सीएम स्वेच्छानुदान पर भारी पड़ रहे हैं कलेक्टर, देनी पड़ रही है चेतावनी

सीएम स्वेच्छानुदान

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की अफसरशाही के हाल यह हैं कि वह सीएम स्वच्छानुदान योजना में भी देरी करने से नहीं चूक रहे हैं। इसकी वजह से जरुरतमंदों को समय पर मदद नहीं मिल पा रही है। यही वजह है कि अब इस मामले में कलेक्टरों को चेतावनी तक देनी पड़ रही है। दरअसल मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से दी जाने वाली आर्थिक सहायता स्वीकृत होने के बाद यह मामले जिलों में एक-एक पखवाड़े तक लटकाए रहना आम है। इसकी वजह से इलाज के लिए मदद की दरकार के लिए लोग भटकते रहते हैं। कई बार तो हालात ऐसे बन जाते हैं कि मदद के अभाव में लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ जाती है। इस पर कई बार पहले भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा  नाराजगी जाहिर की जा चुकी है। हाल ही में एक बार फिर मुख्यमंत्री इस पर नाराजगी जता चुके हैं। इसके बाद इस तरह के मामलों में अगले सात दिन में लंबित प्रकरणों का निराकरण करने का फरमान सभी कलेक्टरों को जारी करना पड़ा है। इस मामले में अब  सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टरों को एक कड़ा पत्र लिखा है। इस पत्र में कलेक्टरों से कहा गया है कि मुख्यमंत्री द्वारा सीएम स्वेच्छानुदान मद के अंतर्गत आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने के लिए जो प्रकरण स्वीकृत किए जाते है। प्रकरणों के शीघ्र निराकरण हेतु सीएम डेशबोर्ड पोर्टल पर कार्यवाही की जाती है। परंतु यह देखा जा रहा है कि सीएम डेशबोर्ड पर पंद्रह दिवस से लंबित प्रकरणों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। पूर्व में भी इस तरह के प्रकरणों के शीघ्र निराकरण हेतु निर्देश दिए गए थे, लेकिन इसके बाद भी लंबित प्रकरणों की संख्या में कमी आने की जगह वृद्धि हो रही है।
अब यह किया गया निर्देशित
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सभी कलेक्टरों को निर्देशित किया गया है कि सीएम स्वेच्छानुदान के सभी लंबित प्रकरणों पर सात दिन में कार्यवाही तय की जाए। हर दिन सीएम डैशबोर्ड पर जिले की अद्यतन स्थिति को देखकर उनके निराकरण की कार्यवाही की जाए। यदि स्वीकृत प्रकरणों में आवश्यकतानुसार किसी तरह के संशोधन की जरूरत है तो सीएम डैशबोर्ड पर संशोधन संबंधी पत्र अपलोड किया जाए ताकि प्रकरणों में संशोधन की कार्यवाही शीघ्र की जा सके।
किसे कितनी दी जाती है मदद
इस योजना के अंतर्गत 50,000 रुपये माध्यमिक देखभाल और 2 लाख रुपये विशेष देखभाल के लिए और अतिरिक्त 30,000 रुपये वरिष्ठ नागरिकों के लिए तय किये गए हैं। इसके अलावा इस मद से अन्य तरह के मामलों में भी जरूरतमंदों की मदद की जाती है।
सीएम सहायता कोष
मुख्यमंत्री कार्यालय के अंतर्गत मुख्यमंत्री सहायता कोष स्थापित है। जिसमें विभिन्न माध्यमों से अर्थात शासकीय, अशासकीय व्यक्ति अथवा संस्था या कार्यालय द्वारा दी गई दान स्वरूप राशि मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा की जाती है। इस कोष के माध्यम से मुख्यमंत्री द्वारा अपने विवेक के अनुसार बाढ़, अग्नि दुर्घटना, सूखा या अन्य विपत्तियों से ग्रस्त या औद्योगिक एवं अन्य दुर्घटनाओं के शिकार या उक्त पीड़ित लोगों को राहत पहुंचाने के लिये आर्थिक सहायता दी जाती है। गंभीर बीमारियों से ग्रस्त एवं साधनहीन ऐसे लोगों को भी जिन्हें तत्काल सहायता देना आवश्यक प्रतीत होता है, इस कोष से सहायता दी जाती है। यह दान राशि नगद, मनी ऑर्डर, चेक अथवा बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से भी प्राप्त होती है। यह सहायता प्रभावित व्यक्तियों या उनके परिवार के लोगों को सीधे अथवा संबंधित जिला कलेक्टर के माध्यम से प्रदान की जाती है। इस कोष में दान स्वरूप दी जाने वाली राशि पर आयकर में छूट प्राप्त है। इस कोष के प्रशासन के लिये एक न्यासी मंडल गठित है, जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री अध्यक्ष होते हैं जबकि वित्त मंत्री,  राजस्व मंत्री, उद्योग मंत्री, समाज कल्याण मंत्री एवं वित्त सचिव सदस्य के रूप में काम करते  हैं।

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