एमपीआरडीसी और एनएचएआई के बीच ठनी

एमपीआरडीसी-एनएचएआई
  • फोरलेन प्रोजेक्ट का मामला

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। एमपीआरडीसी और एनएचएआई के बीच विवाद के चलते ग्वालियर से भिंड होकर इटावा तक जाने वाले 108 किमी लंबे हाईवे को फोरलेन में बदलने के प्रोजेक्ट पर काम ही शुरु नहीं हो पा रहा है। यह हाल तब है, जबकि केन्द्र के अलावा प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है। इस सडक़ को फोरलेन में बदलने की घोषणा सितंबर 2022 में केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ग्वालियर में की थी। इसके बाद भी नेशनल हाइवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) और मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एमपीआरडीसी) एक दूसरे की जिम्मेदारी बताकर मामले से पल्ला झाडऩे में लगे हुए है। इस घोषणा को हुए सवा साल का समय हो चुका है , लेकिन दोनों ही एजेंसियों ने इस रोड के प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। एनएचएआइ के अधिकारी इस रोड को एमपीआरडीसी के अंतर्गत बताकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं और एमपीआरडीसी के अधिकारी केंद्रीय मंत्री की घोषणा का हवाला देकर एनएचएआइ पर जिम्मेदारी टाल रहे हैं। दरअसल, पिछले वर्ष ग्वालियर में एलिवेटेड रोड के भूमिपूजन कार्यक्रम में शामिल होने आए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ग्वालियर-आगरा सिक्स लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस के साथ ही नेशनल हाइवे 719 ग्वालियर-भिंड-इटावा को फोरलेन में तब्दील करने की घोषणा की थी। हालांकि यह सडक़ वर्तमान में ग्वालियर से भिंड तक एमपीआरडीसी के चंबल डिवीजन के अंतर्गत आती है और इस पर टोल टैक्स की वसूली भी एमपीआरडीसी द्वारा अधिकृत कंपनी ही करती है। केंद्रीय मंत्री की घोषणा के बाद एनएचएआइ के अधिकारियों ने ग्वालियर-आगरा सिक्स लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे के तो टेंडर जारी कर दिए हैं, लेकिन ग्वालियर-भिंड-इटावा फोरलेन रोड को लेकर गफलत जारी है। केंद्रीय मंत्री की घोषणा के बाद से एमपीआरडीसी के अधिकारी निश्चिंत होकर बैठ गए हैं और उन्होंने भी अपनी ओर से इस सडक़ को फोरलेन करने की सारी कवायदों पर विराम लगा दिया है। इस गफलत के चलते फोरलेन रोड प्रोजेक्ट फाइलों में ही बंद हो गया है।
एमपीआरडीसी ने किए थे टेंडर
 मई 2022 में एमपीआरडीसी ने अपनी ओर से हाईवे के चौड़ीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी। इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए कंसल्टेंट कंपनी तय करने के टेंडर किए गए थे। इसमें 10 कंपनियों ने भाग भी लिया था, जिनमें से नौ कंपनियां तकनीकी रूप से पात्र भी पाई गई थीं, लेकिन उसके बाद प्रक्रिया आगे ही नहीं बढ़ सकी। पिछले वर्ष हुई घोषणा के बाद उम्मीद जगी थी कि इस हाईवे का चौड़ीकरण हो सकेगा, लेकिन अब यह प्रोजेक्ट भी दो विभागों के बीच उलझ गया है।
पांच सालों में सात गुना बढ़ा ट्रैफिक, हर साल 350 हादसे
यह हाईवे अभी टू लेन है, जिस पर डिवाइडर तक नहीं है। ग्वालियर में गोला का मंदिर से लेकर एयरफोर्स स्टेशन तक ही डिवाइडर हैं, लेकिन शहर के बाहरी इलाके में पहुंचते ही सडक़ सपाट हो जाती है। संकरी सडक़ होने के कारण हादसे की संभावना बनी रहती है, क्योंकि इस मार्ग पर ट्रक, डंपर, बस आदि भारी वाहनों का भी आवागमन होता है। पिछले पांच सालों में इस रोड पर सात गुना ट्रैफिक बढ़ चुका है और हर साल इस रोड पर 350 से अधिक हादसे होते हैं। अभी इस 108 किमी की दूरी तय करने में लोगों को तीन से साढ़े तीन घंटे का समय लग जाता है। फोरलेन होने पर यही दूरी तय करने में लोगों को दो से ढाई घंटे का समय लगेगा। 

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