कोयला ज्यादा फूंका, साढ़े छह अरब का लगा फटका

बिजली उत्पादन इकाई की परफार्मेंस खराब

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। कोयला आधारित बिजली उत्पादन इकाई में बिजली उत्पादन व उसके रखरखाव को लेकर परफार्मेंस खराब है। परियोजना की सभी यूनिटों से बिजली उत्पादन करने के लिए सहायक कोयला की खपत तय-सीमा से ज्यादा लग रहा है। ये खुलासा मप्र विद्युत नियामक आयोग की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में कोयला का अत्यधिक मात्रा में उपयोग किए जाने से मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी को करीब साढ़े छह अरब रुपए का नुकसान हुआ है।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। मप्र सरकार के पूर्ण स्वामित्व की मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी ने 2022-23 में मप्र विद्युत नियामक आयोग द्वारा बिजली उत्पादन के लिए निर्धारित कोयला खपत से सात लाख टन कोयला ज्यादा फूंका है। इस कारण कंपनी को 300 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। उधर, तेल की खपत भी अन्य कोल आधारित बिजली परियोजनाओं की तुलना में दो गुना ज्यादा रही है। करीब 5200 किलो तेल ज्यादा फूंका है। फलस्वरूप 50 करोड़ रुपए का अतिरिक्त नुकसान हुआ है। मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के अतिरिक्त मुख्य अभियंता (सेवानिवृत्त) व अधिवक्ता राजेंद्र अग्रवाल ने बताया मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी ने वित्त वर्ष 2022-23 की आयोग में वास्तविक संचालन मानकों के आधार पर दायर सत्यापन याचिका में स्वयं स्वीकार किया है।
कोयले की खपत ज्यादा, बिजली उत्पादन कम
 प्रदेश का सबसे बड़ा सुपर थर्मल पॉवर प्लांट बिजली उत्पादन में पिछड़ रहा है। निर्धारित मात्रा में इस पॉवर प्रोजेक्ट से बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। सुपर पॉवर प्लांट कोयला भी ज्यादा खा रहा है। इससे मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी को 600 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है। इसके चलते अब इस पॉवर प्लांट की जांच कराए जाने की मांग उठने लगी है। मप्र के खंडवा जिले में स्थित श्री सिंगाजी सुपर थर्मल पॉवर प्लांट प्रदेश का सबसे बड़ा कोयला आधारित थर्मल पॉवर प्लांट है।
इस सुपर थर्मल पॉवर प्लांट की बिजली उत्पादन क्षमता 2520 मेगावॉट की है। खंडवा में इस थर्मल पॉवर प्लांट की दो इकाइयां हैं। एक नंबर की इकाई से 1200 मेगावॉट और दूसरी इकाई से 1320 मेगावॉट बिजली उत्पादन होता है। इन दोनों इकाइयों से 85 फीसदी बिजली का उत्पादन होना चाहिए। विद्युत विनियामक आयोग ने यह मानक निर्धारित किए हैं, लेकिन थर्मल पॉवर प्लांट की इने दोनों इकाइयों से निर्धारित मानक अनुसार बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। इस वजह से सिंगाजी थर्मल पॉवर प्लांट घाटे में जा रहा है। कम बिजली उत्पादन और कोयले की ज्यादा खपत की वजह से 642 करोड़ का घाटा इस थर्मल प्लांट से वित्तीय वर्ष 2023-24 में हुआ है।
100 से 150 ग्राम ज्यादा खपत
 दावा किया जा रहा है कि सिंगाजी थर्मल पॉवर प्लांट बिजली उत्पादन में ज्यादा कोयला खा रहा है। प्रति यूनिट बिजली के उत्पादन में लगने वाले कोयले की मात्रा वास्तविक मात्रा से 100 से 150 ग्राम ज्यादा रही। यानी बिजली उत्पादन में सिंगाजी थर्मल पॉवर प्लांट में करीब 300 करोड़ की लागत का 7 लाख मीट्रिक टन कोयला ज्यादा जल गया। श्री सिंगाजी थर्मल पॉवर प्लांट हर साल घाटे में जाता है। इसको देखते हुए बिजली मामलों के जानकार राजेंद्र अग्रवाल ने इस थर्मल पॉवर प्लांट की जांच कराए जाने की मांग मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से की है। उन्होंने परफारमेंस गारंटी टेस्ट कराए जाने के लिए भी सीएम को लिखा है। थर्मल पॉवर प्लांट से होने वाले नुकसान के जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग भी की गई है।
घटिया परफार्मेंस की वजह से नुकसान
पिछले चार साल में मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के घटिया परफार्मेस के कारण आयोग ने वार्षिक प्रभार लगाया है। वहीं, प्रदेश में बिजली आपूर्ति के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों से बिजली खरीदना पड़ी। मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के अतिरिक्त मुख्य अभियंता (सेवानिवृत्त) व अधिवक्ता राजेंद्र अग्रवाल ने बताया 2020-21 में 1026 करोड़, 2021-22 में 1540 करोड़ व 2022-23 में 1209 करोड़ रुपए लगे हैं। कोयला व तेल की ज्यादा खपत, निर्धारित वार्षिक प्रभार से प्रतिवर्ष अरबों रुपए का नुकसान हुआ है।

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