- मप्र में सज गई उपचुनाव की चौसर…
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। 2023 के विधानसभा चुनाव और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद मप्र की सियासत में एक बार चुनावी चौसर सज गई है। प्रदेश में कुछ सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। पहला उपचुनाव पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट पर हो रहा है। जिसमें कांग्रेस अपनी साख बचाने के लिए अब नए गेम प्लान के साथ उतर रही है। कांग्रेस के लिए अपनी साख बचाने का मौका है। गौरतलब है कि 25 सालों से मप्र में भाजपा बेहद मजबूत स्थिति में है पर आगामी उप चुनाव से कांग्रेस उम्मीदें लगाकर बैठी है। मप्र की 2 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव की तैयारी है। पहली सीट जिसपर उपचुनाव होना है, वह है छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा सीट। यहां के वर्तमान विधायक कमलेश शाह के भाजपा में शामिल होने की वजह से यहां उपचुनाव हो रहे हैं। वहीं दूसरी सीट है बुधनी। दरअसल, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान विदिशा से सांसद बनकर केंद्रीय मंत्री बन गए हैं। ऐसे में अब उनकी विधायकी वाली ये सीट भी खाली हो गई है।
कांग्रेस का नया गेम प्लान
विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने वाली कांग्रेस अब नए गेम प्लान के साथ मैदान में उतरी है। फिलहाल कांग्रेस की प्रदेश की राजनीति में कमलनाथ का दखल फिर बढ़ गया है। कमलनाथ छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए काफी एक्टिव हैं। वहीं इस बार उन्होंने उपचुनाव में ऐसा प्रत्याशी उतार दिया है, जो भाजपा प्रत्याशी के दांत खट्टे कर सकता है। दरअसल, मप्र में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने वाली कांग्रेस अब नए गेम प्लान के साथ मैदान उतरी है। कांग्रेस ने उपचुनाव को लेकर अभी से घेराबंदी शुरू कर दी है। पार्टी ने इन विधानसभाओं में अपने ऑब्जेवर नियुक्त कर दिए हैं, जो जीतने वाले प्रत्याशी के चयन के साथ ही संगठन को मजबूत करने के लिए जुट गए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अमरवाड़ा उपचुनाव में कांग्रेस भाजपा पर भारी पड़ सकती है। इस चुनाव में प्रत्याशी चयन से लेकर कई ऐसे फैक्टर्स हैं जो कांग्रेस को फायदा पहुंचा सकते हैं। जिस अमरवाड़ा सीट से कांग्रेस के कमलेश शाह तीन बार चुनाव जीतकर विधायक बने, उसी सीट पर अब वे भाजपा के टिकट से लड़ेंगे। दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान कमलेश भाजपा में शामिल हो गए थे। हालांकि, उन्हें दलबदल करने पर क्षेत्रीय जनता की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर आदिवासियों का खासा प्रभाव है। कमलनाथ ने इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी चयन में मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। उन्होंने आदिवासी आस्था के केंद्र आंचलकुंड धाम के छोटे महाराज धीरनशाह को टिकट दिलाया है। धीरनशाह इनावती आंचलकुंड के प्रमुख गणेश महाराज के छोटे भाई भी हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कमलेश शाह के प्रति नाराजगी और धीरनशाह के मैदान में उतरने का असर आदिवासी वोटर्स पर साफ पड़ेगा और ये कांग्रेस के पक्ष में हो सकता है। कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ के लिए अमरवाड़ा विधानसभा के उपचुनाव राजनीतिक संजीवनी साबित हो सकते हैं छिंदवाड़ा में एक बार फिर कमलनाथ भाजपा के बीच मुकाबला देखने को मिले सकता है क्योंकि अमरवाड़ा विधानसभा में 10 जुलाई को उपचुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। भाजपा ने इसे लेकर रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। 1980 से छिंदवाड़ा में राजनीति कर रहे कमलनाथ को लोकसभा चुनाव में भाजपा ने हार का मुंह दिखा दिया था।
विजयपुर और बीना में उपचुनाव की संभावना
श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत और सागर जिले की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस की निर्मला सप्रे के भाजपा में शामिल होने के बाद दोनों विधायकी से इस्तीफा दे सकते हैं। ऐसे में श्योपुर और बीना में भी उपचुनाव की स्थिति बन रही। विजयपुर विस में संभावित उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने छह सदस्यीय समिति बनाई है। इसमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ। गोविंद सिंह, राज्यसभा सदस्य अशोक सिंह, पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव, विधायक फूल सिंह बरैया, विधायक दिनेश गुर्जर और मुरैना से लोकसभा प्रत्याशी रहे सत्यपाल सिंह सिकरवार को शामिल किया गया है। इधर, बीना विधानसभा में संभावित उपचुनाव के लिए बनाई गई समिति में विधायक लखन धनधीरिया, पूर्व विधायक कुणाल चौधरी और सब यादवेन्द्र सिंह यादव को शामिल किया गया है। विजयपुर और बीना विधानसभा सीट के लिए गठित समितियों के सदस्य इन क्षेत्रों का दौरा कर ब्लॉक, मंडलम सेक्टर के गठन एवं बूथ स्तर पर संगठन की मजबूती के लिए काम करेंगे। उपचुनाव के लिए विधानसभा स्तर पर पुनर्गठन करने की कार्ययोजना तैयार करेंगे।