‘गांव’ में मिली संजीवनी से …कांग्रेस उत्साहित

कमलनाथ
  • अधिक से अधिक सीटों पर अपने जिला पंचायत अध्यक्ष बैठाने नाथ ने संभाला मोर्चा

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मिशन 2023 के सेमीफाइनल पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में से कांग्रेस को ‘गांव’ में जीत की संजीवनी मिली है। इससे पार्टी में उत्साह की लहर है। ऐसे में पंचायत चुनाव के परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने अधिक से अधिक सीटों पर अपने जिला पंचायत अध्यक्ष बैठाने के लिए मोर्चा संभाल लिया है। साथ ही अपने विधायकों को भी मोर्चे पर तैनात कर दिया है। गौरतलब है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए तीनों चरणों का मतदान संपन्न हो गया है। सभी पंच, सरपंच व जनपद पंचायत सदस्य का चुनाव परिणाम 14 जुलाई को आएगा, जबकि जिला पंचायत सदस्य का परिणाम 15 जुलाई को घोषित होगा। प्रदेश में जिला पंचायत सदस्य के 875, जनपद पंचायत सदस्य के 6,771, सरपंच के 22,921 और पंच के 3,63,726 पदों के लिए तीन चरणों में मतदान हुआ। प्रारंभिक रूझानों में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों को बड़ी जीत की संभावना जताई जा रही है। जिससे कांग्रेस उत्साहित है।
कांग्रेस की उम्मीदों को लगे पंख
पंचायत चुनाव परिणामों की घोषणा से पहले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिस तरह जिला पंचायत सदस्य और जनपद पंचायत सदस्य के पदों पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी विजयी हो रहे हैं, उससे कांग्रेस पार्टी खासी उत्साहित है। कांग्रेस इस जीत को आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रही है। इसके साथ ही अब कांग्रेस अधिक से अधिक सीटों पर अपने जिला पंचायत अध्यक्ष बैठाना चाहती है। पार्टी ने इसकी तैयारी तेज कर दी है। दरअसल, मप्र में पंचायतों के चुनावों में मतपत्र ने भाजपा और कांग्रेस को बराबरी पर खड़ा कर दिया है। 19 जिलों के आंकड़ों में 138 जिला पंचायत सदस्य भाजपा समर्थित चुने गए, जबकि 136 कांग्रेस समर्थित। जीतने वालों में 33 ऐसे प्रत्याशी हैं जो न भाजपा और न कांग्रेस के समर्थित हैं। कांग्रेस ग्राम सरकार से मिल रहे नतीजों से उत्साहित है। हालांकि भाजपा भी पीछे नहीं है। यह जानकारी भाजपा और कांग्रेस के दावों के अनुसार 19 जिलों की है, जहां मतगणना का काम हो चुका है, अभी कई जिलों में मतगणना चल रही है। भाजपा और कांग्रेस के दावों की मानें तो सभी जिलों में 875 जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव हुए। इसमें भाजपा के पक्ष में 474 तो कांग्रेस के खेमे से 400 के साथ एक की निर्विरोध जीत हुई है।  जनपद पंचायत सदस्य के 6771 पदों के लिए हुए चुनावों में कांग्रेस समर्थित 3300 से ज्यादा पदों पर और भाजपा के 3471 आगे हैं।  हालांकि अधिकृत चुनाव परिणाम 14-15 जुलाई को आएंगे।
इन जगहों पर कांग्रेस अव्वल
देवास में 18 सीटों में से 13 पर कांग्रेस, दो पर भाजपा और दो सीटें अन्य ने जीती हैं। बालाघाट में 27 में से 14 सीटों पर कांग्रेस, सात पर निर्दलीय और छह पर भाजपा ने जीत हासिल की है। इसी तरह सिंगरौली में 14 में से 11 जिला पंचायत सदस्य कांग्रेस के जीते हैं जबकि भाजपा के दो और एक निर्दलीय को सफलता मिली है। इसी प्रकार भोपाल में 10 में से सात पर कांग्रेस, दो पर भाजपा और एक पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है। उज्जैन संभाग के मंदसौर में 17 में से आठ कांग्रेस, सात भाजपा और एक पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की है।
यहां भाजपा और कांग्रेस बराबर
नीमच में 12 सीटों में से भाजपा-कांग्रेस को पांच-पांच जीती हैं जबकि दो सीटों पर निर्दलीयों ने कब्जा जमाया है। इसी तरह छिंदवाड़ा में 26 सीटों में से 12-12 पर कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी जीते हैं जबकि दो अन्य के खाते में गई हैं। मंडला में भी 16 में से पांच-पांच दोनों राजनीतिक दलों के प्रत्याशी जीते हैं जबकि छह अन्य के खाते में गई हैं।  ग्वालियर में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच टाई हुआ है। यहां 13 में से पांच भाजपा और पांच कांग्रेस प्रत्याशी जीते हैं, जबकि तीन सीटों पर अन्य ने जीत हासिल की है। यही निर्दलीय उक्त जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष का फैसला करेंगे।
