हिंदुओं के बीच पैठ बनाने में जुटी कांग्रेस

कांग्रेस
  • चुनाव के पहले निकाली जाएगी धर्म रक्षा यात्रा

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं के धर्म के रंग में रंगी तस्वीरें खूब देखी जा रही हैं। कांग्रेस भी अब धार्मिक यात्राओं के सहारे अपनी छवि को चमकाने की तैयारी में है। भाजपा के विधानसभा चुनाव से पहले राम मंदिर और हार्ड हिंदुत्व के एजेंडे को आगे रखने के जवाब में कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में धर्म रक्षा यात्रा निकालने का प्लान तैयार किया है। इसके तहत चुनावी साल में कांग्रेसी अब के मठ-मंदिरों के फेरे लगाएंगे। चुनाव के दौरान पार्टी के नेता जिस जिले में प्रचार के लिए आएंगे, वे उस जिले के स्थानीय प्रमुख धार्मिक स्थल पर जाकर मत्था टेकने जाएंगे। खास बात यह है कि धार्मिक स्थल पर जाने के दौरान संबंधित नेता किसी तरह की गैर राजनीतिक बयानबाजी नहीं करेगा। चुनाव में कांग्रेस का पूरा फोकस तय मुद्दों पर रहेगा।   पुजारी  प्रकोष्ठ के माध्यम से कांग्रेस हिंदुओं के बीच पैठ बनाने में जुटेगी। प्रकोष्ठ के प्रदेश युवा अध्यक्ष सुधीर भारती ने कहा कि प्रदेश में धर्म के नाम पर एक पार्टी विशेष के द्वारा छलावा किया जा रहा है। मठ-मंदिरों की स्वायत्तता को खत्म किया जा रहा है। मठ-मंदिरों के उत्थान की योजनाओं की जरूरत है।लोगों को आध्यात्म से जोड़ने  के साथ ही धर्म पर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी जाएगी। कांग्रेस के नेता धर्म रक्षा यात्रा में शामिल होकर हिंदुत्व का झंडा उठाने का काम करेंगे।
भगवा धारण करेंगे कांग्रेस नेता
आमतौर पर कांग्रेस नेता सफेद कुर्ता-पजामे में दिखाई देते हैं। लेकिन चुनाव में कांग्रेस नेता भगवा रंग भी धारण कर सकते हैं। साथ ही माथे पर लंबा-चौड़ा तिलक भी दिखाई देगा। चुनावी सभा में नेता जय सिया राम का नारा भी बुलंद करेंगे। कांग्रेस आलाकमान ने हिंदी भाषी राज्यों को लेकर विशेष रणनीति तैयार की है। प्रदेश कांग्रेस ने अभी  मप्र कांग्रेस ने इस विषय को सार्वजनिक नहीं किया है। संभवत: सावन के महीने में इस पर चर्चा होगी। सावन का महीना शिव भक्ति का होता है। कांग्रेस नेता सावन महीने में ज्यादा संख्या में मंदिर-मंदिर जाने दिखाई देंगे। कांग्रेस की तय रणनीति के अनुसार चुनाव के चलते कांग्रेस नेताओं के मठ, मंदिर के फेरे बढ़ेंगे। सबसे खास बात यह है कि धार्मिक मुद्दे पर अनर्गल बयान देने से भी कांग्रेस नेताओं को परहेज करना होगा। इसको लेकर पार्टी आलाकमान ने सख्ती बरतना शुरू कर दिया है कि कोई भी नेता धर्म को लेकर विवादित बयान नहीं देगा। चुनाव के दौरान यदि किसी नेता के बयान से विवाद खड़ा होता है और उससे संगठन को सियासी नुकसान होता है तो फिर संबंधित नेता को बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकेगा।

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