- मिशन 2024 की तैयारियों में जुट गई कांग्रेस
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार को भुलाकर कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी जहां एक तरफ प्रदेश कार्यकारिणी का खाका तैयार कर रहे हैं, वहीं मिशन 2024 की तैयारियां भी शुरू हो गई है। दरअसल, विधानसभा चुनाव से सबक लेते हुए कांग्रेस लोकसभा की सभी सीटों पर चुनावी की घोषणा से पहले ही प्रत्याशी घोषित करना चाहती है, ताकि सभी को चुनाव प्रचार का पर्याप्त मौका मिल सके। कांग्रेस पार्टी इस बार के लोकसभा चुनाव में दिग्गज नेताओं पर दांव लगाने की तैयारी में है। कांग्रेस पार्टी उन सभी बड़े चेहरों को भी मैदान में उतारने का मन बना रही है, जो विधानसभा का चुनाव चुनाव हार गए है। इनमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, पूर्व मंत्री केपी सिंह, कमलेश्वर पटेल, पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा, नीलांशु चतुर्वेदी, भाजपा से कांग्रेस में आए पूर्व सांसद बोध सिंह भगत सहित कई चेहरे शामिल हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया खुद दिग्गजों को चुनाव लड़ाने की पैरवी कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि बड़े नेताओं को लोकसभा का चुनाव लड़ाया जाना चाहिए। इनमें वे नेता भी शामिल माने 1 रहे हैं, जो जो विधानसभा चुनाव-2023 में चुनाव। हार गए गए थे। कांग्रेस कुछ मौजूदा विधायकों को भी चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस की आज दिल्ली में बड़ी बैठक हो रही है। बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार शामिल हुए हैं। इसमें लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा होगी। इसमें मिलने वाले दिशा-निर्देश के अनुरूप प्रदेश में तैयारी होगी। पटवारी छह से आठ जनवरी तक प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श करेंगे और फिर उनका प्रदेशव्यापी दौरा प्रारंभ होगा। इसमें प्रदेश प्रभारी जितेंद्र सिंह, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, उप नेता हेमंत कटारे भी अलग-अलग स्थानों पर साथ में रहेंगे।
दावेदारों से बायोडाटा मांगा
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश संगठन की कमान युवा नेतृत्व को सौंपी है। इससे कांग्रेस की तैयारियों में नया जोश नजर आने लगा है। शायद यही वजह है की मप्र कांग्रेस कमेटी ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों की तलाश शुरू कर दी है। इसके लिए पार्टी ने दावेदारों से बायोडाटा मांगा है। कांग्रेस आलाकमान ने जिला संगठन से भी लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नामों पर सुझाव देने कहा है। इस बार कांग्रेस अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान भी जल्दी करने के मूड में है। मकसद यह कि मैदान में जल्दी उम्मीदवार उतारने से उन्हें प्रचार करने का भरपूर समय मिल जाएगा। पार्टी ने यह सबक विधानसभा चुनाव से लिया है। विधानसभा चुनाव में देरी से उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करने के कारण उन्हें तैयारी का मौका नहीं मिला है और चुनावी माहौल कांग्रेस के पक्ष में होने के बावजूद पार्टी बुरी तरह हार गई। पार्टी स्तर पर यह माना गया कि साल 2023 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों का चयन करने में कांग्रेस काफी पिछड़ गई थी। अव्वल तो उम्मीदवारों का नाम तय करने में जानबूझ कर देरी की गई। उसके बाद जब उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया, तब उनका चयन सही नहीं था। यह बात पिछले लोकसभा चुनाव में भी सामने आई थी। मसलन यदि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भोपाल की बजाय राजगढ़ लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया जाता है, तो उनका पलड़ा मजबूत होता। पार्टी पिछले लोकसभा और हाल में हुए विधानसभा चुनाव की गलती को अब दोहराना नही चाहती है। इसी मंशा से पार्टी ने नामों की छंटनी शुरू कर दी है। कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता यह स्वीकार करते हैं कि भाजपा से मजबूती से मुकाबला करना है, तो पार्टी को उम्मीदवार जल्दी उतारने होंगे।
अभी एक मात्र सीट कांग्रेस के पास
मप्र में लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं। इनमें से कांग्रेस के पास एक मात्र सीट छिंदवाड़ा है। छिंदवाड़ा से पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ सांसद हैं। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में नकुल की जीत का आंकड़ा भी बहुत कम था। साल 2014 में कांग्रेस 29 में से दो सीटों पर जीत हासिल की थी और पार्टी के पास 2019 में एक सीट बची थी। वर्ष 2019 में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गुना लोकसभा सीट से चुनाव हार गए थे। अब सिंधिया भाजपा में हैं। भाजपा इस बार सभी 29 सीटें जीतने की रणनीति पर काम कर रही है, जबकि कांग्रेस विधानसभा में मिली हार का बदला लोकसभा में चुकाना चाहती है और भाजपा से सीटें छीनकर अपने पाले में लाने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस नेताओं की हाल में भोपाल में हुई बैठक में प्रत्याशियों के चयन का मुद्दा जोर-शोर से उठा था। पार्टी के नेताओं की मांग थी कि उम्मीदवारों के नामों का ऐलान जल्दी कर दिया जाए। कोशिश की जाए कि जनवरी और फरवरी तक पार्टी अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दे। इससे उन्हें तैयारी करने का मौका मिल जाएगा। प्रत्याशियों की तैयारी जब पूरी होगी, तो उन्हें प्रचार करने के लिए पूरा समय मिलेगा। वे तय रणनीति के तहत मैदान में अपने चुनाव प्रचार को अंजाम भी दे पाएंगे। उसके बाद पार्टी ने अंदर खाने यह तय किया कि उम्मीदवारों के नामों का ऐलान जल्दी कर देना चाहिए। लिहाजा पार्टी ने अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी मंशा से दावेदारों और जिला संगठन से जानकारी मांगी गई है।
नई जमावट करेंगे पटवारी
मप्र विधानसभा चुनाव में हारे प्रत्याशियों को कांग्रेस संगठन में जगह देने के साथ लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी देगी। इसके लिए पहले सभी प्रत्याशियों के साथ छह जनवरी को भोपाल में बैठक होगी। इसमें कुछ लोगों को लोकसभा चुनाव के लिए प्रभारी बनाया जा सकता है तो कुछ को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। नौ-दस जनवरी से प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी प्रदेशव्यापी दौरा प्रारंभ करेंगे। जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के बाद प्रभारी जितेंद्र सिंह ने प्रदेश कार्यकारिणी भंग कर दी है। मार्च में लोकसभा चुनाव की घोषणा संभावित है। इसे देखते हुए पटवारी भी तैयारियों में जुट गए हैं। प्रदेश पदाधिकारी, अनुषांगिक संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष, जिला कांग्रेस अध्यक्ष, प्रभारी और मोर्चा-प्रकोष्ठों के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर चुके हैं। अब विधानसभा चुनाव हारे प्रत्याशियों की बैठक बुलाई गई है। इसमें लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर चर्चा होगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पूर्व विधायकों का उपयोग चुनाव में किया जाएगा। इन्हें लोकसभा प्रभारी बनाया जा सकता है तो कुछ को संगठन में स्थान दिया जाना प्रस्तावित है। युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कुणाल चौधरी और विपिन वानखेड़े को प्रदेश महासचिव बनाया जा सकता है। पूर्व विधायक संजय शर्मा, रवि जोशी, तरुण भनोत, हर्ष विजय गेहलोत, सुखदेव पांसे, हिना कांवरे, प्रवीण पाठक, विशाल पटेल को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।