कांग्रेस लड़ेगी सभी सीटें लेकिन कुछ सीटों पर रहेगा विशेष फोकस

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  • लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की रणनीति तैयार

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी हार से उबर कर कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव की तैयारी में पूरी तरह जुट गई है। कांग्रेस नए चेहरे यानी प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और नई टीम के साथ लड़ेगी। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी जिलों का दौरा कर रहे हैं। वहीं प्रदेश प्रभारी जीतेंद्र सिंह ने भी प्रदेश अध्यक्ष के साथ पदाधिकारियों के साथ बैठकें करके चुनावी रणनीति में जुट गए हैं। पार्टी लोकसभा की सभी 29 सीटों पर पूरी दमदारी से लड़ेगी, लेकिन 10 सीटों पर अधिक फोकस करेगी। ये वे सीटें हैं, जहां की विधानसभा सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं कि लोकसभा चुनाव की तैयारी में इस बार भाजपा की तुलना में कांग्रेस आगे दिख रही है। प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन में देरी किए बगैर कांग्रेस आलाकमान चुनाव घोषणा पत्र समिति पहले ही गठित कर चुका था, अब प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों के लिए प्रभारी और संयोजक नियुक्त किए जा चुके हैं। तैयारी के सिलसिले में कांग्रेस पार्टी विधायकों, विधानसभा चुनाव हारे प्रत्याशियों, प्रभारियों, जिलाध्यक्षों की बैठकें कर चुकी है। इनमें लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा हुई है। तय किया जा चुका है कि पार्टी के सभी बड़े नेताओं को लोकसभा का चुनाव लड़ाया जाएगा और प्रत्याशियों की घोषणा भी जल्दी कर दी जाएगी ताकि प्रत्याशियों को चुनाव लडऩे के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
कांग्रेस में इस समय नए नेतृत्व में नया जोश नजर आ रहा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी लगातार सक्रिय हैं। उनका पहला फोकस प्रदेश कार्यकारिणी बनाने पर है। इसके लिए वे तैयारी में जुट गए हैं। साथ ही उन्होंने लोकसभा चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है। पार्टी का लक्ष्य है इस बार के लोकसभा चुनाव में कैसी भी दहाई का आंकड़ा प्राप्त किया जाए। इसलिए विधानसभा चुनाव में हार से उबर कर कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। नतीजा जो भी आए, लेकिन तैयारी के लिहाज से भाजपा की तुलना में कांग्रेस आगे दिखने लगी है। कांग्रेस लड़ेगी तो सभी 29 लोकसभा सीटें, लेकिन 10 सीटों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करेगी। इनमें से 9 सीटों में विधानसभा चुनाव में मिले वोटों के कारण पार्टी को उम्मीद है। 10 वीं सीट राजगढ़ है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि यदि यहां से दिग्विजय सिंह अथवा उनके परिवार का सदस्य चुनाव लड़े तो यहां भी जीत दर्ज की जा सकती है।
विधानसभा परिणाम को बनाया आधार
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए विधानसभा चुनाव परिणाम को आधार बनाया है। विधानसभा चुनाव के रिजल्ट में 29 संसदीय क्षेत्रों में से भाजपा पांच में स्पष्ट रूप से पिछड़ गई है। यानी आज की स्थिति में उसे चार सीटों का नुकसान हो रहा है। इनमें तीन पर भाजपा के मौजूदा सांसद हैं। एक कांग्रेस के पास है और एक पर भाजपा के नरेंद्र सिंह तोमर इस्तीफा दे चुके हैं। इसके अलावा पांच और सीटों पर भाजपा की बढ़त लोकसभा की तुलना में कम हुई हैं। ये सीटें ग्वालियर-चंबल, महाकौशल और मालवा अंचल की हैं। ऐसे में कांग्रेस भाजपा के कमजोर प्रदर्शन वाली सीटों पर अधिक फोकस करेगी। विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बावजूद 5 लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां, कांग्रेस ने भाजपा से ज्यादा विधानसभा सीटें जीतीं। छिंदवाड़ा में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 3 विधानसभा सीटों में बढ़त बनाई थी लेकिन, विधानसभा चुनाव में वह सभी सीटें हार गई। मुरैना में नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा के चुनाव में सभी सीटों में बढ़त बनाई थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा 5 सीटें हार गई जबकि तोमर यहां से विधानसभा का चुनाव  लड़ रहे थे। धार में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 6 सीटों में बढ़त ली थी लेकिन, विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस से 5 विधानसभा सीटों में पिछड़ गई। खरगोन के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त ली थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में वह सिर्फ 3 सीटें जीत सकी। पांचवी सीट है रतलाम-झाबुआ। यहां भी 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 5 सीटों पर बढ़त बनाई थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में वह सिर्फ एक सीट जीत सकी। वहीं प्रदेश के चार लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं, विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा-कांग्रेस के बीच लगभग बराबरी की टक्कर हुई। कांग्रेस इन सीटों में भी ध्यान केंद्रित करने की तैयारी में है। इनमें भिंड, ग्वालियर और बालाघाट लोकसभा क्षेत्रों में दोनों दलों भाजपा-कांग्रेस को 4-4 विधानसभा क्षेत्रों में जीत मिली है। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने भिंड की सभी 8, ग्वालियर की 6 और बालाघाट की 7 विधानसभा सीटों में बढ़त बना कर जीत दर्ज की थी। टीकमगढ़ में भी लोकसभा चुनाव में भाजपा ने क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों में बढ़त बनाई थी लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 3 सीटे गंवा दीं। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यदि यहां जोर लगाया जाए तो सफलता मिल सकती है।
नए चेहरों पर दांव
इन सीटों को जीतने के के लिए पार्टी नए चेहरे को मैदान में उतारेगी। 10 दिन के अंदर प्रत्याशियों की तस्वीर साफ हो जाएगी। टिकट वितरण में जनरेशन चेंज दिखाई देगा। प्रत्याशी की विजिबिलिटी और जीतने वाला प्रत्याशी ही मैदान में उतरा जाएगा, प्रत्याशी जिताऊ होगा बिकाऊ नहीं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव की दृष्टि से कांग्रेस की तैयारी अच्छी है, लेकिन उसे यह भी याद रखना होगा कि 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद तो कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार तक बना ली थी। उसकी सरकार रहते 2019 का लोकसभा चुनाव हुआ था, इसमें कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। किसी तरह छिंदवाड़ा में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ चुनाव जीत सके थे। जब सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में एक सीट तक के लाले पड़ गए थे, तो अब जब प्रदेश में भाजपा बंपर जीत के साथ सत्ता में है तो कांग्रेस का हश्र पिछले लोकसभा चुनाव जैसा हो सकता है। कांग्रेस की बैठकों में प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी कह चुके हैं कि लगभग 100 विधानसभा सीटें ऐसी है, जहां कांग्रेस प्रत्याशी 1 या 2 फीसदी के अंतर से चुनाव हारे हैं। 5 लोकसभा क्षेत्र तो ऐसे हैं, जहां कांग्रेस को भाजपा से ज्यादा वोट मिले हैं। इसके अलावा 4 लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस ने भाजपा को अच्छी टक्कर दी है। जीतू पटवारी का मानना है कि यदि व्यवस्थित चुनाव लड़ा जाए और प्रत्याशी अच्छे हो तो पांसा पलटते देर नहीं लगेगी। कांग्रेस का लक्ष्य छिंदवाड़ा के साथ ये 9 सीटें हैं, जहां के लिए कांग्रेस पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है।

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