कांग्रेस चुनावी नैया पार करने के लिए लेगी पंच बिंदुओं का सहारा

 कमलनाथ

भोपाल/रहीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में वैसे तो अभी से दोनों प्रमुख राजनैतिक दल कांग्रेस व भाजपा चुनावी तैयारियों में लगी हुई हैं, लेकिन इस मामले में अब कांग्रेस भाजपा से आगे निकलती दिख रही है। इसकी वजह है उसके द्वारा न केवल कई चुनावी दृष्टि से महत्वपूर्ण कमेटियों को गठित कर दिया जाना, बल्कि अलग-अलग नेताओं को जिम्मेदारी देना तो है ही साथ ही चुनाव के लिए पांच मुद्दें तय कर लिया जाना। दरअसल कांग्रेस तय किए गए पंच बिंदुओं के सहारे ही अपनी चुनावी नैया पार लगाने की रणनति पर तेजी से आगे बड़ रही है।
इन पांच मामलों के साथ ही पार्टी द्वारा पूरी तरह से अपना चुनावी रोडमैप भी तैयार किया जा चुका है। रणनीति के तहत जिन पांच मुददों को कांग्रेस ने चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी की है उसमें महंगाई, कर्मचारी, किसान, रोजगार, बिजली, पानी और कानून व्यवस्था शामिल है। इन मुद्दों पर पार्टी अभी से फोकस करने जा रही है। यह फैसला मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के निवास पर सभी प्रमुख नेताओं के साथ हुई बैठक में लिया गया है।
खास बात यह है कि जब कांग्रेस की यह बैठक चल रही थी, तभी बिजली भी गुल हो गई थी, जिसके चलते काफी देर तक मोबाइल के टार्च की रोशनी में बैठक करनी पड़ी। पूर्व मंत्री तरुण भनोत और प्रियव्रत सिंह ने बैठक में बनाए गए रोडमैप की जानकारी देते हुए बताया की महंगाई प्रमुख मुद्दा है। इसकी वजह से लोगों का जीना दूभर हो गया है। महंगाई के दम पर केंद्र की सत्ता हासिल करने वाली भाजपा अब इस मुद्दे पर बात नहीं करती है। कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू होगी। अन्य समस्याएं भी दूर की जाएंगी। उन्होंने बताया कि कमलनाथ सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करने का जो अभियान शुरू किया था, उसे शिवराज सिंह चौहान सरकार ने रोक दिया है।
अगर 2023 में कांग्रेस की सरकार बनती है, तो दोबारा किसानों की कर्ज माफी की जाएगी। किसान की आमदनी लगातार कम हो रही है।  बिजली और पानी का संकट भी प्रदेश में बढ़ा है। कानून व्यवस्था की स्थिति तो पूरी तरह बिगड़ चुकी है। भनोत ने कहा, प्रदेश में युवाओं के लिए रोजगार नहीं है। शिवराज सरकार में 30 लाख नए बेरोजगार पंजीकृत हुए हैं। यह दर्शाता है कि राज्य में रोजगार के लिए कोई प्रयास नहीं हुए हैं। नाथ की सरकार ने युवाओं को रोजगार देने के लिए जो प्रयास किए थे, मौजूदा सरकार उसे भी आगे नहीं बढ़ा पाई है। प्रदेश में लोगों को महंगी बिजली मिल रही है। लोग कटौती से भी परेशान हैं। प्रियव्रत ने कहा, मध्यप्रदेश सरकार ने बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों के साथ जो करार किए हैं, उसके तहत सरकार हर साल 4000 करोड़ रुपए कंपनियों को देती है। सरकारी खजाने से 4000 करोड़ रुपए का  हर साल भुगतान करने के बावजूद कंपनियां बिजली नहीं दे पा रही हैं।
प्रदेश में बिजली का संकट लगातार गहराता जा रहा है। गांव तहसील स्तर पर बिजली की बड़े पैमाने पर कटौती हो रही है। राजधानी भोपाल भी अघोषित कटौती से नहीं बचा  है। बिजली मिल नहीं रही है और किसानों को लाखों रुपए के बिल भेजे जा रहे हैं। बिल नहीं जमा करने पर किसानों को प्रताड़ित किया जा रहा है। बैठक में नाथ के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति, पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कावरे सहित तमाम नेता मौजूद थे।
नाथ ने की पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा
कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र पर अभी से कांग्रेस ने अमल करना शुरू कर दिया है। पहले किसानों की कर्जमाफी दोबारा से करने की घोषणा करने के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कर्मचारियों का साथ पाने के लिए उनकी सरकार बनने के बाद प्रदेश में कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली की भी घोषणा कर दी है। यह घोषणा उनके द्वारा शिक्षक व कर्मचारी कांग्रेस के अधिवेशन में की गई है। कमल नाथ ने कहा कि 2023 के चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने पर शिक्षकों की सभी समस्याओं को प्रमुखता से निराकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनते ही सबसे पहला कार्य कर्मचारियों के हित में किया जाएगा। उन्होंने शिक्षकों का उल्लेख करते हुए कहा कि वे बच्चों को पौधों की तरह सींचते हैं। इनके बारे में पहले सोचना होगा। इनके हाथ में देश का भविष्य है। कमल नाथ कहा कि पुरानी पेंशन को कांग्रेस की दूसरी सरकारों ने भी लागू किया है, ऐसे में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो पुरानी पेंशन लागू की जाएगी। वहीं अरुण यादव ने कहा कि बेरोजगारी और महंगाई पर भारतीय जनता पार्टी बात नहीं करती है। भाजपा सरकार मुख्य मुद्दों पर ध्यान भटकाने का काम करती हैं। शिवराज सरकार ने 20 हजार से ज्यादा घोषणाएं की हैं, वे लगातार झूठ बोल रहे हैं। एक भी घोषणाएं पूरी नहीं की जा रही है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि अधिवेशन में पुरानी पेंशन की बहाली, क्रमोन्नति, पदोन्नति, पदनाम परिवर्तन, ग्रेड पे, तबादला नीति सहित शिक्षकों की कई लंबित मांगों को लेकर बातचीत हुई। सभी पदाधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद अगली रणनीति तैयार की जा रही है। मौजूदा राज्य सरकार शिक्षकों की मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। अधिवेशन के दौरान राज्य सरकार को मांगों के निपटारे के लिए अल्टीमेटम भी दिया जाएगा। इसके बाद चरणबद्ध आंदोलन के बारे में भी बातचीत की गई।
कांग्रेस करेगी हल्लाबोल प्रदर्शन  
मप्र कांग्रेस अब पूरी तरह से मैदान में उतरने की रणनीति पर काम कर रही है। इसकी शुरूआत प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था और बिजली संकट पर हल्लाबोल प्रदर्शन के साथ करने जा रही है। इसके लिए पार्टी द्वारा बड़े पैमाने पर तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही पार्टी ने अगले विधानसभा चुनावों के लिए दिग्गज नेताओं को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी है। इसके लिए रोडमैप भी तैयार कर लिया है। पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह ने बताया कि सरकार निजी कंपनियों को हर साल बिजली की खरीदी के लिए 4 हजार करोड़ का भुगतान कर
रही है, जनता को बिजली नहीं मिल पा रही।

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