मध्यप्रदेश का कम्प्यूटराइजेशन देश में चर्चाओं में

मध्यप्रदेश

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने कम संसाधनों और कोरोना की विपरीत परिस्थितियों के बीच कई ऐसे काम किए हैं जिनकी प्रशंसा राष्ट्रीय स्तर पर हुई है। यही नहीं यहां के कम्प्यूटराइजेशन की भी देशभर में सराहना हुई है। इसी तरह का काम स्वामित्व योजना के अंतर्गत भी हुआ है जिसे न केवल राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिली बल्कि यह योजना अब दूसरे राज्यों के लिए रोल मॉडल बन गई है। दरअसल कम संसाधनों के बीच कंप्यूटराइजेशन को लेकर जो काम प्रदेश में स्वामित्व योजना को लेकर हुआ है, उसके बाद देश के पांच अन्य राज्यों ने मध्यप्रदेश के अफसरों से इस दिशा में किए गए काम की प्लानिंग की जानकारी मांगी है। इनमें उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब,  आंध्रप्रदेश और हरियाणा जैसे राज्य शामिल है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में स्वामित्व योजना के अंतर्गत पिछले साल बीस जिलों का चयन किया गया था। इस साल भी दस जिलों में काम शुरू हो गया है। जिन जिलों में ड्रोन सर्वे का काम चल रहा है वहां 3542 आबादी ब्लॉक का काम हो चुका है। खास बात है कि इसमें उन्नीस सौ से अधिक नक्शे संशोधन में जा चुके हैं। वहीं 792 ग्राम प्रकाशित किए गए हैं। फिलहाल ड्रोन के द्वारा सर्वे का काम खरगोन, मुरैना, विदिशा, सागर, हरदा, सीहोर, श्योपुर, दतिया, रतलाम, बैतूल, भोपाल, छतरपुर, धार और डिंडोरी आदि जिलों में चल रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर हुई प्रशंसा
प्रदेश में स्वामित्व योजना में चल रहे आबादी सर्वे के काम की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत है। जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा हुई है और मप्र को इस पर प्रजेंटेशन का मौका मिला है।  आबादी क्षेत्र की भूमि में स्वामित्व अधिकार देने के लिए ड्रोन कैमरे से किए जा रहे कंप्यूटराइजेशन की मॉनिटरिंग खुद आयुक्त भू अभिलेख (सीएलआर)  ज्ञानेश्वर पाटिल कर रहे हैं। पाटिल के अनुसार अब तक 1560 स्वामित्व दस्तावेज तैयार किए जा चुके हैं। जिसमें से 1433 में खसरा देने की कार्यवाही भी हो गई है। इस भूमि, भवन के स्वामी अब स्वामित्व का अधिकार मिलने के बाद अपनी संपत्ति को बंधक रखने, बेचने का काम कर सकते हैं। स्वामित्व योजना में इन एसेट को कैपिटल बना दिया गया है।
राजस्व विभाग ने ली ड्रोन कैमरे की मदद
स्वामित्व योजना के अंतर्गत प्रदेश के राजस्व विभाग द्वारा की गई कार्रवाई देशभर में रोल मॉडल बन रही है। दरअसल राजस्व विभाग ने जमीन की नाप और नक्शे के लिए ड्रोन सर्वे करने पर जोर दिया है। इस तरह के सर्वे का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आबादी क्षेत्र में दीवार, खेतों की मेड़, नाले-गली, सड़क और बनाए गए मकानों की स्थिति बिल्कुल साफ आ जाती है। इससे काम के दौरान राजस्व अमले को क्षेत्रफल आकलन में दिक्कत नहीं होती है। यही वजह है कि अब अधिकांश कामों में ड्रोन सर्वे को प्राथमिकता दी जा रही है और  इसके सभी रिकॉर्ड कम्प्यूटराइज किए जा रहे हैं।
कार्यवाही अपडेट के लिए बनाया स्वामित्व डैशबोर्ड
मप्र में स्वामित्व योजना के अंतर्गत चयनित किए गए जिलों में तीन लाख एक हजार से अधिक प्लाट का सर्वे किया जाना है। हालांकि अब तक इसमें एक लाख सात हजार से ज्यादा का सर्वे कार्य पूरा हो चुका है। अभी भी इसमें एक लाख 94 हजार प्लाट का काम पेंडिंग है। खास बात है कि राजस्व विभाग ने कार्यवाही अपडेट के लिए बाकायदा एक स्वामित्व डैशबोर्ड भी बनाया है, जिसमें कार्यवाही अपडेट की जाती है। हालांकि पिछले एक साल से इस योजना के अंतर्गत काम में कोरोना संक्रमण बाधा बना है। पिछले साल रुकावट के बाद चार महीने तेजी से काम हुआ लेकिन फिर महीने से कोरोना की वजह काम में रुकावट आई है।

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