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- इसी सप्ताह होनी है कांग्रेस की बड़ी बैठक
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत के लक्ष्य को लेकर चल रही कांग्रेस ने अब सोशल इंजीनियरिंग पर भी फोकस करना तय कर लिया है। इसके तहत जातिगत समीकरण साधकर उन्हें पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ चाहते हैं कि इस बार पिछली बार से अधिक सीटों पर जीत हो, जिससे की अगर श्रीमंत के विद्रोह जैसी स्थिति बने भी तो सरकार पर कोई आंच नहीं आए। यही वजह है कि अब पूरी तरह से नाथ जातिगत समीकरण साधने पर भी फोकस कर रहे हैं। यही वजह है कि उनके द्वारा 7 जनवरी को विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने के लिए एक बड़ी बैठक बुलाई है। इसमें सभी 63 संगठनात्मक जिलों के प्रभारियों को बुलाया गया है। उनसे जिलों का फीडबैक लेकर चुनावी रणनीति तैयार की जाएगी। इस बैठक में प्रदेश के मालवा-निमाड़, ग्वालियर- चंबल, महाकौशल, विंध्य और बुंदेलखंड की प्रत्येक विधानसभा सीट के जातिगत, राजनैतिक और सामाजिक समीकरणों पर चर्चाकर चुनावी रणनीति पर मंथन किया जाएगा।
पार्टी सूत्रों की माने तो प्रभारियों की रिपोर्ट में बुंदेलखंड की 32 सीटों में सागर, टीकमगढ़, निवाड़ी जिले में स्थिति ठीक नहीं बताई गई है, जबकि मालवा और निमाड़ की 66 सीटों में से करीब डेढ़ दर्जन सीटों की भी यही स्थिति बताई गई है। मध्य में भोपाल, विदिशा, रायसेन, सीहोर और राजगढ़ जिले की संगठनात्मक गतिविधियों पर चर्चा की जाएगी। प्रभारियों की रिपोर्ट में ग्वालियर-चंबल में 37 में से 28 सीटों पर कांग्रेस की स्थिति पहले से बेहतर बताई गई है तो वहीं विंध्य में भी 28 में से 19 सीटों पर मजबूत स्थिति की जानकारी अब तक दी गई है। यह बात अलग है कि विंध्य अंचल में बीते आम चुनाव में कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ था और उसे महज 2 सीट ही मिल पाई थी। इसी तरह से महाकौशल में 2018 के परिणाम दोहराने के लिए कांग्रेस को काफी मशक्कत करना पड़ेगी।
बीते आम चुनाव के पहले भी की थी कवायद
बीते आम चुनाव यानि की 2018 के पहले भी इसी तरह की कवायद कमलनाथ द्वारा की गई थी, तब तीन महीने के भीतर करीब दो दर्जन समाजों के प्रमुख लोगों को अपने दफ्तर में बुलाकर उनसे चर्चा की गई थी। इनमें प्रमुख रुप से यादव, वैश्य, सर्व स्वर्णकार, लोधी, गुर्जर, दाऊदी बोहरा, सिंधी, पाटीदार, मीणा, धानुक, कोरी-कोली, बंजारा, बलाई समाज के लोग शामिल थे। इनमें भोपाल , जबलपुर जैसे जिलों की कुछ सीट पर सिंधी समाज के अच्छे खासे मतदाता हैं। इसी तरह से यादव समाज का निमाड़ और बुदेंलखंड में जबकि , सोनी समाज का विदिशा की शमशाबाद, जबलपुर, पन्ना की पवई, सतना की मैहर व अमरपाटन मे और कोरी-कोली समाज का उज्जैन की घट्टिया, नरसिंहपुर की गोटेगांव, शिवपुरी की करेरा, दतिया की भांडेर, सागर की नरयावली, सीहोर की आष्टा, दमोह की हटा, भोपाल की बैरसिया, अशोक नगर और विदिशा की कुरवाई सीटों पर प्रभाव माना जाता है। दरअसल यह वे जातियां हैं, जिनके मतदाताओं की संख्या पचास लाख के आसपास बताई जाती है।
एससी व एसटी पर भी नजर
खास बात यह है कि दोनों पार्टियां इस बार सभी वर्गों को साधने में लगी हुई हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर दोनों ही पार्टियों की नजर रहती है, क्योंकि इन वर्गों पर आरक्षित विधानसभा सीटों पर जिस दल की पकड़ मजबूत होती है, उसे सत्ता तक पहुंचने में आसानी होती है। लिहाजा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अब एससी एसटी वर्ग को साधने में पहले से ही जुटे हुए हैं। इसकी वजह है इन दोनों वर्गों के लिए प्रदेश की 36 फीसदी यानी 82 विधानसभा सीटें आरक्षित होना। इनमें से 35 सीट अनुसूचित जाति और 47 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। 2018 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति वर्ग की 47 में 31 सीटें कांग्रेस ने जीती थी, तो वहीं भाजपा को सिर्फ 16 सीट मिली थी। अनुसूचित जाति वर्ग की 17 सीटों पर कांग्रेस और 18 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी।
जारी है गांधी चौपाल
कांग्रेस द्वारा शुरू की गई गांधी चौपाल में गांवों के स्वावलंबन के साथ महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा अहम है। गांधी जयंती से शुरू हुई यह यात्रा अब तक 13 हजार गांवों तक पहुंच चुकी है। गांधी चौपाल में गांधी दर्शन के अनुसार गांवों के स्वावलंबन पर चर्चा का उद्देश्य गांवों को -आत्मनिर्भर बनाना है। चौपाल में गांव की समस्याओं का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। इसके बाद लोगों की परेशानियों के बारे में उनसे जाना जाता है। बाद में एक सभा के जरिये महंगाई और बेरोजगारी पर गांवों के लोगों से कांग्रेस नेता चर्चा करते हैं।
समाजों के साथ बैठक
इधर, इसी माह से पार्टी प्रदेश में अलग-अलग जातियों व समाज के साथ बैठकों का सिलसिला शुरू करने वाली है। इसमें उनकी दिक्कतों के साथ उनकी जरूरतों का कांग्रेस द्वारा अध्ययन किया जाएगा। इसी के आधार पर एक ड्राफ्ट बनाया जाएगा, जिसका इस्तेमाल चुनाव के समय कांग्रेस घोषणा पत्र में करेगी। इन सम्मेलनों में खासतौर पर बड़ी जातियों पर फोकस किया जाएगा, जिनका प्रभाव हो। इनके प्रमुख लोगों से कांग्रेस ने संपर्क करना अभी से शुरू कर दिया है। पहली बैठक मांझी समाज के साथ करना तय किया गया है। इसके साथ ही बूथ स्तर तक की भी जमावट अभी से होगी।