मालवा-निमाड़: आधा दर्जन जिलों से कांग्रेस साफ

मालवा-निमाड़
  • दिग्गज नेताओं को तक करना पड़ा हार का सामना

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जा रहा मालवा – निमाड़ अंचल भी ढह गया है। हालत यह हो गई है कि, प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर में तो कांग्रेस पूरी तरह से साफ हो ही गई साथ ही ऐसे कई अन्य जिले भी हैं, जहां पर कांग्रेस को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा का प्रदर्शन ऐसा रहा है, कि कांग्रेस के दिग्गज नेताओं तक को हार का सामना करना पड़ा है। अगर इंदौर जिले की बात की जाए तो जिले की नौ में से एक भी सीट कांग्रेस नहीं जीत पाई है। इंदौर में 1993 में भी भाजपा को ऐसी ही सफलता मिली थी। इस जीत के बाद भी भाजपा के दो मंत्री और वरिष्ठ नेता भी इंदौर-उज्जैन संभाग में चुनाव हार गए हैं।  इस अंचल के तहत आने वाली 66 में से 48 सीट पर भाजपा जीती है, जबकि कांग्रेस को मात्र 17 सीटों पर ही जीत मिल सकी है। चौकाने वाली बात यह है कि अंचल की सैलाना सीट पर भारत आदिवासी पार्टी के कमलेश डोडियार ने जीत  दर्ज की है। मालवा-निमाड़ यानी इंदौर-उज्जैन संभाग से सबसे बड़ी जीत इंदौर-2 में रमेश मैंदोला के खाते में दर्ज हुई है। मैंदोला 1 लाख 7 हजार 47 वोट से चुनाव जीते हैं। वे लगातार चौथी बार यहां से विधायक चुने गए हैं।
आदिवासी सीटों पर ऐसा रहा प्रदर्शन
अंचल की आदिवासी बाहुल्य सीटों पर जरूर भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। यहां 2018 के चुनाव में भी भाजपा कांग्रेस से काफी पीछे रही थी। खरगोन जिले की दोनों आदिवासी सीट भीकनगांव और भगवानपुरा कांग्रेस के खाते में गई हैं, जबकि बड़वानी में चार में से 2 सीट बड़वानी और सेंधवा में कांग्रेस के उम्मीदवार जीते हैं। धार में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित पांच में से चार सीटें कुक्षी, गंधवानी, मनावर और सरदारपुर कांग्रेस को मिली, जबकि धरमपुरी में भाजपा जीती है। अलीराजपुर में दो में से एक। झाबुआ में तीन में से 2 सीट पर भी कांग्रेस और एक पर भाजपा को बढ़त मिली है। पूर्वी निमाड़ यानी खंडवा-बुरहानपुर की दोनों आदिवासी सीट हरसूद और पंधाना भाजपा को मिली। रतलाम में ग्रामीण सीट भाजपा को मिली, जबकि सैलाना में भारत आदिवासी पार्टी के कमलेश डोडियार चुनाव जीते। डोडियार जयस के सक्रिय कार्यकर्ता रहे और इस बार भारत आदिवासी पार्टी से चुनाव लड़े थे। देवास की बागली सीट पर भी भाजपा को सफलता मिली है। कांग्रेस के जो बड़े आदिवासी नेता मालवा-निमाड़ में चुनाव जीते हैं, उनमें कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव पूर्व मंत्री उमंग सिंघार और कमलनाथ मंत्रिमंडल में शामिल रहे सुरेंद्र सिंह हनी बघेल शामिल हैं।
कांग्रेस के यह दिग्गज भी हार गए
इस अंचल से आने वाले कांग्रेस के तमाम बड़े नेता भी इस बार चुनावी जंग में खेत रहे हैं। इनमें पूर्व मंत्री और कमलनाथ के खास सिपहासालार सज्जन सिंह वर्मा, पूर्व मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ, हुकुम सिंह कराड़ा, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी, भाजपा से कांग्रेस में आए पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी, दिग्विजय मंत्रिमंडल में मंत्री रहे सुभाष सोजतिया और नरेंद्र नाहटा शामिल हैं। यह बात अलग है कि इस चुनाव में  भाजपा के शिवराज मंत्रिमंडल के सदस्य राज्यवर्धन सिंह चुनाव हार गए हैं। उन्हें तीन महीने पहले ही भाजपा से कांग्रेस में गए भंवरसिंह शेखावत ने शिकस्त दी। पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल भी बड़वानी सीट पर चुनाव हार गए हैं। उन्हें राजेंद्र मंडलोई ने हराया। सेंधवा सीट पर कांग्रेस के नए चेहरे जयस से ताल्लुक रखने वाले मोंटू सोलंकी ने पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अंतर सिंह आर्य को शिकस्त दी। इसी तरह पहली बार चुनाव लडने वाले विपिन जैन ने मंदसौर सीट पर भाजपा के वरिष्ठ विधायक यशपालसिंह सिसोदिया को हराया है।

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