- बसों के संचालन के लिए 58.14 रुपए प्रति किमी के आधार पर मंजूरी दी गई
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भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में ई- बसों के चलाने का रास्ता साफ हो गया है। यह बात अलग है कि अभी प्रस्ताबित बसों में से महज दस फीसदी बसें ही चलाई जाएगीं। इससे जहां पर्यावरण का फायदा होगा , वहीं सामान्य बसों की अपेक्षा किराया भी कम लगेगा। यह बात अलग है कि अभी किराया और रुट दोनों ही तय होने हैं। दरअसल 4588 इलेक्ट्रिक बसों में से 472 पीएम ई बसों को मंजूरी मिल गई है। ये पीएम ई बसें कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेस लिमिटेड (सीईएसएल) के माध्यम से राज्य सरकार को मिलेंगी। जिसे नगरीय निकायों को संचालन के लिए सौंपा जाएगा। इन बसों के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के बाद सीईएसएल ने राज्य शासन को बसों के मंजूरी की जानकारी दी है। जिसके बाद राज्य सरकार बसों को बुलाकर नगरीय निकायों को संचालन की जिम्मेदारी सौंपेगी। सीईएसएल के प्रबंध निदेशक और पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल कपूर ने नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार शुक्ला को पत्र लिखकर बसों की मंजूरी की जानकारी दी है। इसमें कहा गया है कि, पीएम इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए एमपी सरकार की टेक्निकल और फाइनेंशियल बिड को मंजूरी मिल गई है। जिसमें एल-वन कैटेगरी के बिडर ग्रीन सेल मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी को इसकी मंजूरी मिली है। ग्रीन सेल मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड एमपी में बसों की आपूर्ति करेगी। यह बसें 9 मीटर स्टैंडर्ड फ्लोर एसी बसें होंगी। एमपी के लिए कुल 4588 ईवी बसों के लिए 14 मार्च 2024 को बस कांट्रेक्टर फॉर प्रोक्योरमेंट सप्लाई, आपरेशन एंड मेंटेनेंस बिड कराई गई थी। जिसे 2 जनवरी 2025 को मंजूरी दी गई है।
एक साल पहले मोहन कैबिनेट ने दी थी मंजूरी
मोहन सरकार ने फरवरी 2024 के अंतिम सप्ताह में हुई कैबिनेट में प्रदेश के 6 बड़े शहरों में इलेक्ट्रिक बसें चलाने का फैसला लिया था। उसमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और सागर नगर निगम क्षेत्र शामिल हैं। कैबिनेट ने यहां 552 ई बसों का संचालन करने का फैसला किया था। एमपी सरकार प्रधानमंत्री ई-बस योजना के अंतर्गत इन बसों का संचालन करेगी। इसमें तय हुआ था कि केंद्र सरकार बसें उपलब्ध कराएगी और 12 साल के लिए ऑपरेशनल एंड मेंटेनेंस कॉस्ट भी देगी।
समिति का होगा गठन
अब तक ई बसों के संचालन को लेकर जो फैसले हुए हैं। उसके अनुसार राज्य शासन द्वारा ई-बसों के संचालन के लिए स्थानीय स्तर पर एक समिति गठित की जाएगी। दूसरी ओर केंद्र सरकार का दावा है कि ई बसों के संंचालन के बाद यात्री किराए में तीस फीसदी तक की कमी हो सकती है। इसके साथ ही डीजल पर निर्भरता भी घटेगी और प्रदूषण रोकने में भी आसानी होगी।