सुशासन पर सीएम… डॉ. मोहन का जोर

डॉ. मोहन
  • 2 माह में आईएएस के रिकॉर्ड तबादले
  • विनोद उपाध्याय

मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. मोहन यादव ने 13 दिसंबर को शपथ ग्रहण की है, जबकि 25 दिसंबर को मंत्रिमंडल बना और 30 दिसंबर को मंत्रियों के विभागों का बंटवारा किया गया। सीएम बने मोहन यादव को दो महीने से ज्यादा समय बीत गया है। इस दौरान उनका सबसे अधिक फोकस सुशासन, जीरो टॉलरेंस और नई जमावट पर रहा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने छोटी-छोटी खामी पर अफसरों को चलता कर दिया। सीएम डॉ. मोहन यादव के दो महीने के कार्यकाल की बात करें तो इस दौरान 177 आईएएस के तबादले किए गए हैं। दरअसल, एक तो चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश, दूसरा अफसरों की लापरवाही और तीसरा नई जमावट के तहत प्रदेश में अफसरों का तबादला किया गया है। प्रदेश में सबसे अधिक आईएएस अधिकारियों के तबादले किए गए है। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री ने वर्षों से शासन के बड़े पदों पर बैठे अफसरों को दरकिनार कर युवा अफसरों को बड़ी-बड़ी जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया है। इसी के कारण प्रदेश में आईएएस अफसरों के रिकॉर्ड तबादले किए गए हैं। मप्र की नई सरकार ने 2 महीने के भीतर 177 आईएएस अधिकारियों के तबादला आदेश जारी कर दिए हैं। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने थोकबंद आदेश जारी नहीं करते हुए टुकड़ों में 28 आदेश जारी किए हैं। तबादलों से प्रदेश में पदस्थ आधे से ज्यादा अधिकारी प्रभावित हुए हैं। क्योंकि आईएएस की पदक्रम सूची के अनुसार कुल 384 आईएएस अधिकारी हैं। जिनमें से दो दर्जन से अधिक अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं। 177 अधिकारियों के तबादला आदेशों में 96 अधिकारियों को एक जगह से दूसरी जगह भेजा। 45 के प्रमोशन के बाद उसी जगह नई पदस्थापना की गई। जबकि 36 अधिकारियों को प्रभार सौंपे गए।
प्रशासनिक व्यवस्था में कसावट
 प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में लंबे समय से कोई बड़ा कसावट लाने जैसे निर्णय नहीं लिए गए। कई अधिकारी ऐसे हैं, जो नई जिम्मेदारी के इंतजार में थे। नई प्रशासनिक जमावट में इसका खासा ध्यान रखा गया है। मप्र की विकास के लिए प्रशासन की नई टीम तैयार हो रही है। जो प्रत्याशित स्वभाविक है। प्रदेश में 13 दिसंबर 2023 को नई सरकार का गठन के बाद 15 दिसंबर को आईएएस का पहला तबादला आदेश प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री का निकाला गया। इसके बाद तबादलों का सिलसिला शुरू हुआ। 12 फरवरी तक 27 आदेश जारी हो चुके थे। जिनमें 172 अधिकारियों को इधर से उधर किया गया। खास बात यह है कि इन तबादला आदेशों में मुख्य सचिव वीरा राणा का भी आदेश शामिल है। 19 फरवरी को 28 वां तबादला आदेश जारी किया है। जिसमें एक जिले के कलेक्टर समेत 5 आईएएस अधिकारी बदले गए हैं। अभी तक कुल 177 अधिकारियों की बदली हो चुकी है। इनमें प्रमोशन के बाद जारी किए गए 45 अधिकारियों के तबादला आदेश भी शामिल है। पिछले महीने 1 जनवरी को तीन अलग-अलग आदेशों में 40 अधिकारियों के पदोन्नति के बाद नई पदस्थापना की गई। 10 जनवरी को एक अधिकारी और 8 फरवरी को 4 अधिकारियों के पदोन्नति आदेश जारी किए गए। हालांकि इन अधिकारियों की नई पदस्थापना भी उसी स्थान पर ही रही।
अभी तक सिर्फ 12 कलेक्टर बदले
ज्यादातर तबादले मंत्रालय या विभागाध्यक्ष स्तर पर हुए हैं। जिलों में सिर्फ 12 कलेक्टर बदले गए हैं। हालांकि यह प्रशासनिक जमावट तंत्र में कसावट लाने की मंशा से की गई है। जिसमें लंबे समय से लूप लाइन में पड़े अधिकारियों को नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। शासन स्तर पर काफी विचार के बाद यह निर्णय लिए गए हैं। यह बात अलग है कि प्रदेश में अधिकारियों के तबादले राजनीतिक मुद्दा रहा है। सरकार ने अभी तक सिर्फ 12 जिलों के कलेक्टर बदले हैं। जिनमें गुना, होशंगाबाद, उज्जैन, बैतूल, शाजापुर, नरसिंहपुर, जबलपुर, इंदौर, भोपाल, हरदा, छिंदवाड़ा और श्योपुर जिले हैं। गुना और हरदा कलेक्टर हादसों की वजह से बदले गए।

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