कांग्रेस की नजर अब अजजा पर, नई लीडरशिप कर रही खड़ी

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  • साक्षात्कार के माध्यम से किया 120 आदिवासी युवाओं का चयन

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। कांग्रेस प्रदेश में अपना वजूद बचाए रखने और अपने पुराने वोट बैंक को हासिल करने की कवायद में जुट गई है। यही वजह है कि अब प्रदेश कांग्रेस का पूरा फोकस आदिवासी समाज पर हो गया है। इसकी वजह है, अगर इस वर्ग का पूरी तरह से समर्थन मिल जाता है, तो फिर एक बार फिर से कांग्रेस का सत्ता का रास्ता खुल सकता है। पूर्व में अनुसूचित जन जाति कांग्रेस का पंरपरागत वोट बैंक रह चुका है। यही वजह है कि अब कांग्रेस इस वर्ग को अपने से जोडऩे के लिए नई योजना बनाकर  उस पर अमल कर रही है। अब देखना यह है कि उसका यह नया प्रयोग कितना सफल होता है।
इस योजना के तहत कांग्रेस का प्रदेश सगंठन प्रदेश में नया आदिवासी नेतृत्व खड़ा करने जा रहा है। इसके लिए ही हाल ही में साक्षात्कार के माध्यम से इस समुदाय के 120 युवओं का चयन किया गया है। इन्हें अब नेतागिरी के गुर सिखाने के लिए धार जिले के मोहनखेड़ा में प्रशिक्षण शिविर भी लगाया जा रहा है। इस प्रशिक्षण शिविर में 89 आदिवासी विकासखंड एवं अन्य आदिवासी बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों के आदिवासी कांग्रेस कार्यकताओं को बुलाया जा रहा है। जिन लोगों को इसमें भाग लेने के लिए बुलाया जा रहा उनके चयन के लिए हाल ही में एआईसीसी और एमपी कांग्रेस के ट्राइबल डिपार्टमेंट के पदाधिकारियों ने इंटरव्यू लिया। यह प्रशिक्षण सात दिनों का होगा।
चुनावी रणनीति के हिसाब से तैयार होगें युवा
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस पहली बार आदिवासी युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए आवासीय ट्रेनिंग कैंप लगाएगी। धार जिले के मोहनखेड़ा में 19 फरवरी से 25 फरवरी तक यह प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाएगा। जानकारी के अनुसार आदिवासी वर्ग के युवाओं को पार्टी से जोडऩे और चुनावी रणनीति के हिसाब से तैयार करने के लिए कांग्रेस आदिवासी लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू कर रही है।
आदिवासी इस देश का है मालिक
 प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आदिवासी लीडरशिप डेवलपमेंट प्रशिक्षण शिविर एवं साक्षात्कार के लिए आयोजित बैठक में उपस्थित प्रदेश के सभी जिलों से आए आदिवासी वर्ग पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी इस देश का मालिक है, जल-जंगल और जमीन पर सबसे पहला अधिकार आदिवासी वर्ग का है। आदिवासी वर्ग के महापुरूषों चाहे वो बिरसा मुंडा हो, टंट्या भील हो या रघुनाथ शाह-शंकरशाह हो या वीरांगना रानी दुर्गावती हो इन सभी ने देश की आजादी में अपना योगदान दिया और आदिवासी वर्ग की रक्षा और सम्मान को अक्षुण्ण बनाए रखने में महती भूमिका का निर्वहन किया। उन्होंने कहा कि देश की युवा शक्ति लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जातिगत जनगणना के पक्ष में है, क्योंकि जातिगत जनगणना से हर वर्ग के मध्यम और गरीबों को उसका लाभ मिलेगा। आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक समानता का अवसर मिलेगा। आदिवासियों का और कांग्रेस का और संविधान का प्रकृति का आपस में गहरा रिश्ता है जो हमें जल-जंगल से ही मिला है। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण जीवन के लिए हवा और जल है उससे ही हर व्यक्ति को जीवन जीने के लिए आक्सीजन और ऊर्जा मिलती है।
यह है राजनैतिक गणित
देश में सर्वाधिक आदिवासी आबादी मध्यप्रदेश मे ही रहती है। लिहाजा यहां आदिवासियों को लेकर सियासत भी खूब होती है। यहां की कुल आबादी का 21 फीसदी हिस्सा इसी समुदाय का है। अगर विधानसभा सीटों की बात की जाए तो प्रदेश की कुल 230 सीटों में से 47 सीटें आदिवासी समुदाय के लिए बकायदा आरक्षित हैं। इसके अलावा सामान्य वर्ग की 31 सीटों पर भी आदिवासी समुदाय निर्णायक भूमिका में हैं। 2003 के पहले आदिवासी वोट बैंक परंपरागत रूप से कांग्रेस का माना जाता था। इसके बाद वह वर्ग भाजपा के साथ हो गया, जिसकी वजह से लगातार कांग्रेस को सत्ता से बाहर रहना पड़ रहा है। 

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