भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। कई सालों के इंतजार के बाद महिला बाल विकास विभाग द्वारा मोबाइल खरीद कर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को देने का मामला सुलझा लिए जाने के बाद अब विभाग द्वारा अन्य उलझे हुए मामलों को सुलझाने की कवयाद शुरू कर दी गई है। इसमें आंगनबाड़ी केन्दा्रें मे आने वाले बच्चों को दी जाने वाली प्री-स्कूल एजुकेशन किट का मामला भी शामिल है।
दरअसल यह मामला बीते चार सालों से विवादों की वजह से अटका हुआ था। इस मामले में विवादों की वजह थी इसकी खरीदी को लेकर गड़बड़ी के आरोप। इसकी वजह से चार बार निविदाएं बुलाने के बाद भी उन्हें निरस्त करना पड़ा था। इस मामले में करीब 45 करोड़ की खरीद में चहेते सप्लायरों को फायदा पहुंचाने के आरोप अधिकारियों पर शुरूआत से ही लगते रहे हैं। अब प्रदेश में आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-नर्सरी स्कूलों की तरह संचालित करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए केंद्रों में प्री-स्कूल एजुकेशन किट की जरूरत है। इस किट में रंगीन चार्ट पेपर, बिल्डिंग बाक्स, मोम कलर, पेंसिल कलर, कलर चाक, स्लेट-पेंसिल, गोंद, कठपुतली, गुडिय़ा, शैक्षिक खिलौने, सहित अन्य सामग्री होती है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 96 हजार 135 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनके लिए इस किट की खरीदी की जानी हैं। बीते दो सालों से तो कोरोना की वजह से आंगनबाड़ी केंद्र नियमित रूप से पूरी क्षमता के साथ संचालित नहीं हो सकीं , लेकिन अब स्थिति सामान्य हो रही है और स्कूल, कालेज के साथ आंगनबाड़ी केंद्र भी खोलने का निर्णय लिया जा चुका है।
पुराने सप्लायरों पर रहेगी रोक
प्री-स्कूल एजुकेशन किट की सप्लाई को लेकर पूर्व में विवादों में रहे सप्लायर इस बार निविदा में शामिल नहीं हो पाएंगे। इसके लिए विभाग द्वारा नियम बनाए जा रहे हैं। दरअसल यह पूरी कवायद अब किसी भी विवाद के बगैर प्रक्रिया पूरी करने के लिए की जा रही है। माना जा रहा है कि इस स्थिति से बचने के लिए प्री-स्कूल एजुकेशन किट भी जिला स्तर पर खरीदने का फैसला किया जा सकता है। आंगनबाड़ी केंद्रों में एक साल के बच्चों का आना शुरू हो जाता है। इसी को देखते हुए प्री-स्कूल एजुकेशन किट तैयार किया गया है। इसके पीछे सरकार की सोच है कि छह साल में जब बच्चा पहली कक्षा में जाता है, तो उससे पहले वह आंगनबाड़ी केंद्र में रहकर पढ़ाई के लिए तैयार हो जाए।
27/02/2022
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