कांग्रेस आदिवासियों का सम्मेलन आयोजित कर बिछाएगी उपचुनाव की बिसात

कांग्रेस आदिवासियों
  • उपचुनावों वाली इन विधानसभा सीटों पर भाजपा ने भी अपने अनुसूचित जनजाति मोर्चा को सक्रिय कर दिया है…

    भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।
    उपचुनाव की आहट आते ही प्रदेश में राजनीतिक दलों द्वारा वोटरों को लुभाने की तरह-तरह की कोशिशें शुरू कर दी गई है। इसी कड़ी में कांग्रेस अब आदिवासियों को साधने में जुट गई है। इसकी वजह यह है कि उपचुनाव वाली रैगांव और जोबट विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति बाहुल्य सीटें हैं।
    यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने आदिवासियों को राजधानी में एकत्रित करने की पहल की है। कमलनाथ ने पत्र लिखकर प्रदेशभर के आदिवासियों को आदिवासी सम्मेलन में बुलाया है। खास बात है कि इस सम्मेलन को ‘आदिवासियों का सम्मेलन’ नाम दिया गया है। हालांकि वैसे तो आदिवासी विकास परिषद के जरिए कांग्रेस हमेशा से ही इस वर्ग के बीच में सक्रिय बनी हुई है। इसकी कमान भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया संभालते रहे हैं। इस संगठन में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक बाला बच्चन, उमंग सिंघार व सुंदरलाल मार्को सहित बड़ी संख्या में नेता शामिल है। वहीं दूसरी ओर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ जयस से जुड़े हीरालाल अलावा को कांग्रेस से टिकट देकर एक बड़ा दांव खेला था। यही नहीं इसका फायदा भी आदिवासी सीटों पर कांग्रेस को मिला था अब उपचुनाव वाली तीन विधानसभा सीटों में से जोबट और रैगांव अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें हैं। ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि किसी भी तरह आदिवासियों को अपने से जोड़ा जाए जिससे इसका फायदा उपचुनावों में पार्टी को मिल सके। सूत्रों की माने तो आदिवासी सम्मेलन में दिखाई जा रही सक्रियता इन उपचुनावों का परिणाम है।
    मोर्चा पदाधिकारियों को लगाया काम पर
    इन दोनों ही विधानसभा सीटों पर मोर्चा की अहम भूमिका है। यही वजह है कि भाजपा ने अपने अनुसूचित जनजाति मोर्चा को उपचुनावों वाले क्षेत्रों में सक्रिय कर दिया है। हाल ही में मोर्चा की टीम घोषित करने के साथ ही जिलों की टीम भी जल्द की बनाने के निर्देश दिए हैं। चुनावों को देखते हुए दोनों जिलों में मोर्चा के पदाधिकारी जल्दी अपनी-अपने काम में जुटेंगे।
    सभी संगठनों को एक मंच पर लाने का प्रयास
    उल्लेखनीय है कि कांग्रेस द्वारा इस सम्मेलन के जरिए आदिवासियों के सभी संगठनों को एक मंच पर लाने की कोशिश की जा रही है। यही वजह है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने पत्र में ही सम्मेलन से जुड़ी मंशा को जाहिर कर दिया है। इस पत्र में पीसीसी चीफ ने प्रदेश में आदिवासियों का विकास न होने एवं लगातार इस वर्ग पर शोषण बढ़ने की घटनाओं का खुलकर उल्लेख किया है। साथ ही कमलनाथ ने खुद को आदिवासी बाहुल्य जिला छिंदवाड़ा का निवासी बताते हुए अपना झुकाव और जुड़ाव इस वर्ग के बढ़ाने की कोशिश की है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक आदिवासी सम्मेलन के बाद कांग्रेस जल्द ही दोनों जनजाति बाहुल्य विधानसभा सीटों पर अपनी गतिविधियां बढ़ाएगी।
    भाजपा ने भी बढ़ाई सक्रियता
    उपचुनावों के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी ने भी जोबट और रैगांव विधानसभा सीटों पर सक्रियता बढ़ा दी है। सतना में राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री व प्रदेश संगठन के प्रभारी शिवप्रकाश अपना डेरा डाल चुके हैं। यही नहीं वे विधानसभा के मैदानी नेताओं की बैठक भी ले चुके हैं। दूसरी ओर प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा भी हाल ही में जोबट में तीन दिन का दौरा कर चुके हैं। सूत्रों की माने तो वे बूथ स्तर तक अपनी पहुंच बनाने में कामयाब रहे हैं।

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