महाकाल कॉरिडोर पर कांग्रेस व भाजपा आमने-सामने

कांग्रेस व भाजपा
  • नाथ सरकार के धार्मिक कामकाज का ब्यौरा सोशल मीडिया पर वायरल होते ही बिफरी भाजपा

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण में अभी एक सप्ताह का समय है , लेकिन इसका श्रेय लेने की होड़ में इन दिनों भाजपा व कांग्रेस के बीच तलवारें खींच गई हैं। दरअसल अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में कांग्रेस द्वारा कमलनाथ की हिन्दुत्ववादी छवि पेश करने की कवायद की गई है। यह कवायद भी महाकाल लोक के लोकार्पण से ठीक पहले की गई है। कमलनाथ की हिंदुत्ववादी छवि बनाने के लिए कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर उनके धार्मिक कार्यों की बाकायदा एक पूरी सूची को पोस्ट किया गया है। इसमें उन्हें हनुमान भक्त के रूप में भी पेश किया गया है। इस पोस्ट में महाकाल कॉरिडोर का प्लान कमलनाथ सरकार द्वारा बनाना बताया गया है। कांग्रेस की इस पोस्ट के बाद भाजपा ने हमला करना शुरू कर दिया है। उधर, भाजपा ने कांग्रेस को मौसमी हिंदू बताना शुरू  कर दिया है। भाजपा नेताओं का आरोप है कि चुनाव के पहले ही कांग्रेस को हिंदुत्व की याद आने लगती है।
उनका तो यहां तक कहना है कि कांग्रेस पूरी तरह से हिंदू धर्म और हिंदू प्रतीकों की विरोधी है । दरअसल प्रदेश में महाकाल लोक के उद्घाटन के जरिए भाजपा चुनाव से पहले प्रदेश में पार्टी व सरकार को लेकर धार्मिक माहौल बनाने जा रही है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को उज्जैन में महाकाल लोक का लोकार्पण करने आ रहे हैं। इसके लिए शिवराज सरकार तैयारियों में जुटी हुई है। इसके तहत ही बीते शिवराज कैबिनेट की बैठक भी उज्जैन में आयोजित की जा चुकी है। भाजपा की इस मंशा पर पानी फेरने के लिए ही कांग्रेस ने अचानक सोशल मीडिया पर हिंदुत्वादी पोस्टों पर फोकस करना शुरू कर दिया है। इसको लेकर कांग्रेस में ही अंदरखाने और भाजपा में खुलकर चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है।
भाजपा ने इसे कांग्रेस की श्रेय लेने की राजनीति बताया, तो कांग्रेस इसे धर्म के नाम पर इवेंट बता रही है।  कांग्रेस का कहना है कि भाजपा धर्म के नाम पर राजनीति करती है। उसे हिन्दुत्व के भले से कुछ लेना देना नहीं है। उधर , कांग्रेस का कहना है कि भाजपा के कुटिल दुष्प्रचार करने वालों को नहीं पता कि भारत के अधिकांश लोग हिंदू हैं और वे अपने सनातन धर्म का पालन करने में सॉफ्ट या हार्ड नहीं है।
सच्चा धर्म उन्हें मानवता व परोपकार के लिए उत्साहित करता है। वास्तव में तो भाजपा के लोग चुनावी और मौसमी हिंदू बनते हैं । ये सनातन की परंपराओं और ऋषियों की वसुधैव कुटुंबकम की भावना को चोट पहुंचाकर वोट मांगने निकलते हैं। हम तो बापू के समय से रामधुन गाते आ रहे हैं, लेकिन राम के नाम का उपयोग वोट के लिए नहीं किया। हम रामभक्त हनुमान को भी मानते हैं। शिवजी को भी मानते हैं ईश्वर,अल्लाह और सबका सम्मान करते हैं। कांग्रेस का कहना है कि हनुमान चालीसा पाठ के पत्र के मामले में आरिफ मसूद को जानकारी बाद में मिली इसलिए वे नाराज थे, बाकी उनका कोई विरोध नहीं था।
शिव सरकार की है यह कॉरिडोर योजना
उधर, दावा किया जा रहा है कि श्री महाकाल लोक निर्माण की योजना का प्रस्ताव वर्ष 2018 में शिवराज सरकार द्वारा तैयार करवाकर स्वीकृत किया गया था। इसके पहले चरण के लिए भी  शिव सरकार में ही राशि स्वीकृत की गई थी। इसके बाद विस चुनाव हुए तो प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बन गई , लेकिन उनके 15 माह के शासन में शिव  सरकार के इस नियोजित प्रस्ताव पर कोई काम ही नहीं किया । शिवराज सरकार के दोबारा बनने के बाद ही महाकाल लोक का काम तेजी से शुरू कराया गया और अब बाबा महाकाल के आंगन का यह बदला हुआ स्वरूप सबके सामने आने वाला है। यह हमेशा देखा गया है कि हिंदू और हिंदुओं के मामलों में हमेशा कांग्रेस का रुख नकारात्मक रहता है, फिर चाहे मामला राम मंदिर का हो, या अन्य कोई । कांग्रेस ने हमेशा तुष्टिकरण की राजनीति की। कांग्रेस जन्मजात हिन्दू विरोधी रही है।
कॉरीडोर की विशेषताएं
महाकाल मंदिर कॉरिडोर अब  दस गुना बढ़ा होकर लगभग 20 हेक्टेयर से भी अधिक हो गया है। यह अब काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर से लगभग 4 गुना बड़ा हो गया है। इस वजह से अब  1 घंटे में लगभग 1 लाख श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं। इसकी निर्माण लागत 750 करोड़ रुपए  है।  इसमें  422 करोड़ रुपए प्रदेश सरकार, 21करोड़ रुपए मंदिर समिति और बाकी खर्च केन्द्र सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है।  इसकी भव्यता इससे ही समझी जा सकती है कि इस परिसर को पूरा घूमने में करीब 5 घंटे का वक्त लगेगा।
इस नवनिर्मित परिसर में भगवान शिव के 190 स्वरूपों की प्रतिमाएं दिखेंगी। इसके अलावा सप्तर्षियों की प्रतिमाएं, महाकालेश्वर वाटिका, शिवा अवतार वाटिका, अर्ध पथ क्षेत्र, धर्मशाला, शिव तांडव स्त्रोत, और शिव विवाह प्रसंग जैसी चीजें देखने को भी मिलेंगी। हिंदू मान्यताओं के अनुसार गणना में संख्या 108 का विशेष महत्व है फिर चाहे वह मंत्रोचार हो, जप मालाएं हो या फिर या फिर कुछ और हर जगह 108 संख्या को शुभ माना जाता है। इसी वजह से इस कॉरिडोर को भी 108 स्तंभों पर बनाया गया है। 910 मीटर का यह पूरा महाकाल मंदिर परिसर 108 स्तंभों पर टिका होगा।
महाकाव्य पर आधारित है महाकाल वन
वैसे तो मंदिर परिसर में शिव तांडव स्त्रोत ,शिव विवाह प्रसंग पार्किंग स्थल, धर्मशाला और कई अन्य सारी चीजें बनाई गई हैं लेकिन , इनमें महाकाल वन भी शामिल है, जिसका निर्माण संस्कृत के महाकवि कालिदास के महाकाव्य मेघदूत में महाकाल वन के वर्णन और चित्रण के आधार पर किया गया है।

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