भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अपराधों में कमी लाने और पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए भले ही सरकार ने सूबे के दो महानगर भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की हुई है, लेकिन इससे आमजन संतुष्ट नहीं हैं। इसकी वजह है निचले स्तर पर पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं होना।
अगर सुधार होता तो इन दोनों ही जिलों में पुलिस को लेकर होने वाली शिकायतों का आंकड़ा हजारों में नहीं होता। अगर इन दोनों ही जिलों के आंकड़ों को मिला लें तो उनकी संख्या पूरे प्रदेश के जिलों पर भारी पड़ती है। यह बात अलग है कि भोपाल में कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए थानों की रैंकिग करने की शुरूआत की गई, लेकिन इसमें फिसडड्ी रहने वाले थानों के स्टाफ पर कोई कार्रवाई न होने से उनकी कार्य व्यवहार में बदलाव ही नहीं हुआ है। इसकी वजह से अब भी थानों में एफआईआर न लिखने, एफआईआर करने में देरी करने, सही धाराओं को न जोड़ने को लेकर हर दिन औसतन 325 से ज्यादा शिकायतें दर्ज की जा रही हैं। इनमें सबसे ज्यादा शिकायतें भोपाल और इंदौर जिले की होती हैं। भोपाल में रोजाना औसतन 14 और इंदौर में 21 पीड़ित सीएम हेल्प लाइन पर इस तरह की शिकायतें सामने आती हैं। दरअसल इसकी वजह है, थानों में निरीक्षक के पद पर राजनैतिक पसंद व नापसंद के आधार पर पदस्थापनाएं की जाती हैं। जिसकी वजह से लापरवाह थानेदारों पर अफसर कड़ी कार्रवई करने में हिचकते हैं। प्रदेश में इस साल 1 जनवरी से अब तक पुलिस से जुड़ी 1,01,291 शिकायतें हुई हैं। इनमें एफआईआर, मामला कोर्ट में पेश करने में देरी, विवेचना ठीक से नहीं करने, पक्षकार से मिलकर समझौता करने पर दबाव बनाने सहित अन्य तरह के प्रकरणों को शामिल किया गया है। इसमें आधे से ज्यादा शिकायतें एफआईआर से संबधित होती हैं।
इस तरह के भी आरोप
पुलिस एक पक्ष से मिलकर राजीनामा कराने तक का काम करती है। इस तरह के आरोप पुलिस पर अधिकतर लगते रहते हैं। बीते दस माह में करीब 18 हजार से अधिक शिकायतें पुलिस के खिलाफ दर्ज हुई हैं, इसमें मामले में भी भोपाल और इंदौर जिले में सबसे अधिक शिकायतें हैं। राजीनामा करने के लिए पुलिस के बढ़ते दबाब से बचने के लिए फरियादियों को सीएम हेल्पलाइन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का सहारा लेना पड़ता है।
13/11/2022
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