- विकास के सहारे सबको साध रही भाजपा
- महाकाल लोक ने कांग्रेस की मंशा पर फेर दिया पानी
मप्र में मुख्यमंत्री के तौर पर पांचवी पारी खेलने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने विकास का ऐसा चक्रव्यूह रचा है जिसमें कांग्रेस फंस गई है। कांग्रेस की समझ में नहीं आ रहा है कि वह इस चक्रव्यूह को कैसे तोड़े। शिवराज के चक्रव्यूह को तोडऩे के लिए कांग्रेस कभी सॉफ्ट हिंदुत्व, कभी श्रेय की राजनीति, कभी गलत तथ्यों को परोसकर अपनी विफलता का प्रदर्शन कर रही है। उधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विकास के सहारे सभी वर्ग और सभी क्षेत्र को साधने में जुटे हुए हैं।
विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मप्र विधानसभा चुनाव को एक साल का समय बचा है। भाजपा जहां अपने 18 साल के विकास यात्रा के सहारे जनता के बीच पैठ बना रही है, वहीं कांग्रेस अपने 15 माह के शासनकाल का गुणगान कर रही है। भाजपा के पास जनता के सामने परोसने के लिए विकास कार्यों की लंबी-चौड़ी सूची है। वहीं कांग्रेस आरोप-प्रत्यारोप का सहारा ले रही है। चुनावी रणनीतिक लड़ाई में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ अकेले जूझ रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ सत्ता, संगठन, संघ के साथ ही केंद्रीय नेता भी जुटे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही गृहमंत्री अमित शाह लगातार प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकाल की नगरी उज्जैन में महाकाल लोक का लोकार्पण कर प्रदेश की 8 करोड़ आबादी को विकास की ऐसी सौगात दी है जिससे कांग्रेस के होश उड़ गए हैं।
11 अक्टूबर को उज्जैन में श्री महाकाल लोक के लोकार्पण के भव्य कार्यक्रम के जरिए भाजपा ने एक तरह से मध्यप्रदेश में अपना चुनावी शंखनाद भी कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में महाकाल लोक के लोकार्पण का भव्य कार्यक्रम ठीक उस समय हुआ, जब प्रदेश चुनावी मोड में आ चुका है। मध्यप्रदेश भाजपा अपने हर विधानसभा चुनाव में अपने चुनावी अभियान का आगाज बाबा महाकाल के आशीर्वाद के बाद उज्जैन में जनसभा से करती आई है। महाकाल लोक का लोकार्पण करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन में एक जनसभा को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने जहां महाकाल लोक के निर्माण के लिए शिवराज की पीठ थपथपाई, वहीं उनकी कार्यकुशलता की जमकर प्रशंसा की। चुनाव से पहले महाकाल लोक का उद्घाटन का भव्य कार्यक्रम भाजपा का बड़ा सियासी दांव भी माना जा रहा है।
भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे को मिलेगी नई धार!
श्री महाकाल लोक के जरिए भाजपा ने मप्र में हिंदुत्व के एजेंडे को नई धार दे दी है। हिंदुत्व का एजेंडा जो 2014 के बाद भाजपा की जीत की गारंटी बन गया है, वह महाकाल लोक मप्र के चुनावी फिजा में एक तरह से वाइल्ड कार्ड एंट्री है। यहीं कारण है श्री महाकाल लोक के लोकार्पण के कार्यक्रम को वैश्विक पटल पर लाकर भाजपा ने हिंदुओं के बीच एक सीधा संदेश दिया है। उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण कार्यक्रम से भाजपा 40 देशों के एनआरआई को जोड़ा गया। इसके लिए बकायदा भाजपा विदेश संपर्क विभाग के प्रदेश सह संयोजक सुधांशु गुप्ता ने मप्र के एनआरआई के साथ वर्चुअल मीटिंग भी की थी। मीटिंग में श्री महाकाल लोक परिसर की भव्यता, सुंदरता और सरकार की प्रयासों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई थी। इसके साथ मप्र भाजपा ने लोकार्पण कार्यक्रम का 1070 मंडलों में लाइव प्रसारण की व्यवस्था की। प्रदेश के सभी 1070 मंडलों समेत प्रत्येक बूथ पर लाइव प्रसारण की व्यवस्था की गई जिससे लोगों को कार्यक्रम से जोड़ा गया था। इसके साथ भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रत्येक मंडल समेत हर बूथ पर स्थित देवालयों में स्वच्छता अभियान और शाम के समय दीपोत्सव का आयोजन किया गया। वहीं महाकाल लोक के कार्यक्रम के गांव-गांव लाइव प्रसार की व्यवस्था भी की गई। गांव के मंदिर और देवालयों में लोगों को एकत्र करके शिव भजन, पूजन, कीर्तन, अभिषेक, आरती की व्यवस्था की गई थी। इसी प्रकार शहरी वार्डों के प्रमुख मंदिरों में भी धार्मिक-आयोजन किए गए। इन सभी स्थान पर भी एलईडी स्क्रीन पर कार्यक्रम के सीधे प्रसारण की व्यवस्था की गई थी। इसको प्रदेश की जनता के मानस पर बड़ा प्रभाव पड़ा है।
