- कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष का पद किसी अनुसूचित जाति वर्ग के नेता को देकर इस वर्ग पर अपनी पकड़ मजबूत बना सकते हैं
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश कांग्रेस में अभी से आगामी आम विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर क्षेत्रीय संतुलन साधने की कवायद तेज कर दी गई है। इसी कवायद के चलते ही अब तक प्रदेश स्तर के महत्वपूर्ण पदों की कमान नेताओं को दी जा रही है। दरअसल कांग्रेस इस तरह के कदम उठाकर क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों को पूरी तरह से अभी से साधकर हर वर्ग को अपने साथ जोड़ने का प्रयास कर रही है। दरअसल इस तरह के प्रयास कांग्रेस दो साल बाद प्रदेश में होने वाले विधानसभा के आम चुनावों को ध्यान में रखकर कर रही है। कांग्रेस की इसी सोशल इंजीनियरिंग की वजह से ही हाल ही में मालवा के तहत आने वाले इंदौर की अर्चना जायसवाल को महिला कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। उन्हें महिला कांग्रेस की कमान देकर कांग्रेस ने एक साथ दो मोर्चों पर निशाना साधने का प्रयास किया है। दरअसल इंदौर से होने की वजह से मालवा का प्रतिनिधित्व तो हो ही गया है साथ ही उनके पिछड़ा वर्ग के होने से जातिगत समीकरण भी साधने का प्रयास किया गया है। माना जा रहा है कि अब एनएसयूआई के खाते में ग्वालियर -चंबल अंचल आ सकता है। इसी तरह से पार्टी नेता प्रतिपक्ष का पद किसी निमाड़ के नेता को सौंप सकती है।
फिलहाल इन दोनों पदों को लेकर पार्टी में मंथन का दौर जारी है। पार्टी का अब पूरा जोर जातिगत समीकरणों के है कि अब अगली बारी एनएसयूआई और नेता प्रतिपक्ष का है। संभावना जताई जा रही है कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद अनुसूचित जाति वर्ग के खाते में जा सकता है। इसी तरह से एनएसयूआई का पद पिछड़ा वर्ग के किसी युवा को दिए जाने की संभावना बनी हुई है। गौरतलब है कि फिलहाल युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया हैं। इनके माध्यम से आदिवासी वोट बैंक को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया गया है। गौरतलब है कि बीते आम विधानसभा चुनाव में आदिवासी वर्ग का साथ मिलने की वजह से ही है कांग्रेस के लिए सरकार बनाने का रास्ता साफ हो पाया था। कांग्रेस हर हाल में इस वर्ग को अपने साथ रखने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती पिछड़ा वर्ग को अपने साथ जोड़ने की बनी हुई है। इस वर्ग का प्रदेश में सर्वाधिक मतदाता है। इस वजह से प्रदेश की सियासत में बीते कई दशक से ओबीसी को महत्व मिलता रहा है। इसी वर्ग से खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आने की वजह से इस वर्ग का झुकाव भाजपा के पक्ष में रहता है। इस वजह से कांग्रेस भी ओबीसी कार्ड खेलने की पूरी तैयारी कर रही है। इसी प्रयास के तहत ही अर्चना जायसवाल को महिला कांग्रेस कमान देकर आगे किया गया है। वर्तमान में कमल नाथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ नेता प्रतिपक्ष भी हैं। वे रणनीति के तहत ही नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ रहे हैं। यह पद किसी अनुसूचित जाति के चेहरे को देकर वे इस वर्ग पर अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयासों में हैं। यह बात अलग है कि इस पद के लिए पार्टी में कई चेहरे दावेदार बने हुए हैं। इनमें गोविंद सिंह, विजयलक्ष्मी साधौ, सज्जन सिंह वर्मा, एनपी प्रजापति से लेकर बाला बच्चन तक शामिल हैं। श्रीमंत और उनके समर्थकों के पार्टी छोड़ने की वजह से इस अंचल में कांगे्रस बेहद कमजोर मानी जा रही है। यह बात अलग है कि 28 विस सीटों पर हुए उपचुनाव में इस अंचल की नौ सीटों पर कांग्रेस जीत पाने में सफल रही थी। कांग्रेस में सोशल इंजीनियरिंग के साथ अंदरूनी संबंध और अदावत भी असरकारक साबित होती है। अगर पदों के हिसाब से देखा जाए तो ओबीसी को महिला कांग्रेस अध्यक्ष का पद दिए जाने के पीछे जीतू पटवारी का कद कम करने के प्रयासों के रूप में भी देखा जा रहा है।
जारी है बैठक
उधर, आज कांग्रेस की एक महत्वपूर्ण बैठक प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ और तीन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी ,कांतिलाल भूरिया और अरुण यादव की मौजूदगी में हो रही है। जिसमें संगठन के पुनर्गठन से लेकर साल 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा की जा रही है। इसके अलावा इस बैठक में उप चुनावों की जमावट को लेकर भी रणनीति बनाई जानी है। इसी वजह से बैठक में प्रदेश कांग्रेस ने इन क्षेत्रों के सभी विधायकों, जिला अध्यक्षों सहित दावेदारों को भी बुलाया है। दमोह उपचुनाव में जीत से मिला उत्साह प्रदेश कांग्रेस चारों सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी बरकरार रखना चाहती है। इसमें रैगांव ,जोबट और पृथ्वीपुर विधानसभा और खंडवा लोकसभा सीट के उपचुनाव को लेकर मंथन किया किया जा रहा है। खास बात यह है कि इस बैठक में चारों प्रभारी सचिव सीपी मित्तल ,कुलदीप इंदौरा, संजय कपूर और सुधांशु त्रिपाठी भी शामिल हैं।
29/07/2021
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