कांग्रेस का दुर्भाग्य भारी पड़ा तीन सिंधी प्रत्याशियों पर

सिंधी प्रत्याशियों
  • पांच में से भाजपा के दोनों प्रत्याशियों के खाते में आयी जीत

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। कांग्रेस का दुर्भाग्य तीन कांग्रेसी सिंधी नेताओं पर ऐसा भारी पड़ा की उसके तीनों ही प्रत्याशी हार गए। सिंधी समाज के नेताओं को उस समय टिकट दिए गए थे , जब इस समाज की सबसे बड़ी सामाजिक संस्था  प्रांतीय सिंधी महा पंचायत ने  23 अगस्त को भोपाल में समस्याओं को लेकर धरना दिया था और राजनैतिक दलों को चेताया भी था। इसके बाद कांग्रेस व भाजपा जागी और प्रदेश में जहां तीन सिंधी भाषी नेताओं को कांग्रेस ने तो दो नेताओं को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया , लेकिन , दुर्भाग्य से जहां तीनों सिंधी कांग्रेसी उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा, वहीं भाजपा के दोनों प्रत्याशियों के खाते में जीत आ गई।
तीनों कांग्रेसी चुनाव हारे
जहां तक सिंधी भाषी कांग्रेसी उम्मीदवारों का सवाल है, तो इस बार कांग्रेस ने सिवनी से वहां के जिला कांग्रेस अध्यक्ष आनंद पंजवानी को उम्मीदवार बनाया था पर वे अपनी सीट नहीं बचा पाए। इसी तरह इंदौर-4 सीट से राजा माधवानी को टिकट दिया गया, पर वे मालिनी गौड़ के हाथों मात खाए गए जबकि, हुजूर से तो कांग्रेस उम्मीदवार नरेश ज्ञानचंदानी को भाजपा के रामेश्वर शर्मा के हाथों 97 हजार से अधिक मतों से हारना पड़ा है।
विधान सभा में संख्या हुई दो
छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद से ही विधान सभा में सिंधी भाषी विधायक ईश्वरदास रोहाणी एवं उसके बाद अशोक रोहाणी की एक संख्या चली आ रही थी ,लेकिन इस बार जबलपुर से अशोक रोहाणी के अलावा राजधानी भोपाल से भी भगवानदास सबनानी ने विधानसभा में दस्तक दी है। इस तरह एक से बढक़र अब सिंधी भाषी विधायकों की संख्या दो हो गई है। मजे की बात तो यह है कि चाहे जबलपुर कैंट हो या भोपाल दक्षिण पश्चिम दोनो ही जगहों पर सिंधी मतदाताओं की संख्या बहुत ही कम थी, और अशोक रोहाणी व भगवानदास सबनानी गैर सिंधी भाषी वोटरों की पसंद बने और जीत दर्ज कराई।
वैसे अब प्रदेश सिंधी समाज को भरोसा है कि विधान सभा में समाज की आवाज को तवज्जो मिलेगी। खासतौर पर भगवानदास सबनानी जहां भोपाल सिंधी मेला समिति के सालों अध्यक्ष के बाद अब संरक्षक हैं, वहीं भाजपा विचारधारा वाली सिंधियों की अग्रणी सामाजिक संस्था भारतीय सिंधु सभा के भी वे राष्ट्रीय महासचिव हैं। इस तरह उनका सिंधी संगठनों से गहरा रिश्ता रहा है और वे प्रदेश सिंधी समाज की समस्याओं से भली भांति वाकिफ हैं।
राजस्थान से भी दो सिंधी जीते
वैसे तो आजादी के बाद से ही सिंधी समाज पर जनसंघ, जनता पार्टी एवं भाजपा की मुहर लगी है, लेकिन इस बार मध्यप्रदेश एवं राजस्थान दोनों प्रदेशों में सिंधी समाज ने भाजपा पर विश्वास जताया। अगर मध्यप्रदेश में अशोक रोहाणी एवं भगवानदास सबनानी चुनाव जीते तो अजमेर से भाजपा के वासुदेव देवनानी एवं निम्हाड़ा से श्रीचंद कृपलानी ने भी जीत दर्ज की है। जिसके बाद सिंधी समाज में खासा उत्साह है।
रोहाणी ने फिर जीत की दर्ज
जबलपुर कैंट शुरू से ही भाजपा का गढ़ रहा है, जहां से लगातार चार बार ईश्वरदास रोहाणी चुनाव जीते और विधान सभा के अध्यक्ष भी बने। उनके निधन के बाद भाजपा ने वहां से उनके पुत्र अशोक रोहाणी को उम्मीदवार बनाया तथा इस बार भी उन्होंने 76 हजार 966 मत प्राप्त कर कांग्रेस उम्मीदवार को 30 हजार 45 मतों से हराया। जबकि भोपाल के दक्षिण पश्चिम जहां से कांग्रेस ने ताकतवर नेता विधायक पीसी शर्मा को उम्मीदवार बनाया था, उसे भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी ने 76 हजार 689 मत हासिल कर कांग्रेस उम्मीदवार को 15 हजार 833 वोटों से पराजित किया।

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