मप्र की राजनीति में कहा जाता है कि जिस सियासी दल ने मालवा निर्माण में फतह हासिल कर ली समझो उसने सत्ता की कुर्सी पाई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नर्सरी कहलाने वाले मालवा-निमाड़ को भाजपा का गढ़ माना जाता है। मालवा-निमाड में आने वाली विधानसभा की 67 सीटों में जो पार्टी बेहतर प्रदर्शन करती है वह सत्ता में काबिज होती है। अगर पिछले दो विधानसभा चुनाव के मालवा-निमाड़ के नतीजों को देखा जाए तो स्थिति बहुत कुछ साफ होती है। 2013 के विधानसभा चुनाव में मालवा-निमाड़ की 57 सीटें भाजपा के खाते में गई थी और 10 सीटें कांग्रेस मो मिली थी। वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 67 सीटों में से 35 सीटों पर जीत हासिल की थी और भाजपा के खाते में केवल 28 सीटें आई थी। पिछले दो विधानसभा चुनाव के नतीजें साफ बताते है कि क्यों भाजपा 2023 विधानसभा चुनाव के लिए मालवा-निमाड़ पर फोकस कर रही है। महाकाल लोक प्रदेश की चुनावी फिजा में कितना असर डालेंगे इसको इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेस महाकाल लोक को अपनी सरकार की उपलब्धि बता रही है तो भाजपा महाकाल लोक के निर्माण का श्रेय लेने में चूकना नहीं चाहती है। नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह का कहना है कि कमलनाथ सरकार ने उज्जैन की अलौकिक भूमि पर महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग मंदिर के विकास और विस्तार के लिए न सिर्फ एक समग्र योजना बनायी और उसको मूर्तरूप देना भी प्रारंभ कर दिया था। अगस्त 2019 में कमलनाथ के मुख्यमंत्री रहते हुए महाकाल मंदिर विकास की 300 करोड़ रूपए की योजना का विस्तृत ब्यौरा महाकाल मंदिर के पुजारियों और मंत्रिमंडल के सदस्यों के सामने पेश किया गया था। कांग्रेस का दावा है कि कमलनाथ सरकार ने ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, राम पथ वन गमन के साथ ही श्रीलंका में माता सीता के मंदिर सहित समूचे मप्र के मंदिरों के विकास और विस्तार के साथ मंदिरों के पुजारियों के मानदेय के लिए एक व्यापक अग्रणी भूमिका का निर्वाहन किया था। वहीं कांग्रेस के इस दावे पर मध्यप्रदेश सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि महाकाल लोक के निर्माण का श्रेय लेने का दावा करने वाली कांग्रेस झूठ बोल रही है। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि कमलनाथ की सरकार के समय श्री महाकाल लोक का निर्माण कार्य ठंडे बस्ते में चला गया था और भाजपा सरकार आने पर इसमें तेजी आई। बरहाल महाकाल लोक और हिंदुत्व का मुद्दा आने वाले समय में मालवा निमाड़ और मध्यप्रदेश की चुनावी सियासत पर क्या असर दिखाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
2023 में चमकेगी किसकी किस्मत
