भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। देश के कुछ राज्यों में जारी बिजली संकट के बीच केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश समेत उन राज्यों को चेताया है, जिन पर बिजली उत्पादन कंपनियों और कोयला कंपनियों का पैसा बकाया है। केंद्रीय ऊर्जा सचिव ने इस मामले में मप्र सहित छह राज्यों ( तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान, यूपी, जम्मू-कश्मीर ) के मुख्य सचिवों को पत्र लिख कर कहा है कि वो बिजली उत्पादन कंपनियों का बकाया जल्द से जल्द भुगतान करें। अगर ऐसा नहीं होता है तो इन राज्यों को हो रही बिजली आपूर्ति में गंभीर बाधा उत्पन्न हो सकती है। ऊर्जा सचिव के मुताबिक बिजली कंपनियों और कोयला कंपनियों का बकाया चुकाना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। इन छह राज्यों पर कुल बकाया करीब 75000 करोड़ रुपया है, जिसमें सबसे ज्यादा बकाया तमिलनाडु पर है। तमिलनाडु पर बिजली उत्पादन कंपनियों का 20,842 करोड़ रुपया, जबकि कोल इंडिया लिमिटेड का 729 करोड़ रुपया बकाया है। इसके बाद महाराष्ट्र का नंबर आता है। महाराष्ट्र पर बिजली उत्पादन कंपनियों का 18,014 करोड़ रुपए और कोल इंडिया लिमिटेड का 2573 करोड़ रुपया बकाया है। इसके साथ ही राजस्थान सरकार पर बिजली कंपनियों का 11,176 करोड़ और कोयला कंपनी पर 307 करोड़ रुपया बकाया है। उत्तर प्रदेश पर बिजली कंपनियों का 9,372 करोड़ रुपया और कोयला कंपनियों का 319 करोड़ रुपया बकाया है। इसी तरह जम्मू कश्मीर पर 7, 275 करोड़ रुपया और मध्यप्रदेश पर 5030 करोड़ रुपया बकाया है।
मप्र में जारी है बिजली संकट
मध्य प्रदेश में बिजली का संकट अभी भी बना हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी चार से छह घंटे बिजली कटौती की जा रही है. हालांकि सरकार डिमांड और सप्लाई में 571 मेगावाट कमी की बात कर रही है, जबकि बिजली के जानकार 1500 से 2000 मेगावाट बिजली कम होने की बात कर रहे हैं। शुक्रवार को मध्य प्रदेश में पीक ऑवर में 12 हजार 533 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की गई। मध्य प्रदेश में बिजली बोर्ड से रिटायर्ड चीफ इंजीनियर आरके अग्रवाल का कहना है कि सरकार जान बूझकर संकट से मुंह मोड़ रही है। यह बिजली अधिकारियों की अदूरदर्शिता थी, जो उन्होंने मार्च के महीने में एनटीपीसी की 1000 मेगावाट बिजली सरेंडर कर दी थी। आज ये बिजली होती तो संकट इतना गंभीर न होता। फिलहाल एनटीपीसी की यह बिजली महाराष्ट्र सहित दूसरे राज्यों को मिल रही है।
23/05/2022
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