फास्ट फूड के कारण एनीमिक हो रही हैं कॉलेज छात्राएं

फास्ट फूड
  • मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी के सर्वे में सामने आई हकीकत

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के कॉलेजों में पढ़ रहीं 100 में से करीब 17 छात्राएं (16.69 फीसदी) एनीमिया बीमारी से जूझ रही है। चार जिलों में तो इस बीमारी से पीड़ित छात्राओं की संख्या 30 प्रतिशत से भी अधिक है। इसका खुलासा मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए दिसंबर 2021 सर्वे में हुआ। सर्वे में बताया गया है कि फास्ट फूड के बढ़ते उपयोग के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है।
यानी फास्ट फूड के कारण कॉलेज छात्राएं एनीमिक हो रही हैं। नारी स्वस्थ्य प्रदेश अभियान के अंतर्गत होने वाले इस सर्वे में प्रदेश के 26 जिलों में अलग-अलग कॉलेजों में पढ़ने वाली छात्राओं में हीमोग्लोबीन की मात्रा जानने खून के सैंपल लिए गए थे। सर्वे में शामिल 87 हजार छात्राओं में से 16.69 छात्राएं एनीमिया से पीड़ित मिलीं ।  सर्वे के मुताबिक 26 जिलों के 18 कॉलेजों में पढ़ने वाली 18 से 25 साल की कुल 87,658 छात्राओं के सैंपल कलेक्ट किए गए। इसमें 14,630 छात्राएं एनीमिक व 500 से अधिक छात्राओं की रिपोर्ट सीवियर एनीमिक रही। सिवनी, सतना, रतलाम और छिंदवाड़ा में सबसे अधिक सीवियर एनीमिया के केस सामने आए। कुछ छात्राओं में तो हीमोग्लोबिन की मात्रा खतरनाक स्तर तक कम मिली है।
ऐसे की जांच
विवि की निगरानी में विशेषज्ञ चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ ने कॉलेजों में 18 से 25 वर्ष की अध्ययनरत छात्राओं के खून के नमूने लिए। हीमोग्लोबिन के स्तर का परीक्षण किया गया। इसे तीन वर्ग में बांटा गया। 10 प्रतिशत से अधिक हीमोग्लोबिन की मात्रा पर सामान्य माना गया। 10 से सात प्रतिशत के बीच एचबी होने पर एनीमिक और सात से कम हीमोग्लोबिन की मात्रा पर छात्रा को सीवर एनीमिक श्रेणी में रखा है।
फास्ट फूड बड़ी वजह
छात्राओं के हीमोग्लोबिन परीक्षण शिविर के दौरान बातचीत में यह सामने आया है कि अधिकतर छात्राएं पौष्टिक खानपान को लेकर जागरूक नहीं हैं। विकृत जीवन शैली और खान-पान में अनियमितता के कारण छात्राओं पर्याप्त पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो रहे है। महानगरों में एनीमिक छात्राओं में अधिकांश फास्ट फूड लवर्स मिली है। एमयू के रजिस्ट्रार डॉ. प्रभात कुमार बुधौलिया का कहना है कि यह एनीमिया के प्रति लोगों में जागरूकता लाने एक प्रयास है। सर्वे रिपोर्ट के बाद सभी कॉलेजों द्वारा हर साल छात्राओं के एचबी जांच कर रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है।

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