भाजपा मौके की अहमियत बखूबी समझती है। कौन सा समय ठीक और कब क्या संदेश देना है, भाजपा का इस मामले में कोई सानी नहीं। मांडू में पार्टी का प्रशिक्षण वर्ग हो या उज्जैन में महाकाल लोक को देश को समर्पित करने का मौका। भाजपा उस वक्त ये भव्य आयोजन करने जा रही है, जब मप्र चुनाव के मुहाने पर खड़ा है। बेशक महाकाल लोक के साथ केवल उज्जैन देश ही नहीं दुनिया के नक्शे पर नए सिरे से आ जाएगा और महाकाल लोक उज्जैन के धार्मिक पर्यटन में अपना असर दिखाएगा। लेकिन क्या बदलाव केवल इतना ही होगा। जिस जमीन पर लिखा जा रहा ये इतिहास, वो भला कैसे अछूता रह जाएगा। तो सवाल ये कि, महाकाल लोक आने वाले समय में पहले मालवा निमाड़ और फिर मप्र की चुनावी सियासत पर क्या असर दिखाएगा। मालवा निमाड़ के लिए यूं भी कहा जाता है कि, यहां जिसने पकड़ बनाई, उसी दल ने फिर सत्ता की कुर्सी पाई है। एक हिंदू आस्थावान वोटर की निगाह से महाकाल लोक के पूरे प्लान को देखिए। ये महाकाल लोक केवल महाकाल की आस्था का विस्तार भर नहीं है। ये वोटर तक भाजपा का ये संदेश भी है कि, मप्र में अपने वोटर को तीर्थ यात्रा कराने वाली भाजपा की सरकार में उस प्रदेश के आस्था के स्थलों का कायाकल्प कर देने की काबिलियत है। ये भाजपा की सरकार में ही हुआ है कि, मप्र धार्मिक पर्यटन के नक्शे पर दिखाई दे रहा है। महाकाल लोक में भगवान शिव की कहानियों के किस्सों में सीएम शिवराज के कार्यकाल के हिस्से भी आएंगे। ये तय जानिए और संदेश ये भी दिया जाएगा कि, अपने हर चुनाव अभियान की शुरुआत महाकाल से करने वाली भाजपा का उज्जैन से नाता केवल सियासी नहीं है। वैचारिक महाकुंभ से लेकर महाकाल लोक तक महाकाल और उज्जैन को दुनिया के नक्शे पर लाने का कोई मौका शिवराज सरकार ने नहीं छोड़ा।
मालवा निमाड़ वो इलाका है, जिसे आरएसएस की नर्सरी भी कहा जाता रहा है। इस लिहाज से ये पूरा इलाका भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है। भाजपा के तमाम दिग्गज नेता इसी इलाके से हैं और यही वो इलाका 2003 के बाद से जहां भाजपा को मिली जीत ने मध्यप्रदेश में पार्टी की सरकार बनाने का रास्ता मजबूत किया है। मालवा निमाड़ दोनों इलाके मिला लिए जाएं, तो यहां विधानसभा की करीब 67 सीटे हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में मालवा निमाड़ की 57 सीटें भाजपा के खाते में गई थी और करीब दस सीटें कांग्रेस के हिस्से आ पाई थीं। 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता भाजपा के हाथ से सत्ता खिसक जाने की बड़ी वजह ग्वालियर चंबल के बाद मालवा निमाड़ का ये इलाका ही रहा, जहां 67 सीटो में से 35 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। करीब 28 सीटें भाजपा के खाते में आई। इस लिहाज से देखा जाए तो महाकाल से चुनावी अभियान की शुरुआत करने वाली भाजपा सरकार मे चुनाव से पहले महाकाल लोक का उद्घाटन बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नर्सरी कहलाने वाले मालवा-निमाड़ को भाजपा का गढ़ माना जाता है। मालवा-निमाड में आने वाली विधानसभा की 67 सीटों में जो पार्टी बेहतर प्रदर्शन करती है वह सत्ता में काबिज होती है।
शिवराज का कद और बढ़ा
मप्र में पांचवी बार सत्ता में लौटने के लिए भाजपा ने सियासी बिसात बिछाना शुरू कर दी है। भाजपा को इस बार अपनी चुनावी नैया पार लगाने के लिए राम के श्रीराम के बजाए शिव से ज्यादा उम्मीदें हैं। यहीं कारण है कि भव्य महाकाल कॉरिडोर प्रोजेक्ट की ब्रांडिंग पूरे प्रदेश में जोर-शोर से की गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अपील पर श्री महाकाल लोक के लोकार्पण के दिन प्रदेशभर के मंदिरों में दीपक जलाए गए। प्रदेशभर में लोकार्पण कार्यक्रम को एलईडी पर दिखाया गया। इससे मुख्यमंत्री की लोकप्रियता को पूरे देश ने देखा। महाकाल लोक की भव्यता को देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गदगद नजर आए। दरअसल, उन्होंने महाकाल लोक की जो परिकल्पना की थी, उसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हूबहू साकार कर दिखाया है। इससे खुश होकर प्रधानमंत्री ने शिवराज की जमकर प्रशंसा की और उनकी पीठ थपथपाई। कार्यक्रम के दौरान जिस तरह मोदी और शिवराज के बीच समन्वय और सहभागिता दिखी उससे शिवराज का राजनीतिक कद और बढ़ गया है। यानी महाकाल लोक की भव्यता ने शिवराज का कद और बढ़ा दिया है। पीएम ने अपने संबोधन में मुख्यमंत्री की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि महाकाल लोक