इन जिलों में भाजपा का अच्छा प्रदर्शन
सीहोर में 17 में से 9 सीट भाजपा ने जीती है जबकि कांग्रेस ने 7 और अन्य ने एक पर जीत हासिल की है। कटनी में 14 में से 12 सीट भाजपा और दो पर कांग्रेस ने जीत हासिल की। इसी तरह इंदौर में 19 में से 12 भाजपा और सात सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं। सागर में 28 में से 22 भाजपा और 6 सीट कांग्रेस को मिली हैं। विदिशा में 19 में से 10 पर बीजेपी और आठ पर कांग्रेस और एक पर निर्दलीय काबिज हुआ है। शाजापुर में 13 में से सात पर भाजपा और तीन पर कांग्रेस और तीन पर अन्य प्रत्याशी जीते हैं। रतलाम में 16 में से सात पर भाजपा, तीन पर कांग्रेस और 6 अन्य जीते हैं।
फीडबैक मिलने के बाद कमलनाथ सतर्क
नगरीय निकाय चुनाव प्रचार से फुरसत मिलने के साथ ही कमलनाथ ने जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव का मोर्चा संभाल लिया है। राजधानी में अपने निवास पर उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ लगातार बैठकें कर जिलों में निर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों के बारे में फीडबैक लिया। कमलनाथ ने अपने विधायकों और वरिष्ठ नेताओं को जिला पंचायत सदस्यों को अपने पाले में लाने और पूरी ताक अध्यक्ष चुनाव लड़ने के लिए सक्रिय कर दिया है। जानकारी के मुताबिक इस बार जिला पंचायत सदस्य की सीटों पर कांटे का मुकाबला है। कई जिलों में कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत प्रत्याशियों ने भाजपा से ज्यादा सीटें जीती हैं, लेकिन जिपं अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस को सत्तारूढ़ दल द्वारा सदस्यों की तोड फोड़ करने की आशंका है, इसलिए पार्टी का पहला फोकस उन जिलों पर है, जहां उसके ज्यादा प्रत्याशी है। उन्हें भाजपा के पाले में जाने से रोकने के लिए विधायक और वरिष्ठ नेता उनके संपर्क में हैं। वे उन्हें समझा रहे हैं कि यदि उन्हें राजनीति की लंबी पारी खेलना है, आगे जाकर विधायक, सांसद बनना है, तो पैसों, गाड़ी आदि के लालच में नहीं आएं। वे कांग्रेस के साथ रहें। ऐसे ही चुनाव जीतने वाले निर्दलीय प्रत्याशियों को भी अपने साथ लाने के लिए भी वे हर संभव प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस का दावा है कि यह बदलाव की शुरुआत है और जो कांग्रेस के पक्ष में रुझान है, वह बैलेट पेपर से चुनाव होने की वजह से। कांग्रेस शुरू से बैलेट पेपर से लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कराए जाने की मांग करती रही है। वहीं, भाजपा का कहना है कि पंचायतों के चुनाव चुनाव चिन्ह पर नहीं होते हैं, भाजपा समर्थितों की बड़ी संख्या में जीत हुई है। भाजपा के साथ जनमत है, इसलिए चुनाव ईवीएम से हो या बैलेट पेपर से कोई फर्क नहीं पड़ता। पूर्व मंत्री व विधायक तरुण भनोट का कहना है कि पंचायत चुनाव में कांग्रेस को मिली शानदार सफलता से पूरी भाजपा सकते में हैं। जिला और जनपद पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा धनबल, बाहुबल का उपयोग कर रही है, लेकिन निर्वाचित सदस्य भाजपा के दबाव व लालच में आने वाले नहीं हैं। अधिक से अधिक जिला पंचायत अध्यक्ष कांग्रेस के बनेंगे।
 20 जिलों में कांग्रेस-भाजपा में कांटे की टक्कर
पंचायत चुनाव परिणाम के जो आंकड़े सामने आए हैं, इनमें भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस ने भी जोरदार प्रदर्शन किया है।  20 जिलों में भाजपा और कांग्रेस के बीच जबरदस्त टक्कर बताई जा रही है। जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने के लिए राजनीतिक दलों को जमकर रस्साकशी करनी पड़ेगी। पिछले विधानसभा चुनाव में ग्रामीण इलाकों की सीटों पर कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए प्रदेश में सरकार बनाई थी। कांग्रेस को ग्रामीण इलाकों से ज्यादा सीटें मिली थीं। एक बार फिर जिला पंचायत चुनाव में ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस की गहरी पकड़ दिखाई दे रही है। भाजपा और कांग्रेस के बीच जिला पंचायत की सीटों पर ज्यादा अंतर नहीं है। अगले साल विधान सभा चुनाव होना है। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही अपने जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने के लिए पूरी ताकत लगाएंगी।-

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