किया चिन्हित, पार्टी को जीत की संभावना
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में चार चरणों में होने वाले चुनाव के लिए अब तक कांग्रेस ने 25 प्रत्याशियों की घोषणा की है। उसके तीन प्रत्याशियों का अब भी इंतजार बना हुआ है। पहले चरण वाली आधा दर्जन सीटों पर इन दिनों चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है। ऐसे में कांग्रेस ने अच्छी संभावनाओं वाली करीब एक दर्जन सीटों की पहचान कर ली है। इन सीटों पर ही पार्टी प्रचार के लिए पूरा फोकस करने जा रही है। इसके लिए तैयार रणनीति के तहत प्रचार के लिए पार्टी के बड़े नेताओं की सभाओं के लिए भी इन्हीं सीटों को प्राथमिकता देना तय कर लिया गया है। इसके अलावा पार्टी चुनाव के लिए बनाए गए वार रुम से भी प्रतिदिन का फीडबैक भी लिया जा रहा है। इन सीटों में शहडोल, मंडला, धार, खरगोन और रतलाम सीट भी शामिल हैं। इसके अलावा पार्टी छिंदवाड़ा में कमलनाथ तो राजगढ़ में दिग्विजय सिंह स्वयं मोर्चा संभाले हैं। धार की जिम्मेदारी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार को दी गई है, तो रतलाम से तो खुद कांतिलाल भूरिया चुनाव लड़ रहे हैं। यहां से कांग्रेस विधायक डा.विक्रांत भूरिया सहित अन्य विधायक मैदान में प्रचार कर रहे हैं। मुरैना और ग्वालियर के प्रत्याशी भले ही अभी घोषित नहीं हुए हैं , पर यहां भी पार्टी अपने लिए अच्छी संभावनाए देख रही है। यही वजह है कि यहां का जिम्मा पूर्व नेता प्रतिपक्ष डा.गोविंद सिंह को दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के परिणाम, प्रत्याशी और सामाजिक समीकरण को देखते हुए लोकसभा सीटों की श्रेणी बनाई है। इसमें मालवांचल और महाकोशल की आदिवासी सीटें भी शामिल हैं। दरअसल, विधानसभा चुनाव में आदिवासी मतदाताओं ने कांग्रेस का साथ दिया था। खरगोन, धार और मंडला में चार-चार और रतलाम में तीन अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीट कांग्रेस ने जीती थी। शहडोल में पार्टी ने तीन बार के विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को को मैदान में उतारा है। हालांकि, इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली शेष सभी सातों सीटें भाजपा के पास हैं। फिर भी पार्टी को उम्मीद है कि वह प्रत्याशी के दम पर यहां अच्छा प्रदर्शन करेगी। धार में राधेश्याम मुवेल और खरगोन में पोरलाल खरते के रूप में नए चेहरे दिए गए हैं। दोनों ही संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस ने पांच-पांच विधानसभा सीटें हैं। धार सीट की जिम्मेदारी नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार संभाल रहे हैं, तो जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन का साथ भी मिल रहा है, जो आदिवासियों के बीच काम करता है। 2018 में इस संगठन के समर्थन की बदौलत ही कांग्रेस ने आदिवासी सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान यहां के बदनावर विधानसभा में सभा भी कराई जा चुकी है।
डिंडौरी से कांग्रेस को आशा
मंडला में भाजपा के फग्गन सिंह कुलस्ते के विरुद्ध कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता और डिंडौरी से विधायक ओमकार सिंह मरकाम को मैदान में उतारा है। वे 2014 में भी कुलस्ते से मुकाबला कर चुके हैं। कुलस्ते केंद्रीय मंत्री रहते हुए अपने संसदीय क्षेत्र की निवास विधानसभा सीट से पराजित हो चुके हैं। यही वजह है इस सीट पर पार्टी ने प्रियंका गांधी की सभा कराना तय किया है।
भिंड व सतना को भी माना अनुकूल
भिंड में पार्टी ने अपने अनुसूचित जाति वर्ग के बड़े नेता फूलसिंह बरैया को मैदान में उतारा है। सतना सीट से ओबीसी विभाग के अध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाहा को मैदान में उतारा है, जिनका मुकाबला भाजपा के गणेश सिंह से है, जिन्हें चार माह पूर्व ही उन्होंने विधानसभा चुनाव में हराया था। यहां से नारायण त्रिपाठी भी बसपा से मैदान में उतर गए हैं। इसकी वजह से सतना में त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार बन गए है, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है।
मुरैना और ग्वालियर पर विशेष ध्यान
गुना संसदीय क्षेत्र को भी पार्टी ने संभावना वाली सीटों में रखा है। यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुकाबले सामाजिक समीकरणों के चलते राव यादवेंद्र सिंह यादव को मैदान में उतारा है। उनकी सहायता के लिए पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और विधायक सचिन यादव को भेजा जा रहा है। मुरैना और ग्वालियर में अभी प्रत्याशी अवश्य घोषित नहीं हुए हैं पर इन सीटों पर भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। मुरैना संसदीय क्षेत्र में आने वाली आठ विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने पांच पर विजय प्राप्त की थी। वहीं, ग्वालियर में भी चार सीटें उसके पास हैं।