डेढ़ दर्जन से अधिक जिलों में नहीं खुला कांग्रेस का खाता

कांग्रेस का खाता
  • भाजपा की लहर भी दो जिलों में रही पूरी तरह से बेअसर

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बीते चुनाव की ही तरह इस बार भी कई जिले ऐसे रहे हैं,  जहां पर पूरी तरह से एक ही दल को सभी सीटों पर जीत मिली है। इस मामले में इस बार भी भाजपा फायदे में रही है। अगर चुनावी जीत के आंकड़ों पर नजर डालें तो कांग्रेस को डेढ़ दर्जन  से अधिक जिलों पर तो भाजपा को महज दो जिलों में ही खाता न खुल पाने का अफसोस करना पड़ रहा है। दरअसल इस बार चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इस बार कांग्रेस को महज 66 सीटों पर ही जीत मिल सकी है। बेहद खास बात तो यह है कि बीते कई चुनाव से कांग्रेस के जो नेता अजेय बने हुए थे, उन्हें भी इस बार हार का मुंह देखने पर मजबूर होना पड़ा है। इनमें नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोबिंद सिंह, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी, कुणाल चौधरी जैसे नेता शामिल हैं। ग्वालियर-चंबल, विंध्य, बुंदेलखंड, महाकौशल में कांग्रेस को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी। कांग्रेस नेताओं को लग रहा था कि सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी से अंडर करंट है, जिसका लाभ उन्हें चुनाव में मिलेगा। लेकिन दांव उल्टा पड़ गया और 2018 की तुलना में कांग्रेस को 48 सीटें गंवानी पड़ गई। चुनाव परिणाम के दिन कांग्रेस किसी भी समय टक्कर में दिखाई नहीं दी। प्रदेश के 20 ऐसे जिले हैं, जहां कांग्रेस का खाता नहीं खुला, वहीं महज दो जिलों में भारतीय जनता पार्टी एंट्री नहीं कर पाई, इनमें छिंदवाड़ा शामिल है। 2018 में भी छिंदवाड़ा जिले की सातों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था। जाहिर है कि पीसीसी चीफ कमलनाथ मुख्यमंत्री का चेहरा थे, लिहाजा छिंदवाड़ा की जनता ने कमलनाथ का साथ दिया, वहीं श्योपुर में भी बीजेपी कोई सीट नहीं जीत पाई है। अगर बीते चुनाव की बात करें तो कांग्रेस का खाता 15 और भाजपा का खाता पांच जिलों में नहीं खुला था।
    इन जिलों में कांग्रेस का नहीं खुला खाता
    प्रदेश के जिन बीस जिलों में इस बार कांग्रेस का खाता नहीं खुला है, उनमें खंडवा जिले की चारों सीटें शामिल हैं। पिछले चुनाव में यहां पर 3 बीजेपी, 1 सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी। इस बार सीहोर की चारों विधानसभा क्षेत्रों पर बीजेपी का कब्जा हो गया है। पिछले चुनाव में भी यही स्थिति थी।  दिग्विजय सिंह का गढ़ कहलाने वाले राजगढ़ जिले में इस बार कांग्रेस का खाता नहीं खुला, पांचों सीटों पर बीजेपी जीती है। बीते चुनाव में कांग्रेस के पास 3 सीटे थीं। इसी तरह से बुरहानपुर जिले की दोनों सीटों पर बीजेपी का कब्जा हो गया है। बीते चुनाव में कांग्रेस, एक पर और निर्दलीय प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह शेरा चुनाव जीते थे।  इंदौर जिले की सभी 9 सीटों पर बीजेपी जीती, 2018 में 5 बीजेपी के पास और 4 कांग्रेस के पास थीं। नर्मदापुरम जिले में  एक बार फिर चारों सीटों पर बीजेपी का कब्जा बरकरार रहा  है। नरसिंहपुर की चारों सीटें बीजेपी के कब्जे में आ गई हैं। बीते चुनाव में बीजेपी के पास महज 1 सीट आयी थी और 3 पर कांग्रेस जीती थी। सीधी जिले की चारों सीटों पर इस बार बीजेपी जीती , जबकि बीते चुनाव में 3 बीजेपी, 1 कांग्रेस जीती थी। इस बार विदिशा जिले की पांचों सीटें बीजेपी के पास आ गई है, जबकि बीते चुनाव में 4 बीजेपी और 1 पर कांग्रेस,  शाजापुर की तीनों पर भाजपा जीती है, जबकि पिछले चुनाव में 1 बीजेपी और 2 कांग्रेस के खाते में आयी थीं।  दमोह  में सभी 4 बीजेपी के पास आ गई हैं, जबकि 2018 में 2 पर  बीजेपी और दो पर कांग्रेस को विजय मिली थी। देवांस में भी पांचो सीटें भाजपा जीत गई है , जबकि बीते चुनाव में 3 बीजेपी और 2 कांग्रेस जीती थी। नीमच में भी तीनों सीटों पर बीजेपी को इस बार भी जीत मिली है। लगभग यही स्थिति शहडोल,  पन्ना, बैतूल , कटनी , उमरिया, सिंगरौली और रतलाम जिलों की भी रही है।
    भाजपा का इन जिलों में नहीं खुला खाता
    अगर भाजपा की बात की जाए तो बंपर जीत के बाद भी  दो जिले ऐसे रहे हैं, जहां इस बार भी  भाजपा का खाता नहीं खुला है। इन जिलों में कमलनाथ का गृह जिला छिंदवाड़ा और श्योपुर शामिल है। पिछले चुनाव में भी भाजपा का छिंदवाड़ा में खाता नहीं खुला था। इस जिले की सातों सीटों पर इस बार भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा  है।

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