समर्थकों के लिए कांग्रेस नेता पसंद ना पसंद में उलझे

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भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में लगातार मिल रही हार के बाद भी कांग्रेस नेता सबक लेने को तैयार नहीं हैं। वे इस बार भी अपने समर्थकों के लिए पसंद ना पसंद के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस की पहली सूची का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। उधर इसके उलट भाजपा पहली सूची जारी कर चुकी है और दूसरी सूची जारी करने की तैयारी कर चुकी है।
हालत यह हैं कि एक ही सीट पर पार्टी के दो -दो दिग्गज नेता अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं। इस तरह की स्थिति प्रदेश की दर्जनों सीटों पर बनी हुई है। उधर, कमलनाथ का प्रयास है कि किसी भी तरह से टिकट एक राय होकर ही तय हों। वे हर हाल में उस नेता को ही टिकट देने के पक्ष में हैं, जो सिर्फ जीत की उम्मीद पर खरा उतरने की क्षमता रखता है। वे इसके लिए प्रदेश में हर हाल में नेताओं का कोटा सिस्टम समाप्त करने के पक्ष में हैं। इसके बाद भी पार्टी के बड़े नेता अपनों को टिकट दिलवाने की कवायद में पीछे रहने को तैयार नहीं हैं। हाल ही में हुई दो दिन तक चली स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में भी इस मामले में जमकर बहस हो चुकी है। दरअसल, कांग्रेस के नेताओं ने अपने -अपने गढ़ बना रखे है, जहां पर दशकों से संगठन से लेकर प्रत्याशी चयन तक में इन नेताओं की ही मर्जी चलती आ रही है। इसका परिणाम यह है कि पार्टी को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। अब रायसेन की भोजपुर सीट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी अपने -अपने समर्थक नेता को टिकट दिलाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। दरअसल सिंह इस सीट पर अपने समर्थक राजकुमार पटेल को तो, वहीं पचौरी मंडीदीप नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष बद्री चौहान को प्रत्याशी बनाने के लिए जोर लगा रहे हैं। पटेल का नाम बुधनी सीट के  पैनल में भी है। इसी तरह से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव उत्तर भोपाल सीट पर उत्तराधिकारी को लेकर चले आ रहे विवाद के बीच सैय्यद साजिद अली को टिकट दिलाना चाह रहे हैं। उनके द्वारा इसके लिए जो तर्क दिया गया है उसमें कहा गया है कि उत्तर भोपाल से विधायक आरिफ अकील का स्वास्थ्य खराब है। इसलिए पूर्व में लोकसभा चुनाव लड़ चुके सैयद साजिद अली एडवोकेट को उनकी जगह प्रत्याशी बनाया जाए। इसी तरह से कई अन्य सीटों पर भी इन नेताओं द्वारा अपने -अपने समर्थकों के नाम टिकट के लिए आगे बढ़ाए गए हैं। अहम बात यह है कि इनमें से अधिकांश सीटें ऐसी हैं जहां पर कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। इसके बाद भी वे सबक लेने को तैयार नजर नहीं आ रहे हैं।

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