वारा रणनीति तैयार की जा चुकी है। इसके तहत सबसे पहले राम वन गमन पथ मार्ग को बड़ा मुद्दा बनाया जाएगा। इसके अलावा मंदिरों से कलेक्टरों का नियंत्रण समाप्त करना, पुजारियों को दी गई भूमि के लिए उन्हें कृषकों जैसी सुविधा देना, मठ-मंदिरों की भूमि नीलामी बंद करने जैसे मामले भी इसमें शामिल होंगे।
कमलनाथ हैं बेहद धार्मिक कांग्रेसी नेता
कमलनाथ कांग्रेस के ऐसे बड़े नेता हैं, जिनकी छवि एक धार्मिक नेता की भी है। वे हनुमान भक्त माने जाते हैं। उनके द्वारा अपने गृह जिले में प्रदेश की सबसे बड़ी हनुमान जी की प्रतिमा की तो स्थापना कराई ही गई है, साथ ही उनके प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद पीसीसी में न केवल हनुमान चालीसा पड़ा जा चुका है, बल्कि अब तो हिन्दू देवी देवताओं तक की तमाम अवसरों पर पूजा पाठ होने लगी है। हाल ही में वे बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से भी मुलाकात करने उनके धाम जा चुके हैं। गौरतलब है कि शास्त्री इन दिनों सुर्खियों में हैं। वे इन दिनों पूरे देश में हिन्दू राष्ट्र को लेकर अलख जगा रहे हैं। यही नहीं कमलनाथ हर कभी बाबा महाकाल के दरवाजे पर जाते रहते हैं।
क्या भगवा पर बीजेपी का ट्रेडमार्क है?
धर्म संवाद कार्यशाला को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने आरोप लगाया कि भाजपा  धर्म का उपयोग राजनीति और दिखावे के लिए करती है। धर्म और आध्यात्म से उनका कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा, राजनीति और धर्म दोनों अलग-अलग हैं। भाजपा चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा लेकर आती है। क्या हम नहीं चाहते कि राम मंदिर बने? आपको ज्ञात हो कि राजीव गांधी ने ही अयोध्या के मंदिर का ताला खुलवाया था। उन्होंने पूछा, हम मंदिर जाते हैं, पूजा पाठ करते हैं, तो भाजपा के पेट में दर्द होता है, क्या हिंदू धर्म का ठेका भाजपा ने ही लिया है? क्या भगवा पर बीजेपी का ट्रेडमार्क है? उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी शक्ति आध्यात्मिक शक्ति है, जो समाज के लोगों को जोड़ती है। मंदिर का पुजारी समाज का सेवक होता है और वहीं समाज की मूल भावना आध्यामिकता की ओर लोगों को जोड़ने का काम करता है। नाथ ने कहा कि मुझे आज की नई पीढ़ी की चिंता है, जो सामाजिक मूल्यों और आध्यामिक भावनाओं को छोड़ व्हाट्सएप और इंटरनेट पर ज्यादा ध्यान देते हैं, आपको इस नई पीढ़ी को अध्यात्म की ओर आकर्षित करना होगा। उन्होंने कहा कि महंतों, पुजारियों को अध्यात्म को बढ़ाने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। आप देश की संस्कृति के रक्षक है।

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