एक बार फिर बनेगा कांग्रेस विधायकों का कर्नाटक में अस्थाई ठिकाना

  • चार्टर प्लेन की व्यवस्था भी की जा रही
  • विनोद उपाध्याय
कांग्रेस

कहते हैं दूध का जला छांछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। इसी तरह की कुछ स्थिति इस बार कांग्रेस की बनी हुई है। मतगणना से पहले ही कांग्रेस के रणनीतिकारों ने भाजपा के ऑपरेशन लोटस की संभावना को देखते हुए एहतियातन कुछ कदम उठाने की रणनीति तैयार की  है। इसके तहत जीत दर्ज करने वाले प्रत्याशियों को सरकार बनने तक कर्नाटक में रखने की योजना बनाई गई है। कर्नाटक के चयन की वजह है, वहां पर कांग्रेस की सरकार का होना। दरअसल इस बार कांग्रेस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। प्रदेश में तीन साल पहले 2020 में ऑपरेशन लोटस चलाकर भाजपा ने कांग्रेस की सरकार को महज 15 माह में ही गिरा दिया था। यही वजह है कि इस बार कांग्रेस भाजपा के द्वारा की जाने वाली घेराबंदी से अपने विधायकों को बचाने के लिए इस तरह का कदम उठाने की तैयारी कर रही है। यानी की पार्टी विधायकों को आइसोलेट कर कनार्टक में रखा जाएगा। इसके पीछे वजह है कि भाजपा के प्लान बी की जानकारी कांग्रेस को लग चुकी है। इसके लिए भोपाल में कर्नाटक भेजने के लिए चार्टर प्लेन भी तैयार रखे जाएंगे। यह बात अलग है कि इस संभावना के चलते ही मतगणना के पहले ही पार्टी ने अपने प्रत्याशियों पर नजर रखने के लिए जिला स्तर पर आब्र्जवर और जिला अध्यक्ष को पहले ही सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। कांग्रेस प्रत्याशियों से मतगणना की पार्टी की ट्रेनिंग में कांग्रेस के प्रति निष्ठा रखने के लिए कहा जा चुका है। खुद कमलनाथ ने वीसी के दौरान यह बात कही थी कि भाजपा डोरे डाल सकती है। उन्होंने कहा कि इस पूरे चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों को जिताने के लिए मेरा पूरा प्रयास रहा। नाथ ने कहा था कि कोई कहेगा सट्टा बाजार ये कह रहा है, कोई वह, लेकिन मैं किसी पर विश्वास नहीं करता। मैं मप्र के मतदाताओं पर ही विश्वास करता- हूं। भाजपा के लोग सोचते हैं हम हथकंडे अपना लेंगे। हम लोगों को खरीद लेंगे। अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। आप लोग इस ट्रेनिंग में भाग लें। जो प्रेजेंटेशन दिए गए हैं, वो सब मैंने देखे हैं। हमारी टेक्निकल टीम ने तैयार किए हैं। सूत्रों ने बताया कि भाजपा के सामने चुनाव में जीत के लिए चुनौती ज्यादा है। इसलिए कांग्रेस पूरी तरह से अलर्ट मोड कर हैं। प्रत्याशियों को एजेंसियों का डर दिखाकर अपने पाले में ला सकती है। जिसकी आशंका दिग्विजय सिंह ने भी जताई थी। कारण यही है कि इसके चलते कांग्रेस के कई संगठनों के नेताओं को भी कमलनाथ ने जिम्मेदारी सौंप रखी है।
रहेगी वरिष्ठ नेताओं की नजर
चुनाव परिणाम के दिन से ही पार्टी के वरिष्ठ नेता सभी उम्मीदवारों पर नजर भी रखेंगे। संभागवार कांग्रेस की ओर से जिम्मेदारी सीनियर विधायकों को दे दी गई है। इसके अलावा वरिष्ठ नेताओं को अपने समर्थक जीतने वाले प्रत्याशियों से मतगणना के बाद से ही लगातार संपर्क में रहने को कह दिया गया है। उधर कमलनाथ ने भी अपने कई विश्वसनीयों को भी इस काम का जिम्मा सौंपा है। उधर, कांग्रेस के एक बड़े नेता का कहना है कि पिछली बार मिस कम्युनिकेशन की वजह से कुछ गलतियां हुई थीं, लेकिन इस बार सभी वरिष्ठ नेता प्रत्याशियों के संपर्क में हैं। गलती की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी। उनका दावा है कि कांग्रेस में कोई भी बड़ा नेता नहीं है। कमलनाथ ही सबसे सीनियर हैं। ऐसी स्थिति में इस बार पहले जैसे हालात नहीं बनेंगे।
खुद सुबह से नाथ व दिग्विजय रखेंगे नजर
मतगणना के दिन पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ और दिग्विजय सिंह खुद सुबह 9 बजे से पीसीसी मुख्यालय से प्रदेश भर में नजर रखेंगे। एआईसीसी के लीगल एक्सपर्ट और वार रूम के सदस्यों के साथ चुनाव परिणाम पर राउंड वार जानकारी लेंगे। इसके लिए वार रूम भी तैयार किया जा रहा है। वे पोलिंग के दिन भी कांग्रेस दफ्तर में मौजूद रहे थे। काउंटिंग के दिन नाथ के साथ कई दिग्गज नेता भी वार रूम में परिणामों पर नज़र रखेंगे।
मप्र में भाजपा का आपरेशन लोटस
दरअसल तीन साल पहले आठ मार्च के ऑपरेशन की कानों कान खबर किसी को नहीं लगी थी, सुबह चार बजे के आसपास सिंधिया खेमे के 17 विधायक पलवल के पास एक रिसॉर्ट में शिफ्ट कराए गए थे। नौ मार्च की दोपहर श्रीमंत समर्थक विधायकों को तीन चार्टर प्लेन से बेंगलुरु ले जाया गया था। वहां पर उन्हें बेंगलुरु के बाहरी इलाके में फॉर्म स्प्रिंग रिजॉर्ट में ठहराया गया था। इस बीच शाम को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस नेतृत्व को अपना इस्तीफा दे दिया था। तब प्रदेश की कमलनाथ सरकार गिराने के लिए जो फार्मूला तय हुआ था, उसके तहत कम से कम 27 विधायकों को साथ लेने का फार्मूला तय हुआ था। इनमें से 22 विधायक सिंधिया खेमे के थे, बाकी पांच विधायक, बीएसपी, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय थे। इनका साथ मिलने की वजह से ही भाजपा की सत्ता में वापसी हो सकी थी।

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