सीएम हेल्पलाइन बनी मुसीबत

सीएम हेल्पलाइन
  • शिकायतों के बाद भी समस्या का निराकरण नहीं

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार द्वारा आम जनता के लिए शुरू की गई सीएम हेल्पलाइन अब मुसीबत बन गई है। लोग बड़ी उम्मीद के साथ समस्याओं का समाधान करने के लिए शिकायत करते हैं, लेकिन उनका निराकरण नहीं किया जा रहा है। आरोप तो यहां तक लगाया जा रहा है कि आसानी से निपटाई जाने वाली समस्याओं पर अफसर तत्काल निर्णय ले लेते हैं और उनका समाधान कर देते हैं। ऐसे में सिंचाई की समस्या हो या खराब सडक़ें, पेयजल व्यवस्था में लापरवाही हो या अवैध खनन जैसे शिकायतों को विभागों के अफसर  तवज्जो ही नहीं देते।  इस कारण 15 हजार से ज्यादा शिकायतें अनसुलझी पड़ी हैं।
गौरतलब है कि सीएम हेल्पलाइन में शिकायतों के निराकरण के लिए हर माह समीक्षा और ग्रडिंग होती है। इसके बावजूद विभाग बड़ी समस्याओं को दरकिनार कर देते हैं। इसी का परिणाम है कि 15 हजार से अधिक शिकायतें अधर में लटकी हुई हैं। इनमें सबसे ज्यादा शिकायतें पेंशन नहीं मिलने की वित्त विभाग से जुड़ी 3,618 हैं, जबकि राजस्व विभाग में नामांतरण-बंटवारे को लेकर की गई 2,382 मामलों को तो अफसरों ने सुना तक नहीं है।
विभाग गंभीर नहीं
सीएम हेल्पलाइन में आने वाली शिकायतों का निपटारा करने के लिए सरकार ने सभी विभागों को सख्त निर्देश दे रखा है। प्रदेश में जनता से जुड़ी शिकायतों और उनकी समस्याओं का निराकरण करने सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से शिकायतें संबंधित विभाग को भेजी जाती है। चाहे नामांतरण का मामला हो या अवैध उत्खनन का। स्कूल में एडमिशन नहीं मिला हो या पर्यावरण अनुमति, मरीजों का समय पर इलाज नहीं करने वाले डॉक्टरों और अस्पतालों की व्यवस्था को लेकर शिकायत करने पर भी अफसर लापरवाह बने हुए हैं। बिजली की समस्या, ट्रांसफार्मर नहीं लगाने और शहरों में लोगों को पूरा पैसा जमा करने के बाद भी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिलने जैसी शिकायत करने पर भी कुछ नहीं हो रहा। अनुसूचित जाति कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति नहीं मिलने की 195 शिकायतों को तो अफसरों ने अटेंड तक नहीं किया। यह हाल इक्का-दुक्का डिपार्टमेंट में नहीं,बल्कि 40 से अधिक डिपार्टमेंटों में इन्हें सुनने वाला कोई नहीं है।
विभागों में शिकायतों का अंबार
सरकार के बार-बार के निर्देश के बाद भी विभागों में भर्राशाही इस कदर है कि वे शिकायतों पर ध्यान नहीं देते हैं। इस कारण विभागों में शिकायतों का अंबार लगा हुआ है। बिजली से संबंधित 306 शिकायतें ऐसी हैं , जिन्हें सुना नहीं गया है। इसी तरह राशन नहीं मिलने की 768, पुलिस से संबंधित 549, शहरों से जुड़ी शिकायत 863, ग्रामीण विकास 435,आरटीओ से संबंधित 222, पोषण आहार नहीं 1,412, नामांतरण-बंटवारा 2,382, स्वास्थ्य सुविधा 1,110, पेंशन सहित अन्य 3,618, पेयजल नहीं मिलने 262, फॉरेस्ट अनुमति पेंडिंग 138, प्रमोशन और अन्य 399, एडमिशन नहीं मिलना, 301 और चिकित्सा शिक्षा से जुड़ी 180 शिकायतें ऐसी हैं, जिन पर ध्यान नहीं दिया गया है। वहीं सीएम हेल्पलाइन में सबसे ज्यादा मामले रीवा जिले के 1148 पेंडिंग हैं, इसके बाद भोपाल जिले में 989, जबलपुर में 719, इंदौर में 537, कटनी में 424, ग्वालियर में 575, छतरपुर में 447, मऊगंज में 503, मुरैना में 504, शहडोल में 502, शिवपुरी में 665, सतना में 398, सागर में 377, सिंगरौली में 629, सिवनी में 332, सीधी में 367, खंडवा में 318, राजगढ़ में 284, रायसेन में 283, विदिशा में 336 मामले पेंडिंग पड़े हुए हैं।

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