शासन व सरकार को गुमराह कर दे दी गई अनुकंपा नियुक्ति

अनुकंपा नियुक्ति
  • पांच भाई पहले से कर रहे सरकारी नौकरी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अनुकंपा नियुक्ति में फर्जीवाड़ा का एक और मामला ऐसे समय सामने आया है, जब परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा द्वारा झूठे शपथ पत्र के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति हथियाने का मामला ठंडा भी नही पड़ा है। हालांकि शर्मा के  मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। हालांकि इस मामले में अब तक संबंधित अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
अब नया मामला मंत्रालय में 13 साल पहले उद्यानिकी विभाग में पदस्थ सहायक ग्रेड- सतीश शर्मा को दी गई अनुकंपा नियुक्ति से जुड़ा सामने आया है।  शर्मा के 5 सगे भाईयों के पहले से सरकारी नौकरी में रहते हुए भी सही सत्यों को छिपाकर झूठे शपथ पत्र के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान कर दी गई। जिसमें मंत्रालय के अफसरों (सामान्य प्रशासन विभाग) ने मप्र के 4 पूर्व मुख्यमंत्री, 6 तत्कालीन मुख्य सचिव, कैबिनेट को भी गुमराह किया गया। खास बात यह है कि सतीश शर्मा की अनुकंपा नियुक्ति की फाइल अपने आप में एक केस  स्टडी मटेरियल है। सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेजों के अनुसार, मंत्रालय के कर्मचारी सतीश शर्मा की नियुक्ति से जुड़े सरकारी दस्तावेजों के अनुसार उनकी भोपाल के रशीदिया स्कूल में ृभृत्य थीं। वर्ष 2000 में मां के निधन के बाद शर्मा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अपनी निर्धारित योग्यता बताते हुए मंत्रालय में सहायक-ग्रेड-3 की नियुक्ति के लिए आवेदन दिया। जिसमें उन्होंने स्वयं पर छोटे भाई और बहन को आश्रित बताया था। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 20 दिसंबर 2001 को विशेष प्रकरण मानकर शर्मा को कैबिनेट की मंजूरी की प्रत्याशा में नियुक्ति देने के निर्देश दिए। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने शर्मा की अनुकंपा नियुक्ति देने की फाइल चलाई।शपथ पत्र के आधार पर 22 जुलाई 2003 को कैबिनेट मंजूरी की प्रत्याशा में शर्मा को मंत्रालय में अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई। बाद में शासन को पता चला कि शर्मा के 4 बड़े भाई शिवचरण शर्मा, किशन शर्मा, मोहन शर्मा और आशीष शर्मा पहले से सरकारी सेवा में हैं।
अनूठा मामला
अब यह प्रकरण सत्य छिपाकर अनुकंपा या अन्य तरह से सरकारी नियुक्ति पाने वालों की ढाल बन सकता है। यह ऐसा अनूठा प्रकरण है, जिसमें 5 भाइयों के पहले से नौकरी में रहते अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई। यह इस बात का भी उदाहरण है कि सरकार और प्रशासनिक तंत्र कैसे गुमराह होते हैं और गलती पता चलने के बाद भी उसे छिपाने के लिए किस तरह लीपापोती करते हैं। उल्लेखनीय है कि दस्तावेजों के अनुसार सतीश शर्मा की मां भोपाल के रशीदिया स्कूल में भृत्य थीं। वर्ष 2000 में मां के निधन के बाद शर्मा ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया था।

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