की यह भव्यता भी समय की सीमा से परे आने वाली कई पीढिय़ों को आलौकिक दिव्यता के दर्शन कराएगी। भारत की अध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना को ऊर्जा देगी। मैं इस अद्भुत अवसर पर राजाधिराज महाकाल के चरणों में शत-शत नमन करता हूं। मैं आप सभी को देश-दुनिया में महाकाल के सभी भक्तों को ह्दय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। विशेष रूप से भाई शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार, उनका मैं ह्दय से अभिनंदन करता हूं। जो लगातार इतने समर्पण से इस सेवा यज्ञ में लगे हुए हैं।
शिवराज सिंह चौहान देश के उन चुनिंदा राजनेताओं में से एक हैं जो हर कदम पर जनता से साथ निभाने का वादा करते हैं, तो निभाते भी हैं और हर कदम पर जनता के साथ खड़े दिखाई देते हैं। क्षिप्रा के तट पर बसी प्राचीनतम नगरी उज्जैन का महाकाल लोक आज उनकी कुशल नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शी सोच को प्रस्तुत करता है जो भगवान शिव के भक्तों के स्वागत के लिए अब तैयार है। महाकाल लोक की अवधारणा वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मन में आई थी। इस पर विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं, संतों और विषय-विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श कर योजना तैयार की गई थी जिस पर गंभीरता से अमल करते हुए योजना का प्रथम चरण पूर्ण हुआ है। महाकाल लोक के जरिए शिव के सभी स्वरूप एक स्थान पर लाना मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के सामने मुश्किल कार्य था लेकिन सरकार के अथक प्रयासों से यह काम समय में साकार हो गया।
नवाचारों का गढ़ बनता प्रदेश
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश भर में लगातार नवाचार किये जा रहे हैं। महाकाल लोक के अद्भुत और विहंगम रूप को पूरी दुनिया के सामने लाने के लिए प्रदेश सरकार कई सारे नवाचार कर रही है। इसी में से एक है श्री महाकाल लोक। श्री महाकाल लोक का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकार्पण किया। कार्यक्रम के दौरान हुई जनसभा में एक लाख लोगों की उपस्थिति रही। जबकि भाजपा को 50,000 लोगों के आने का अनुमान था। इस संबंध में पार्टी संगठन में जबरदस्त मेहनत की। इसी का नतीजा रहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा को सुनने के लिए जनसैलाब उमड़ा। प्रधानमंत्री का पूरा भाषण भगवान महाकाल और उज्जैन की महिमा पर केंद्रित था। इसका भी अनुकूल असर जनता पर देखा गया। सभा की सफलता का श्रेय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को दिया जाना चाहिए जो इसके लिए कई दिनों से तैयारी कर रहे थे। उज्जैन के कार्यक्रम के प्रभारी प्रदेश के स्थानीय शासन मंत्री भूपेंद्र सिंह भी प्रशंसा के हकदार हैं। महाकाल लोक लोकार्पण के सफल कार्यक्रम से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही भाजपा को भी लाभ मिलने वाला है। खास बात यह रही कि टेलीविजन के माध्यम से इस प्रसारण को प्रदेश भर में करीब एक करोड़ लोगों ने देखा।दुनिया के 40 देशों में इसका लाइव टेलीकास्ट किया गया।महाकाल लोक परिसर की भव्यता और सफल कार्यक्रम से भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह आसमान पर पहुंच गया है। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को प्रदेश के गांव-शहर के लोगों ने लाइव देखा। कार्यक्रम के लाइव प्रसारण के लिए गांवों और शहरो में बड़ी टीवी स्क्रीन लगाई गई है। प्रदेश के प्रदेश के 17,722 मंदिरों में पूजा अर्चना, दीप प्रज्वलन, भजन कीर्तन के आयोजन किए गए। इनमे से 899 मंदिरों में व्रहद कार्यक्रम मंदिर समितियों, स्थानीय प्रशासन और श्रद्धालुओं के सहयोग से आयोजित किए गए।
