भोपाल…चुनाव प्रचार में आलोक पड़ रहे हैं कांग्रेस के अरुण पर भारी

अरुण श्रीवास्तव

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। इस सीट पर तीसरे चरण में होने वाले मतदान में अब महज दो दिन ही रह गए हैं। इसके बाद भी कांग्रेस प्रत्याशी अरुण श्रीवास्तव का  प्रचार जोर नहीं पकड़ पा रहा है। इसकी वजह है, उन्हें पार्टी का सहयोग नहीं मिल पाना। इसकी वजह से पार्टी को कोई भी बड़ा चेहरा अब तक प्रचार करने के लिए नहीं आया है। प्रचार के नाम पर सिर्फ प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ही चुनावी सभा में उतरे हैं। दरअसल कमलनाथ इन दिनों प्रचार छोडक़र दिल्ली में जमे हुए हैं , तो वहीं दिग्विजय सिंह अपने प्रचार में ही उलझे कर रह गए हैं। ऐसे में अरुण को अकेले ही प्रचार का जिम्मा उठाना पड़ रहा है। इसके उलट भाजपा प्रत्याशी आलोक शर्मा के प्रचार में भाजपा के तमाम दिग्गजों के अलावा स्वयं प्रधानमंत्री तक रोड शो कर चुके हैं। यह स्थिति तब है, जबकि भोपाल सीट भाजपा का गढ़ है और इस सीट पर भाजपा 1989 से लगातार जीत दर्ज करती आ रही है।        भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने अंतिम बार 1984 में जीत दर्ज की थी। तब केएन प्रधान को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया था। इसके बाद कांग्रेस कभी दोबारा यहां से जीत हासिल नहीं कर सकी। यानि की तीन दशक से कांग्रेस को इस सीट पर जीत के लिए तरसना पड़ रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को करीब ढाई लाख से अधिक मतों से पराजित किया था। इसके बाद भी कांग्रेस ने इस बार के चुनाव में दम नहीं लगाया है, जिसकी वजह से ही अब तक कांग्रेस चुनाव प्रबंधन और प्रचार में भाजपा से कभी पीछे नजर आ रही है। भाजपा का गढ़ होने के बाद भी भोपाल लोकसभा सीट पर पीएम नरेंद्र मोदी का रोड शो हो चुका है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रोड शो और जनसभाएं कर रहे हैं। इसके इतर, कांग्रेस की बात करें तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को छोड़ अभी तक किसी भी बड़े नेता ने यहां ना तो रोड शो किया और ना जनसभा की है। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी को क्षेत्रीय नेताओं के सहारे ही प्रचार करना पड़ रहा है।
 भाजपा प्रत्याशी आलोक शर्मा के समर्थन में 24 अप्रैल को पीएम नरेंद्र मोदी ने रोड शो किया था। मालवीय नगर तिराहे से नानके पेट्रोल पंप तिराहे तक सवा किलो मीटर के रोड शो में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। इसके अलावा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कोलार, नरेला और बैरसिया में भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में रोड शो कर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी आलोक शर्मा के समर्थन में श्यामपुर में जनसभा को संबोधित कर चुके हैं। इसके उलट कांग्रेस अभी तक एक बड़ी सभा नहीं कर सकी है। कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को छोड़ किसी स्टार प्रचारक ने न तो जनसभा की और न ही रोड शो में शामिल हुआ।  
भाजपा विधायकों ने संभाला मोर्चा
इस सीट के तहत भी आठ विधानसभा आती हैं। इसमें गोविंदपुरा, नरेला, वैरसिया, हुजूर, दक्षिण-पश्चिम, सीहोर पर भाजपा का कब्जा है। वहीं भोपाल उत्तर और मध्य में कांग्रेस के विधायक हैं। भाजपा ने अपने विधायकों को ही जिम्मेदारी दी है। भाजपा विधायक खुद मतदाताओं से मिल रहे हैं और भाजपा प्रत्याशी को जिताने की अपील कर रह हैं। मंत्री विश्वास सारंग और कृष्णा गौर लगातार कार्यकर्ताओं की बैठक ले रहे हैं। हुजूर विधायक रामेश्वर शर्मा बूथ लेवल पर जुटे हुए हैं। इसके अलावा सीहोर और बैरसिया विधायक ने अपने-अपने क्षेत्र में मोर्चा संभाले हुए हैं।
यह हैं जातिगत समीकरण
भोपाल लोकसभा में आठ विधानसभा सीटें हैं। यहां लोकसभा में 24 लाख से ज्यादा वोटर हैं। यहां 5 लाख के करीब मुस्लिम वोटर हैं। 3.50 लाख से ज्यादा ब्राह्मण और इतने ही लगभग कायस्थ वोटर हैं। क्षत्रिय वोटर की संख्या करीब डेढ़ लाख है। ओबीसी, एससी-एसटी और सिंधी वोटर की संख्या 8 लाख से ज्यादा है।
अरुण को विस प्रत्याशियों का सहारा
कांग्रेस प्रत्याशी अरुण श्रीवास्तव ने अपने प्रचार की शुरुआत ग्रामीण क्षेत्रों से की। इस दौरान ग्रामीण नेताओं के साथ उन्होंने जनसंपर्क पूरा किया। यहां संगठन बूथों पर काम कर रहा है। कांग्रेस का फोकस अधिक से अधिक मतदाताओं को निकालने पर है। दक्षिण-पश्चिम में पीसी शर्मा एक्टिव हैं, वो लगातार प्रचार में साथ चल रहे हैं। इसके अलावा भी वो मतदाताओं से कांग्रेस को वोट देने की अपील कर रहे हैं। मध्य विधायक आरिफ मसूद कार्यकर्ताओं की बैठकें करा चुके हैं। इसके अलावा मध्य में अरुण श्रीवास्तव रोड का शो भी हो चुका है। उत्तर में विधायक आतिफ अकील ने मोर्चा संभाला हुआ है। नरेला विधानसभा में मनोज शुक्ला प्रचार में जुटे हुए हैं।
बीजेपी के लिए सुरक्षित सीट
भोपाल में एक तासीर सेट हो चुकी है। अब जब तक भोपाल में कुछ बड़ा उलट-पलट नहीं हो जाता, तब तक नतीजे नहीं बदलते हैं। यहां तब तक बहुत कुछ नहीं बदल सकता जब तक बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ बहुत नकारात्मक माहौल न बन जाए। बीजेपी के लिए भोपाल बहुत सेफ सीट है। उमा भारती तक यहां आकर सांसद बन चुकी हैं। कांग्रेस भोपाल में एक्सपेरिमेंट करती रही है। कांग्रेस अल्पसंख्यक का प्रयोग कर चुकी है। बड़े चेहरे यहां से लड़ चुके हैं। सुरेश पचौरी, दिग्विजय सिंह भी चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन यह सारे प्रयोग फेल हो चुके हैं। भोपाल लोकसभा में समुदायों से ज्यादा धार्मिक गोलबंदी के आधार पर मतदान होता है। यह मतदान भाजपा के पक्ष में होता आया है। फिर चाहे 2014 में आलोक संजर बनाम पीसी शर्मा का मुकाबला हो या फिर 2019 में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर बनाम दिग्विजय सिंह के बीच मुकाबला हो।  

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