- अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव
- विनोद उपाध्याय
प्रदेश में लगातार दो बड़ी चुनावी परीक्षाओं में फेल हो चुकी कांग्रेस को अब ऐसे अर्जुन की तलाश है, जो अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा के चक्रव्यूह को भेद सके। हालांकि अब तक ऐसा कोई योद्धा कांग्रेस में नजर नहीं आ रहा है। इसकी वजह है भाजपा की वह शतरंजी चाल, जिससे भाजपा के रणनीतिकारों ने कमलनाथ जैसे दिग्गज नेता के अभेद गढ़ को लोकसभा चुनाव में नेस्तानाबूत कर दिया है। कांग्रेस हर हाल में इस बार उपचुनाव की परीक्षा में पास होना चाहती है, जिससे की पार्टी कार्यकर्ताओं में व्याप्त निराशा दूर हो सके। यही वजह है उपचुनाव की अग्निपरीक्षा में भाजपा और कांग्रेस के अलावा गोगापा ने भी पूरी ताकत झोंक दी है। अपने ही गढ़ में मिली हार से कांग्रेस अब तक उबर नहीं पा रही है, तो वहीं भाजपा ने बूथ और मैदानी स्तर पर चुनावी मोर्चाबंदी का चक्रव्यूह रच दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल में यह पहला उपचुनाव है। सीएम सहित प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन के अन्य पदाधिकारियों द्वारा अमरवाड़ा में लगातार चुनावी दौरे किए जा रहे हैं। इसके उलट अब तक पूर्व सीएम कमलनाथ और सांसद रहे उनके बेटे नकुल नाथ वहां पर सक्रिय नहीं हो पाए हैं। रही बात प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी की तो उनका ऐसा कोई जनाधार नही है कि वे पार्टी की जीत का रास्ता इस सीट पर खोल सकें। कांग्रेस की विधायकी छोडक़र आए राज परिवार के कमलेश शाह को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने यहां के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल आंचल दरबार के सेवादार धीरन शाह को चुनावी मैदान में उतारा है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के देव रावेन भिलावी भी मैदान में उतरकर मुकाबला त्रिकोणीय बनाने के दम-खम में लगे हुए हैं। अजजा वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर आम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर कमलेश शाह ने ही जीत दर्ज की थी। उनके भाजपा में शामिल होने के साथ ही इस्तीफा देने से उपचुनाव हो रहा है। शाह बीते तीन चुनाव से यहां पर विधायक निर्वाचित होते आ रहे हैं।
जीत का अंतर बढ़ाएंगे: वीडी
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा का दावा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान अमरवाड़ा में भाजपा को 15 हजार से अधिक की बढ़त मिली थी। विस उपचुनाव में भाजपा अपनी जीत के अंतर को इससे ज्यादा ले जाएगी। उन्होंने कहा कि मैं दो बार क्षेत्र का दौरा कर चुका हूं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव और संगठन महामंत्री हितानंद भी यहां घूमकर कार्यकर्ताओं को चुनावी जमावट के हिसाब से टिप्स दे चुके हैं। दो दिन बाद प्रदेश अध्यक्ष एक बार फिर चुनाव प्रचार पर निकलेंगे। उल्लेखनीय है कि विस चुनाव 2023 में कांग्रेस ने यह सीट करीब 25 हजार के अंतर से जीती थी लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 15 हजार की बढ़त हासिल कर ली।
पटवारी ने शाह को गद्दार बताया
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में घूम-घूम कर कांग्रेस उपलब्धियां और भाजपा प्रत्याशी की गद्दारी को भुनाने में जुटे हैं। चुनाव प्रचार के लिए अब एक सप्ताह का समय ही शेष है। लेकिन अभी पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने अभी तक क्षेत्र का प्रवास कार्यक्रम नहीं बनाया। पार्टी सूत्रों का कहना है कि 2 से 5 जुलाई तक वह क्षेत्र में घूम-घूम कर कांग्रेस के लिए वोट मांगने निकलेंगे। 8 जुलाई को प्रचार थम जाएगा। 10 जुलाई को मतदान होगा।
बुधनी, विजयपुर और बीना में इंतजार
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद बुधनी सीट भी रिक्त हो चुकी है। लेकिन अभी वहां चुनाव कार्यक्रम जारी होना बाकी है। भाजपा और कांग्रेस में टिकट के लिए कई नेता दावेदारी कर रहे हैं लेकिन अब तक दोनों ही दलों ने अपने पत्ते उजागर नहीं किए हैं। बीना से निर्मला सप्रे और विजयपुर विधायक रामनिवास रावत भी कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो चुके हैं। अभी इन दोनों के सदन से इस्तीफा न होने से उपचुनाव की स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है।
अब तक भाजपा सिर्फ दो बार चुनाव जीती
अमरवाड़ा सीट के इतिहास की बात करें तो 1951 से लेकर अब तक भाजपा यहां सिर्फ दो बार चुनाव जीती है। 1990 में भाजपा के मेहमान शाह उईके इस सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे, जबकि 2008 में प्रेम नारायण ठाकुर चुनाव जीते थे। इससे पहले एक बार 1967 में भारतीय जनसंघ के एसजे ठाकुर ने चुनाव जीता था। 1951 से 2023 तक यहा 14 बार चुनाव हो चुका है, जिसमें 11 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। इस लिहाज से देखा जाए तो कांग्रेस यहां मजबूत है, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के बीच बड़ी संख्या में कांग्रेस पदाधिकारियों, नेताओं और कार्यकर्ताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी को यहां बड़ा झटका लगा है। इस सीट पर उपचुनाव भी इसलिए हो रहा है क्योंकि कांग्रेस से लगातार तीसरी बार विधायक बने कमलेश शाह इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। इस लिहजा से इस बार का चुनाव कांग्रेस के लिए आसान रहने वाला नहीं है। उसके सामने अपना किला बचाने की सबसे बड़ी चुनौती है।
भाजपा के पास एक सीट कब्जाने का मौका
छिंदवाड़ा जिले में सात विधानसभा सीटें हैं। इनमें जुन्नारदेव, अमरवाड़ा, चौरई, सौसर, छिंदवाड़ा, परासिया और पांढुर्ना शामिल है। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिले की सभी सात सीटें जीतीं थी। अब अमरवाड़ा सीट पर उपचुनाव हो रहा है, ऐसे में भाजपा की रणनीति है कि वह यह सीट जीतकर अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी पार्टी को मजबूत करें और कांग्रेस को लोकसभा चुनाव के बाद एक और झटका दे।