प्रदेश की भाजपा सरकार उज्जैन के बाद अब ओंकारेश्वर पर फोकस करेगी। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान फरवरी 2017 में ओंकारेश्वर में तीन संकल्प लिए थे। इनमे से एक संकल्प था मंधाता पर्वत पर 108 फीट ऊंची आदि शंकराचार्य की मूर्ति (एकात्मता की प्रतिमा) का निर्माण करवाना था। इसका निर्माण 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का जबरदस्त रिस्पांस मिला। पार्टी से जुड़े सूत्र कहते हैं कि अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर शिलान्यास के बाद भाजपा को अब यूपी के शिव मॉडल की ताकत का अहसास हो गया है। उज्जैन के बाद नर्मदा नदी के तट और पहाडिय़ों के मध्य स्थित तीर्थस्थल ओंकारेश्वर जल्द ही विश्व स्तरीय पर्यटन केंद्र के रूप में पहचाना जाएगा। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा ओंकार पर्वत पर अद्वैतवाद और सनातन धर्म के पुनरुद्धारक आदि गुरु शंकराचार्य की 108 ऊंची अष्टधातु से निर्मित प्रतिमा की स्थापना की जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को वर्ष 2023 में पूर्ण करने का संकल्प प्रदेश सरकार का है। आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा को एकात्मता प्रतिमा (स्टेच्यू आफ वननेस) नाम दिया गया है।
कांग्रेस की साफ्ट हिंदुत्व की रणनीति
कांग्रेस भी चुनाव आने पर यहां साफ्ट हिंदुत्व की तरफ बढऩे लगती है। वर्ष 2018 में राहुल गांधी ने चित्रकूट से चुनाव प्रचार शुरू किया था। अभी राहुल भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उज्जैन में महाकाल के दर्शन करेंगे और नर्मदा स्नान भी करेंगे। भाजपा 2023 के चुनाव में उन गलतियों को दोहराने से बचेगी, जो 2018 में हार की वजह बनी थीं। 230 सदस्यों वाली विधानसभा के चुनाव में भाजपा को वोट प्रतिशत तो कांग्रेस से ज्यादा मिला, लेकिन कांग्रेस को तब 114 और भाजपा को 109 सीटें ही मिली थीं। सरकार कमल नाथ के नेतृत्व में बनी थी। हालांकि, ये सरकार मार्च 2020 में ही गिर गई। नए माहौल में ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा के साथ हैं, लेकिन चुनौती ज्यादा कठिन हो गई है। कांग्रेस इस बार गुटों में न होकर एकजुट दिखाई दे रही है। उधर, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठनों ने आलिया-रणबीर का यूं ही विरोध नहीं किया। यह आहट सिर्फ इसलिए जल्द सुनाई देने लगी, क्योंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी मध्य प्रदेश में पद यात्रा के दौरान अपना हिंदुत्व का कार्ड फिर खेलने की कोशिश करेंगे। वह अपनी यात्रा के दौरान उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन करेंगे तो बड़वाह में नर्मदा का स्नान और पूजन का कार्यक्रम भी रखा गया है। जाहिर है कि मालवांचल ही नहीं, समूचे प्रदेश में मां नर्मदा पूज्यनीय हैं और मध्य प्रदेश की इसे जीवनरेखा माना जाता है।
इससे पहले भी 2018 में राहुल गांधी ने चित्रकूट में भगवान कामतानाथ के दर्शन किए तो उन्हें रामभक्त बताते हुए पूरे प्रदेश में होर्डिंग्स लगाए गए थे। उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन किए तो उन्हें सबसे बड़ा शिवभक्त बताया गया था। समय-समय पर कांग्रेस रामनवमी पर सुदरकांड और हनुमान जयंती पर हनुमान चालीसा का पाठ करने का निर्देश भी पार्टी कार्यकर्ताओं को देती रही है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में गणेशोत्सव मनाना भी इसी रणनीति का हिस्सा रहा है। हालांकि, हिंदुत्व की कसौटी पर कांग्रेस कभी खरी नहीं उतरी है, लेकिन इससे सतर्क होकर भाजपा ने अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल ने कहा कि जनसंघ के जमाने से लेकर भाजपा तक हिंदुत्व हमारी पहचान रहा है। यह मात्र किसी एक चुनाव का मुद्दा नहीं है, बल्कि राजनीतिक दल के नाते, एक राष्ट्र के नाते हमारी जीवन संस्कृति से जुड़ा हुआ है। इससे अलग होने का कोई कारण ही नहीं है। कांग्रेस हिंदू और हिंदुत्व विरोधी है, हम आने वाले हर चुनाव में कांग्रेस को इन मुद्दों पर बेनकाब करेंगे।